आगरा(ब्यूरो)। शहर की सड़कों पर अधिकतर ऑटो रिक्शा चालक पड़ोसी जिलों से आते हैं। भगवान टॉकिज चौराहे पर रमेश बघेल ने बताया कि वो टूंडला का रहने वाला है। किराए पर ऑटो चलाता है, वहीं मांगे लाल ने मैनपुरी के गांव कुमसरा का रहने वाला बताया। नाइट में सड़कों पर करीब सात सौ से अधिक ऑटो रिक्शा दौड़ते हैं। इन दौड़ाने वाले भी बेखौफ हैं, क्योंकि इन्हें शायद ही कभी पुलिस ने चेक करने की जहमत उठाई हो। ऑटो के मालिक की ओर से बिना किसी सत्यापन के इनको ऑटो चलाने को दिया जाता है, इसके एवज में रोजाना किराया वसूल किया जाता है, ऐसी स्थिति में क्राइम होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है।

क्रिमिनल्स एक्टिविटी में रहते हैं लिप्त
शहर और देाहत की सड़कों पर दौड़ रहे ऑटो चालक पूर्व में लूट और चोरी के कई मामलों में लिप्त पाए गए हैं, ऐसे मेें ऑटो चालकों का पुलिस के पास कोई रिकॉर्ड नहीं होना एक बड़ी समस्या है। बिजली घर और झरना नाले, खंदौली और टेढी बगिया रोड पर रात में जाने से लोग कतराते हैं। पुलिस कई बार ऐसे ऑटो चालकों को अरेस्ट कर चुकी है, जो लूट, चोरी और हत्या की घटना को अंजाम दे चुके हैं।

पुलिस के पास भी नहीं रिकॉर्ड
ऑटो रिक्शा को नियंत्रित करने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने पिछले दिनों प्लान ऑटो शुरू किया था। इसके तहत पंजीकरण नंबर के अलावा ट्रैफिक पुलिस की ओर ऑटो रिक्शा का सत्यापन कराने के आदेश भी दिए गए थे लेकिन इसका पालन नहीं कराया गया। ट्रैफिक पुलिस की ओर से ऐसे ऑटो रिक्शा को चिन्हित किया गया था, जिनके सभी कागजात पूरे हैं। इस दौरान पुलिस ने चालक और मालिक का पूरा खाका भी नोट किया था। शहर की सड़कों पर बीस हजार से अधिक ऑटो दौड़ रहे हैं, इनमें से मात्र सात हजार ऑटो ही ऐसे हैं, जिन पर परमिट मिला है। इस संबंध में अभी जांच की जा रही है। ऐसे में पुलिस के पास भी इनका रिकॉर्ड नहीं है, जिससे अपराध की संभावना बढ़ जाती है।

हर चौराहे पर खड़े रहते हैं ऑटो रिक्शा
ट्रैफिक इंस्पेक्टर आनंद ओझा का कहना है कि शहर की ट्रैफिक व्यवस्था पर नियंत्रण करने वाली ट्रैफिक पुलिस की ड्यूटी सात बजे ऑफ हो जाती है। इसके बाद सड़कों पर दौडऩे वाले संदिग्ध वाहनों को चेक करने की जिम्मेदारी गश्त में रहने वाली पुलिस और पीसीआर की है। वहीं हैरत तो इस बात की है शायद ही पुलिस ने कभी सड़कों पर फर्राटे भरते इन ऑटो को चेक किया हो।

दस बजे से नाइट शिफ्ट
ऑटो की नाइट शिफ्ट रात 10 बजे के बाद शुरू होती है। रात को शहर की सड़कों पर सात सौ से अधिक पुलिस की मानें कि 200 ऑटो ही दौड़ते हैं। बड़ा सवाल है कि ये ऑटो किसके हैं और इन्हें चलाने वाले कौन, उनका स्टेटस क्या है। पुलिस इससे अंजान है। यही नहीं एक ऑटो चालक के साथ दो लोग होते हैं।

ऑटो में पहले हो चुकीं वारदात
6 नवंबर को 2023 को झरना नाले के पास ऑटो में सवार हुए एक इंजीनियर को बंधक बनाकर लूट की वारदात को अंजाम दिया था। विरोध किए जाने पर लुटेरों ने उनको चाकू मार दिया था। इससे वह घायल हो गया था। हालांकि बाद में ऑटो चालक पकड़ा गया।

6 अगस्त, 2023 ऑटो चालक ने एक महिला की मिलीभगत से लूट की वारदात को अंजाम दिया था। पीडि़त की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज किया था।

7 जुलाई, 2023, ऑटो गैंग ने तीन दिन में सात वारदात को अंजाम दिया था, पुलिस ने इस गैंग के चार लोगों को अरेस्ट किया था।

8 जून, 2023, ऑटो में सवारियों के साथ लूट की वारदात को अंजाम दिया था, घटना के बाद चालक ऑटो लेकर भाग गया था।

अनसेफ ऑटो कहां है पुलिस की सख्ती
-नाइट में बेखौफ सड़कों पर फर्राटे भर रहे ऑटो रिक्शा पर पुलिस का नहीं कोई नियंत्रण
-पुलिस रिकॉर्ड में नहीं ऑटो चालकों का रिकॉर्ड, घटना के बाद होती है पूछताछ
-ट्रेन या बस से उतरी सवारी करती ऑटो की तलाश, कम रुपए लेने पर बैठती है सवारी
-ऑटो चालकों के पास नहीं बैच और ड्रेस कोड, पुलिस नहीं करती रात में चेकिंग


ऑटो चालकों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है, ऐसे चालकों पर कार्रवाई की जा रही है, जिनके पास दस्तावेज नहीं है। नियमों की अनदेखी करने वाले वाहनों के चालान भी किए जाते हैं।
अरुण चंद, उपायुक्त ट्रैफिक पुलिस

ऑटो का सफर रात में सुरक्षित नहीं है, पुलिस भी कम एक्टिव रहती है, इससे वारदात की संभावना बढ़ जाती है। पुलिस को ऑटो चालकों का रिकॉर्ड रखना चाहिए। दिन के समय में तो बहुत अधिक खतरा नहीं है लेकिन रात में डर लगता है। ऐसे में कैब को अधिक सुरक्षित माना जाता है, घटना की संभावना कम रहती है।
- राजेश्वरी