दमकता चेहरा, होठों पर खिलखिलाती हंसी, मदमस्त अदाएं, मासूमियत भरा अंदाज, हर पल का खुलकर एंज्वॉय, कभी हार न मानने का जज्बा, कुछ इसी अंदाज में नजर आईं मिस इंडिया अर्थ प्राची मिश्रा। सपनों की तस्वीरों में हकीकत के रंग भरने के बाद सैटरडे को वह जैसे ही हिंदुस्तान कॉलेज पहुंचीं तो माहौल पूरी तरह से खुशनुमा हो गया। मासूमियत भरे अंदाज से मौजूद लोग उनके कायल हो गए।

सपनों में भरे हकीकत के रंग

कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं होता, एक पत्थर तो तबियत से उछालों यारों ये लाइनें प्राची मिश्रा में पर सटीक बैठती हैं। शुरू से ही फैशन इंडस्ट्री में जाने की चाहत उन्हें नहीं रोक पाई। पढ़ाई में शुरू से ही मेधावी रहीं प्राची ने हिंदुस्तान कॉलेज से ईयर 2009 में बीटेक किया, फिर पुणे से सिंबॉयसिस से एमबीए किया। प्राची प्राची के फादर आरसी मिश्रा सिद्धार्थ नगर में एडिशनल डिस्ट्रक्ट जज हैं.  इसके बाद दिल्ली में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में जॉब भी किया, लेकिन दिल में कुछ और चाहत ही परवान चढ़ रही थी। फैशन के प्रति उनका लगाव बढ़ता जा रहा था। बस इंतजार था तो एक कड़ा डिसीजन लेने का। और चार महीने पहले उन्होंने ये डिसीजन लिया और सपनों में हकीकत के रंगों को भर उसे रंगीन कर दिया।

अभी और उड़ान है बाकी

हर लड़की को बचपन से ही सजने का शौक होता है। मैं भी कुछ ऐसी ही थी। लेकिन, मैंने इसे मुकाम देने की कोशिश की। बचपन से ही फैशन का शौक था। जो मुझे आज यहां तक ले आया। उन्होंने कहा कि कभी सोचा भी नहीं था कि कभी मुझे इतना बड़ा सम्मान मिलेगा। लेकिन, कामयाबी की उड़ान अभी यहां पूरी तरह थमी नहीं है। प्राची अब मिस वल्र्ड अर्थ की तैयारियों में जुटी हुई हैं। इसके साथ ही वह दुनिया के टॉप टेन रिचेस्ट लोगों की लिस्ट में शामिल होना चाहती हैं।

बिंदास तो मैं हूं

कॉलेज में प्राची हमेशा बिंदास अंदाज में नजर आती थीं। उनका ग्रुप हमेशा मौज मस्ती करता रहता था। इस बात को कॉलेज के टीचर्स भी स्वीकारते हैं। प्राची ने कहा कि वह हमेशा मस्तमौला अंदाज में रहती थीं।

एजूकेशन है जरूरी

अपने इसी अंदाज में उन्होंने लोगों को मैसेज भी दे दिया। उन्होंने कहा कि लोग फैशन की लाइन में आने से पहले बेसिक एजुकेशन जरूर पूरी करें। ताकि, उनमें कांफिडेंस डेवलप हो सके और वह पूरे विश्वास के साथ यहां आएं।

तो चलाऊंगी कैंपेन

इलाहाबाद की रहने वाली प्राची मिश्रा संगम, यमुना की दुर्दशा और ताजमहल पर भी खुलकर बोलीं। उन्होंने कहा कि इनको  प्रदूषण से बचाने के लिए वह अभियान चलाएंगी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि बॉलीवुड में जाने की बात कहना जल्दबाजी होगी।

कई प्रोग्राम हुए कैंसिल

प्राची मिश्रा का प्रोग्राम कॉलेज में मॉर्निंग 11 बजे से शुरू होना था। प्राची करीब तीन घंटे लेट पहुंचीं। इसके चलते अधिकांश प्रोग्राम कैंसिल कर दिए गए। काफी देर बाद उनके टीचर ने खुद फोन करके लोकेशन ली कि प्राची कब आओगी। यहां पहुंचकर प्राची मिश्रा ग्लोब की पूजा भी की। सभी से प्रोग्राम में लेट आने के लिए माफी भी मांगी। इस मौके पर प्राची को कॉलेज की तरफ से सम्मानित भी किया गया।

