आगरा(ब्यूरो)। सीएम ने अयोध्या, काशी के धाॢमक स्थलों में हुए बदलाव का उदाहरण देतेे हुए कहा कि अब मथुरा में भी विरासत का संरक्षण शुरू कर दिया गया है। आगामी निकाय चुनाव में भाजपा की मेयर पद पर प्रत्याशी हेमलता दिवाकर कुशवाह, शहर सीमा के सभी पार्षद प्रत्याशी, नगर पालिका और नगर पंचायत में भाजपा के प्रत्याशियों के लिए जन समर्थन मांगने आए सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंच से भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार की विकास योजनाओं को गिनाया साथ ही उन्होंने प्रदेश में कानून व्यवस्था को स्थापित करने में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।

विरासत का होगा सम्मान

अपने भाषण में उन्होंने आगरा की पहचान को छत्रपति शिवाजी के साथ जोड़ते हुए कहा कि यह वीरों की भूमि है, छत्रपति शिवाजी ने आगरा से विदेशी आक्रांताओं को चुनौती देने का काम किया था। पिछली सरकार तुष्टिकरण की नीति पर काम कर रही थी। हमारी सरकार ने आगरा में बनने वाले म्युजियम का नाम छत्रपति शिवाजी म्यूजियम रखा। अपने भाषण उन्होंने साफ कहा कि गुलामी के अंशों को अब समाप्त करना होगा, जबकि विरासत को बचाने का प्रयास होगा। सीएम ने आगरा के मुगलकालीन स्मारकों के संबंध में कोई जिक्र नहीं किया। हालांकि उन्होंने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार जाति, धर्म, मजहब के नाम पर नहीं बल्कि सबका साथ और सबका विकास की नीति पर काम कर रही है।

अयोध्या-काशी का किया जिक्र
सीएम ने कहा कि सरकार विरासत का संजोने का काम कर रही है। अयोध्या में मंदिर का निर्माण हो रहा है, काशी में भी बाबा का धाम बनकर तैयार हो गया है। हमारा बृजक्षेत्र भी सज और संवर रहा है। चित्रकूट से लेकर गोवर्धन तक या फिर कबीर की जन्मस्थली हो, हर जगह विरासत को सहेजने का काम सरकार कर रही है। 9 वर्ष में वो चमत्कार हुआ है जो पिछली 70 सालों में नहीं हुआ। आज भारत अपने गौरव को दोबारा स्थापित कर रहा है।


छत्रपति शिवाजी म्यूजियम, पर फंड तो दो सरकार

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को जीआईसी मैदान में आगरा के इतिहास को समृद्ध बताते हुए छत्रपति शिवाजी महाराज का म्यूजियम बनवाने की बात कही। उनके निर्देश पर ही सितंबर, 2020 में शिल्पग्राम के नजदीक निर्माणाधीन मुगल म्यूजियम का नाम छत्रपति शिवाजी म्यूजियम कर दिया गया था। म्यूजियम का नाम तो बदल गया, लेकिन जनवरी, 2020 से यहां ठप पड़े काम का प्रारंभ नहीं हो सका है। इसकी वजह म्यूजियम के लिए धनराशि जारी नहीं होना है। मुगल म्यूजियम का शिलान्यास जनवरी, 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था। प्री-कास्ट टेक्नीक का इस्तेमाल किए जाने से इसमें विलंब हुआ। प्रदेश सरकार द्वारा बजट जारी नहीं किए जाने से यहां जनवरी, 2020 से काम बंद है। सितंबर, 2020 में आगरा मंडल के विकास कार्यों की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने म्यूजियम का नामकरण बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर करने को कहा था, जिसके बाद पर्यटन विभाग ने आदेश किया था।

अब तक म्यूजियम की प्रोग्रेस
-म्यूजियम पर 99 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं।
-141.89 करोड़ रुपए आंकी गई थी म्यूजियम की लागत
-172 करोड़ रुपए का रिवाइज्ड एस्टीमेट शासन में लंबित है।