आगरा। चीफ मेडिकल मेडिकल ऑफिसर डॉ। अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि सोरायसिस में त्वचा पर चकत्ते पडऩे लगते हैं। लोग इन्हें फंगल संक्रमण या अन्य त्वचा संबंधी मामूली रोग समझते हैं और अनदेखा कर देते हैं। उन्होंने बताया कि त्वचा रोग केवल त्वचा को प्रभावित करते हैं लेकिन सोरायसिस होने पर शरीर के आंतरिक भागों पर भी सूजन हो सकती है। यह हृदय से संबंधित कार्डियोवस्कुलर सिस्टम को भी प्रभावित कर सकती है। इससे मेटाबॉलिक सिंड्रोम भी हो सकता है। इसमें संबंधित रोगों की एक पूरी श्रृंखला शामिल है।

ऑटो इम्यून बीमारी है सोरायसिस
गैर संचारी रोगों के नोडल अधिकारी डॉ। पियूष जैन ने बताया कि सोरायसिस एक सिस्टेमिक यानी दैहिक बीमारी है। इसलिए इसे ऑटोइम्यून बीमारी के रूप में वर्गीकृत किया गया है। शरीर के इम्यून सिस्टम का काम शरीर को सुरक्षित रखना है। कभी-कभी इम्यून सिस्टम गलती से शरीर पर ही हमला करने लगता है। डॉ। पियूष ने बताया कि सोरायसिस में शुरूआती दौर में पहचान होना, इसका उपचार होना अति आवश्यक है। अगर सोरायसिस के मरीज अपनी बीमारी की पहचान करने या उसे नियंत्रित करने में असमर्थ रहते हैं, तो लंबे समय में उन्हें मोटापा, डायबिटीज और हृदय रोग होने का भी खतरा बढ़ जाता है।

एसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ। प्रभात अग्रवाल ने बताया कि सोरायसिस ऑटो इम्युन रोग है, इस कारण इसका अभी तक कोई उपचार उपलब्ध नहीं है। उन्होंने बताया कि लंबे समय तक इसकी पहचान न होने से यह त्वचा के बाद में जोड़ों में दर्द, हाथ-पैर के छोटे जोड़ों में सूजन और उंगली के जोड़ों में विकृति जैसे लक्षण विकसित हो जाते हैं। यह सोरायसिस के दीर्घकालिक प्रभाव हैं जिन्हें रोकने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि यदि सोरायसिस की शुरूआत में ही पहचान हो जाए तो सही दवाओं के जरिए इसकी रोकथाम की जा सकती है। डॉ। अग्रवाल ने बताया कि सर्दियों के मौसम में अपनी त्वचा की देखभाल करने से सोरायसिस रोगियों को बीमारी के बेहतर प्रबंधन में मदद मिल सकती है।

सोरायसिस ऑटोइम्यून रोग है। कभी-कभी इम्यून सिस्टम गलती से शरीर पर ही हमला करने लगता है। इस कारण यह रोग होता है। इसमें सही समय पर पहचान करना जरूरी है।
- डॉ। अरुण श्रीवास्तव, सीएमओ

सोरायसिस शुरूआत में हाथ व पैरों के बाहरी हिस्सों पर होते हैैं। यदि कोई चमकदार चकत्ता लंबे समय से हो तो डॉक्टर से संपर्क करें। यह आगे चलकर जोड़ों में दर्द जैसी समस्या की ओर भी बढ़ सकता है।
- डॉ। प्रभात अग्रवाल, मेडिसिन विभाग, एसएनएमसी