गोवर्धन: आषाढ़ मास की चतुर्दशी गोवर्धन में श्रद्धा का सैलाब लेकर आती है। शाम से तक उमड़े भक्त परिक्रमा लगा रहे थे। रात्रि के करीब दस बजे अचानक मेघमालाओं ने बारिश शुरू कर दी। भारी बारिश में श्रद्धालुओं के कदमों ने रुकने का नाम नहीं लिया और गिरिराज महाराज के जयकारे लगाते हुए परिक्रमा देते रहे। करीब आधा घंटा पड़ी बारिश का भक्तों ने जमकर लुत्फ उठाया।

पचास रूपये में बिकी माला

भक्तों की भीड़ ने फूल मालाओं के रेट बड़ा दिए। गिरिराज शिलाओं पर पूजा करने वाले भक्त फूलमाला ले जाते हैं। फूल माला विक्रेताओं ने मेला का जमकर फायदा उठाया और माला के रेट दस रूपये से पचास रूपये कर दिये। इस रेट पर भी माला ले जाने वाले भक्तों की संख्या में कमी नहीं आई।

दूध सब्जी के लाले

सात कोस में चलते भंडारे और चाय की दुकानों ने दूध और सब्जी की किल्लत पैदा कर दी। दूध सौ रूपये लीटर तो सब्जियों के दाम भी आसमान छूने लगे। पूर्णिमा के दिन भक्तों के सैलाब में वाहनों का कस्बे में अंदर आना मुश्किल हो गया और स्थानीय लोग भटकते रहे। गिरिराज शिलाओं पर चढ़ाने के लिए भरपूर पानी युक्त सौ रुपये प्रति लीटर हिसाब से खरीदा तो सब्जियों की बजाय अन्य खाद्य पदार्थ तलाशते रहे।

बिजली ने खूब रुलाया

करीब एक महीने से मेला की तैयारियों में जुटा विद्युत विभाग मेला क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति नहीं कर सका। मुडि़या पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर उमड़ा जन सैलाब देखकर भी विभागीय अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी और मेला क्षेत्र अंधेरे मे डूबा रहा। राधाकुंड परिक्रमा मार्ग स्थित रामबाबा आश्रम से राधाकुंड तक तो अंधेरे का यह आलम था कि महिला श्रद्धालुओं का निकलना दूभर हो गया। पुलिसकर्मी भी भीड के रेले से बचते नजर आए और छेड़खानी करने वाले असमाजिक तत्व हावी रहे।

टूटी चेन, कटी जेब

मंदिरों में गिरिराज महाराज के दुग्धाभिषेक को उमड़े भक्तों की जेबों पर गले की चेन पर बदमाशों ने हाथ साफ किए। दानघाटी मंदिर से जयपुर की संजू के गले की चेन पूजा के दौरान तोड़ ली। करोली के रामदीन का पैसों से भरा पर्स पार कर दिया। मुकुट मुखार¨वद में गीता कॉलोनी दिल्ली के रहने वाले श्रद्धालु मनिन्दर सिंह की दो तोला की सोने की चेन पर बदमाशों ने हाथ साफ कर दिया। सादा वर्दी में तैनात पुलिस कर्मियों ने भी करीब आधा दर्जन जेबकतरों को जेल की हवा खिलाई। जेबकतरों के पास से एक दर्जन से अधिक मोबाइल बरामद बताए गए।

पेट के लिए बने भगवान

मासूम चेहरे पर तिलक लगाकर केसरिया कपड़े पहन, सिर पर मुकुट, एक हाथ में वांसूरी और दूसरे हाथ में कटोरा लिए ये बालक भिक्षा मांगते रहे और भगवान के स्वरूप में परिक्रमार्थियों को आशीर्वाद बांटते हैं। हालांकि परिक्रमा मार्ग में इन बाल भिखारियों के इस भेष के पीछे पूरे दिन की भूख को शांत करने का प्रयास रहता है।