बराबरी का हक चाहती थीं

प्राची के टीचर डॉ। एसके दुबे ने बताया कि कॉलेज में एक बार पार्टी चल रही थी। रात के करीब आठ बजे सभी ने कॉलेज गल्र्स से घर जाने को कहा। लेकिन, ये बात सुनते ही प्राची और उसके गु्रप की लड़कियां प्रदर्शन करने लगीं। इनका कहना था कि जब ब्वॉयज रुकेंगे तो गल्र्स क्यों नहीं। काफी देर बाद मामले को शांत किया गया। इसके साथ ही एक टीचर्स वीके शर्मा ने बताया कि हाथों में बुक्स और हाथ में पानी की बोतल लेकर इनका ग्रुप कॉलेज में घूमता था। अगर ये लोग दिखाई नहीं देते थे, हम आपस में बात करते थे कि इनका कहीं सिलेक्शन हो गया क्या।

'मत लौटना घर

प्राची मिश्रा ने बताया कि ये एक ऐसी लाइन हैं, जिसमें किसी भी लड़की के पैरेंट्स आसानी से नहीं भेजते। लेकिन, मेरे फैमली मेंबर्स ने मुझ पर विश्वास जताया। जब मैं मुंबई जा रही थी तो मेरी मदर स्टेशन तक मेरे साथ आईं। उन्होंने मुझे स्माइल करते हुए कहा कि अगर जीत कर नहीं लौटीं तो घर मत आना। ये बात कहने के बाद प्राची भी हंसने लगी।

प्राची के पापा जा रहे हैं

प्राची के फादर आरसी मिश्रा ने बताया कि वैसे तो हर मां बाप ये ही इच्छा होती है कि उसके बच्चों की वजह से उसको जाना जाए। बड़ा अच्छा लगता है, जब ये कहा जाता है कि ये प्राची के पापा जा रहे हैं।

पहुंच गईं हॉस्टल

प्राची जितना मन पढ़ाई में लगाती थीं। उतना ही मन वह अपने को सजाने में लगाती थीं। हॉस्टल में भी उनकी लालसा कम नहीं हुई। एक शीशा लगवा लिया ताकि, पढ़ाई के साथ ये शौक भी पूरा हो सके। पढ़ाई से फुर्सत मिलने के बाद वह अपना समय सजने में लगाती थीं। सैटरडे को वह जैसे ही कॉलेज पहुंची तो उनके कदम हॉस्टल की ओर बढ़ चले। यहां उन्होंने उन चीजों को याद किया, जो उस टाइम उन्होंने रूम में चेंज कराईं थीं। प्राची को अपने कॉलेज की एसी लाइब्रेरी बेहद पसंद थी। वह आज भी उसे मिस करती हैं। खाली समय में वह अपने फ्रेंडस के साथ लाइब्रेरी जाती थीं और अपना टाइम स्पेंड करती थीं।

भूख लगने पर रोई थीं

प्राची ने बताया कि एक बार हॉस्टल के मेस में खाना अच्छा नहीं बना था। इसको लेकर वह रोने लगीं। बाद में मेस के ओनर ने उनको रात के टाइम में पकौड़े बनाकर खिलाए थे। तब कहीं जाकर उन्होंने रोना बंद किया। सैटरडे को भी मेस के ओनर रामलखन से मिलने से खुद को नहीं रोक सकीं। उन्होंने उसी अंदाज में आवाज देकर पकौड़े मंगवाए और एंज्वॉय किया।

फ्रेंडस को करती हूं मिस

प्राची ने अपने फ्रेंड्स को याद किया। उन्होंने कहा कि अंजली, युक्ता, नेहा और झांसी की नेहा को वह मिस करती हैं। मुंबई में रहने के कारण वह उनसे सिर्फ फोन पर बात करती हैं।

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