क्लास 8वीं से 12वीं तक की एनसीईआरटी की फिजिक्स, केमेस्ट्री, बायोलॉजी, इंग्लिश, मैथ्स, सोशल साइंस की बुक्स मार्केट से गायब हैं। बुक्स न मिलने से स्टूडेंट्स स्टडी में पिछड़ रहें हैं जबकि पेरेंट्स एक दुकान से दूसरी दुकान का जाकर बुक्स पूछ रहे हैं। क्योकि शहर में ज्यादातर सीबीएसई, आईसीएसई और यूपी बोर्ड के स्कूल्स बुधवार से ओपन हो रहे हैं। ऐसे में दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने मंगलवार को शहर के बड़े बुक्स मार्केट में एनसीईआरटी की बुक्स की उपलब्धता का परीक्षण किया। इस दौरान टीम के समक्ष कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पड़ताल में निकलकर आया कि डिमांड के अनुसार एनसीईआरटी की बुक्स को एवेलेबल ही नहीं कराया जा रहा है। आगरा में एनसीईआरटी द्वारा 2 बुक सेलर्स को ऑथारिटी दी गई है। किंतु जब इसने बात की गई तो इन्होंने बुक्स की उपलब्धता से इनकार किया है।

नहीं मिलेगी किताब?
आगरा में एनसीईआरटी की बुक्स की अबेलेबिलिटी चेक करके के लिए सर्वप्रथम दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम राजामंडी स्थित बुक्स मार्केट पहुंची। यहां एक फेमस शॉप पर सेल्समैन और रिपोर्टर के बीच हुई बातचीत के अंश
मानव बुक डिपो, राजामंडी
रिपोर्टर-एनसीआरटी की बुक्स चाहिए, डेढ़ सौ कक्षा आठ की।
सेल्समैन- पांच लाख बुक्स खरीदेंगे तो भी नहीं मिलेंगी।
रिपोर्टर- ऐसा क्यों?
सेल्समैन- मार्केट में बुक्स उपलब्ध नहीं हैं।
रिपोर्टर- फिर कब तक आएंगी?
सेल्समैन- फोन नंबर ले लो, बता देंगे।
रिपोर्टर- दो या तीन दिन में मिल जाएगी क्या?
सेल्समैन- कह नहीं सकते, जब आएंगी तब फोन आ जाएगा.
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गुप्ता बुक डिपो, राजामंडी

रिपोर्टर- एनसीईआरटी की बुक्स चाहिए, स्कूल के लिए।
सेल्समैन- कौनसी बुक चाहिए सर?
रिपोर्टर- एनसीआरटी की बुक्स, मेरा स्कूल है।
सेल्समैन- सब तो नहीं, लेकिन कुछ बुक्स मिल जाएंगी.
रिपोर्टर- ऐसा नहीं, हमको सभी बुक्स चाहिए।
सेल्समैन- फिर तो नहीं हैं, बुक्स।
रिपोर्टर- फिर कहां मिलेगी बुक्स?
सेल्समैन- हमको इस बारे में कोई जानकारी नहीं हैं।


10 गुना तक अंतर

क्लास 1
-फस्र्ट क्लास, एनसीआरटी बुक्स
225 रुपए
-फस्र्ट क्लास, प्राइवेट पब्लिशर्स बुक्स
2570

क्लास 2

-सेकेंड क्लास, एनसीआरटी बुक्स
280
-सेकेंड क्लास, प्राइवेट पब्लिशर्स
2955

क्लास 3
-क्लास थर्ड एनसीआरटी
275 रुपए
-क्लास थर्ड निजी पब्लिशर्स
3760 रुपए


क्लास 4
-क्लास फोर्थ, एनसीआरटी
325

-क्लास फोर्थ, निजी पब्लिशर्स
4280 रुपए

नहीं पूरी होती डिमांड
आगरा में एनसीईआरटी की बुक्स के लिए सेंट जांस क्रॉसिंग स्थित गोविंद बुक डिपो और राजामंडी मार्केट स्थित मानव बुक डिपो ऑथाराइज्ड बुक सेलर हैं। किंतु इस शॉप्स पर भी एनसीईआरटी की सभी बुक्स नहीं मिलीं। शहर में राजा की मंडी, सदर बाजार, खंदारी, भगवान टॉकिज, कारगिल चौराहा समेत कई स्थानों पर किताबों की मार्केट हैं। ज्यादातर दुकानों से एनसीईआरटी की बुक्स गायब हैं। डीलर्स का कहना है कि किसी भी सबजेक्ट की एक लाख बुक्स की डिमांड भेजी जाती है तो एनसीईआरटी की ओर से एक हजार बुक्स ही उपलब्ध कराई जा रहीं हैं।

