आगरा(ब्यूरो)। ऐसे में दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने पेरेंट्स की समस्या को लेकर कैंपेन चलाया। जिसमें मंगलवार को पेरेंट्स बात की, तो सामने आया कि मंहगी फीस जमा करने में सक्षम नहीं हैं, पेरेंट्स मोटी फीस वाले स्कूलों को छोड़कर कम बजट वाले स्कूलों में एडमिशन करवा रहे हैं।

स्कूल छोडऩे के अलावा नहीं कोई ऑप्शन
प्राइवेट स्कूलों ने ट्यूशन फीस में 40 से 55 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी कर दी है। इससे पेरेंट्स नाराज हैं। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी जितेन्द्र गौड़ के जरिए प्रशासन तक ज्ञापन देकर फीस में बढ़ोत्तरी के एकतरफा निर्णय का विरोध किया है। रूल्स का हवाला देते हुए कहा है कि प्राइवेट स्कूल 8 फीसदी से ज्यादा फीस बढ़ोत्तरी नहीं कर सकते लेकिन इसके बाद भी पेरेंट्स की कोई सुनवाई नहीं की जा रही है। इससे पेरेंट्स के पास मात्र एक ही विकल्प है। ऐसे स्कूल्स को छोडऩा जो अधिक बजट के हैं।

सुविधा नहीं लेकिन वसूल रहे फीस
फीस विनियामक समिति भी निगरानी नहीं कर रही है। जिले में लगभग 300 से अधिक प्राइवेट स्कूल संचालित हैं। इन निजी स्कूलों में नए शिक्षा सत्र के लिए एडमिशन व री-एडमिशन के प्रोसेस चल रहे हैं। इसके लिए प्रबंधनों की मनमानी चल रही है। अधिकांश स्कूल प्रबंधनों ने पिछले साल की अपेक्षा इस सत्र में ट्यूशन और स्कूल ड्रेस में फीस विनियामक समिति के बिना अनुमति के बढ़ोत्तरी कर दी है। इसके अलावा कई ऐसे भी स्कूल हैं, जो सुविधाएं स्कूल में नहीं, उसके नाम पर भी मोटी फीस वसूल रहे हैं। जैसे ट्रांसपोर्ट, स्पोर्ट्स, बेसिक एक्टिविटी की भी फीस एड की है।

घर खर्च में कटौती कर जमा कर रहे थे फीस
स्कूल में बढ़ी फीस का असर सबसे अधिक आर्थिक बोझ मध्यम वर्गीय परिवार पर पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि कई ऐसे मध्यम वर्गीय परिवार हैं, जिन्होंने बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए पिछले कुछ वर्षो तक अपने घर खर्च में कटौती कर बच्चों को शहर के बड़े स्कूल में एडमिशन दिलाया। अब निजी स्कूल प्रबंधनों की ओर लगातार बढ़ाई जा रही फीस को लेकर पेरेंट्स टेंशन में हैं। अब घर के दूसरे खर्च पूरे करना पेरेंट्स के लिए चुनौती बन गई है।

टीसी के लिए दी गईं एप्लीकेशन
इधर पेरेंट्स बच्चों की भविष्य की चिंता को लेकर फीस वृद्धि के विरोध में सामने आने से बच रहे हैं। वहीं कुछ पेरेंट्स ने अपने बच्चों को कम बजट वाले स्कूल में एडमिशन दिलाया है।
पेरेंट्स ज्योति ने बताया कि उनके एक बेटी है, फीस में बढ़ोत्तरी से स्कूल से टीसी के लिए एप्लिकेशन दी है। वहीं पेरेंट्स ऋषि तोमर ने बताया कि उनके दो बच्चे हैं, खर्च का वहन करना मुश्किल हो रहा था। एक बच्चे का एडमिशन कम बजट वाले स्कूल में कराया है।

स्कूल से टीसी लेना भी नहीं आसान
इधर निजी स्कूलों में बढ़ती फीस को लेकर कुछ पेरेंट्स महंगी शिक्षा को लेकर बच्चों का स्थानांतरण प्रमाण पत्र की मांग करने स्कूल पहुंच रहे हैं। इसमें भी प्रबंधन पेरेंट्स को बार-बार घुमाया जा रहा है। यह भी पेरेंट्स के लिए एक समस्या है, वो अपना समय निकाल कर स्कूल जाते हैं लेकिन वे आसानी से उनको टीसी नहीं देते हैं।


एक ओर जहां प्रबंधनों ने ट्यूशन फीस बढ़ा दी है तो वहीं महंगाई के नाम पर स्कूल बसों के किराए में भी बढ़ोत्तरी कर दी गई है जबकि अभी पेट्रोल के दाम भी नहीं बढ़े हैं। ऐसे में कोई और ऑप्शन नहीं है। स्कूल को छोडऩे के अलावा, स्कूल में टीसी को एप्लीकेशन दी है।
ज्योति मौर्या, पेरेंट्स


एक निजी स्कूल द्वारा पिछले सत्र के नवंबर से बस फीस में वृद्धि कर सत्र के प्रारंभ से पेरेंट्स से बढ़े हुए किराए के आधार पर फीस ली जा रही है। पेरेंट्स परेशान हंै, मैंने अपने एक बच्चे का एडमिशन शहर के दूसरे स्कूल में कराया है। पढ़ाई अच्छी है।
ऋषि तोमर, पेरेंट्स


स्कूल में फीस अधिक है, एक क्लास में मानक से अधिक बच्चे हैं, उन पर एक टीचर है। ऐसे में स्कूल में ट्रांसफर सर्टिफकेट को एप्लीकेशन दी है। कोविड में काम बंद हो गया था, जैसे तैसे सब चल रहा था, उस पर से फीस और बुक्स अफोर्ड करना मुश्किल हो रहा है।
राजेश मगरानी, पेरेंट्स


स्कलों में फीस में वृद्धि को लेकर फीस विनियामक समिति की बैठक नहीं हुई है। ऐसे में स्कूल प्रबंधन बिना विनियामक समिति के सहमति के फीस कैसे बढ़ा सकता है, वहीं स्कूल में एनसीआरटी की बुक्स लगनी चाहिए, फिर प्राइवेट पब्लिशर की बुक्स क्यों?
हेमंत भारद्वाज, एडवोकेट


फीसदी तक बढ़ोतरी कर दी गई है। जबकि नियमानुसार डीएम की संस्तुति पर साल में अधिकतम आठ फीसदी तक ही बढ़ोत्तरी की जा सकती है। लेकिन प्रबंधनों ने डीएम से संस्तुति लेना भी उचित नहीं समझ रहे हैं। सब कुछ गलत हो रहा है, सब चुप हैं।
नरेश पारस, समाजसेवी