आसपास के जिलों में भी डिमांड
एनसीईआरटी एवं अन्य प्राइवेट पब्लिशर्स की बुक्स में आगरा में बड़ी डिमांड है। यहां से आसपास के जनपदों में भी बुक्स की सप्लाई होती है।

यूपी बोर्ड में इंग्लिश की बुक
यूपी बोर्ड के स्कूल में एनसीईआरटी की बुक्स से पढ़ाई होती है। बुक्स को लेकर स्कूलों से मांग है लेकिन बुक्स उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं। क्योंकि अभी एक अप्रैल से सेशन शुरू हो चुका है। बहरहाल यहां भी एनसीईआरटी की बुक्स नहीं पहुंची हैं। बोर्ड को अभी तक 9वीं, 12वीं तक की इंग्लिश की बुक्स नहीं मिली हैं।

एक नजर में
160 स्कूल्स- केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई)
15- इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (आईसीएसई)
3 लाख स्टूडेंट्स- सभी स्कूल्स में स्टूडेंट्स

क्या है कानून?
शिक्षा विभाग की ओर से सभी स्कूलों को आदेश दिया है कि नए शैक्षणिक सत्र में बच्चों को जो बुक्स पढ़ाई जाएंगी उनकी लिस्ट न केवल स्कूल की वेबसाइट पर बल्कि नोटिस बोर्ड पर भी लगानी होगी। ताकि बुक्स बेचने में पारदर्शिता आए।

बुक्स खरीदने के लिए नहीं बाध्य
प्राइवेट स्कूल केवल एनसीईआरटी की बुक्स ही बच्चों को पढ़ा सकेंगे। ये आदेश सीबीएसई समेत सभी बोर्ड पर लागू होंगे। कोई भी स्कूल बच्चों को किसी किसी एक दुकान से बुक्स खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है। जबकि तस्वीर इसके बिल्कुल उलट है।


सीबीएसई में एनसीआरटी की बुक्स लगाई जाती है, लेकिन स्कूल में जितने स्टूडेंट्स हैं उतनी बुक्स नहीं मिल पाती हैं। इससे स्टूडेंट्स की पढ़ाई प्रभावित होती हैं। आगरा में सीबीएसई के 163 स्कूल्स हैं। उनमें लाखों स्टूडेंट्स हैं। समय से बुक्स न मिलन से प्राइवेट पब्लिशर्स की बुक्स खरीदना मजबूरी है।
- डॉ। रामानंद चौहान, सीबीएसई सिटी कोआर्डीनेटर
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एनसीआरटी की बुक्स मार्केट में उपलब्ध हैं, अगर कोई समस्या आती है तो उसका निदान किया जाएगा। निजी पब्लिशर्स की जांच की जा रही है। बुक्स के रेटों को लेकर भी शिकातय की गर्ई है। पेरेंट्स से अपील है कि किसी समस्या पर विभाग के समक्ष शिकायत करें।
- जितेंद्र गौड़, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी
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हर साल प्राइवेट स्कूलों द्वारा मनमर्जी के रेटों पर बुक्स पेरेंट्स को बेची जाती हैं। अधिकतर बुक्स पर तो एमआरपी भी नहीं होता। एमआरपी के नाम पर बुक्स पर केवल एक स्लिप चिपका दी जाती है। जिस पर पैन से रेट लिख कर बेच दिया जाता है।
पेरेंट्स

निजी पब्लिशर ज्यादा कमीशन देता है उसकी ही बुक्स बच्चों को पढ़ाई जाती हैं। लेकिन पेरेंट्स मार्केट में बुक्स को सर्च करते हैं, लेकिन बुक्स नहीं मिलती हैं। सरकार को पर्याप्त मात्रा में बुक्स उपलब्ध करानी होगी।
पेरेंट्स