आगरा। वारदात के बाद खुलासा कर अपनी पीठ थपथपाने वाली पुलिस लूटे गए माल की बरामदगी में फिसड्डी है। पिछले दिनों हुई लूट की वारदातों पर गौर किया जाए, तो अधिकतर पीडि़तों को पुलिस सिर्फ आरोपियों के पकड़े जाने की तसल्ली ही दिला पाती है। अपने लूटे गए माल में से पुलिस उन्हें फूटी कौड़ी भी नहीं दिला पाती।

साढ़े छह करोड़ लूटे, सवा दो करोड़ बरामद

जिले में पिछले सात महीनों में लुटेरों ने विभिन्न स्थानों पर वारदात में छह करोड़ 56 लाख 34 हजार 226 कैश लूटा। इसमें से पुलिस दो करोड़ 23 लाख 89 हजार 915 रुपये का ही कैश बरामद किया। इसमें से कई वारदातों के आरोपियों को पुलिस ने दबोचा, तो कई का अब तक खुलासा नहीं हो सका है। आरोपियों से पुलिस न तो जेवरात बरामद कर पाई और न ही पूरा कैश। लूट-डकैती के आधे-अधूरे खुलासे कर अपनी पुलिस वाहवाही कर लेती है। अधूरे खुलासे की चार्ज शीट तैयार कर कोर्ट में पेश कर देती है। इसका पूरा फायदा लुटेरों को मिलता है। साक्ष्य के अभाव में लुटेरों को जल्द ही जमानत मिल जाती है। यही कारण है कि जिले में पिछले सात महीनों में लूट का ग्राफ बढ़ा है।

पुलिस चाहे तो कर सकती है कुर्की

पुलिस किसी आपराधिक वारदात, जिसमें लूट, डकैती, चोरी का खुलासा करती है, तो उसे लूट गए कैश, जेवरात व अन्य सामान को भी बरामद करना चाहिए। इसमें पुलिस अपराधी द्वारा लूट के कैश से खरीदी गई सम्पत्ति की कुर्की कर सकती है। कोर्ट में इसको पेश कर सकती है कि अभियुक्त द्वारा जो खरीदारी की गई, वो लूटी गई रकम से की गई है, लेकिन पुलिस ऐसा नहीं करती है। इस बारे में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि अगर पुलिस लूट की रकम व जेवरात बरामद नहीं करती है, तो ये अधूरा खुलासा है। इसमें अपराधी को रिमांड पर लेकर कड़ाई से पूछताछ हो तो रकम को बरामद किया जा सकता है। अगर कोई खरीदारी की हो तो उसको निरस्त कर कुर्की की जा सकती है।

प्रदेश में लूट में आगरा तीसरे स्थान पर

प्रदेश के डीजीपी जावीद अहमद की वेब बेस्ड क्राइम मैपिंग सॉफ्टवेयर की समीक्षा में निकलकर आया था कि प्रदेश में आगरा लूट के वारदातों में तीसरे स्थान पर है। आगरा जोन में फीरोजाबाद और अलीगढ़ में भी लूट की वारदातों में इजाफा हुआ है। लूट में पहले स्थान पर मेरठ है। चौथे नम्बर पर कानपुर, पांचवे पर लखनऊ, छठवें पर इलाहाबाद है। बता दें, आगरा में अभी गूगल क्राइम मैपिंग का काम अधूरा पड़ा हुआ है। डीजीपी इस बारे में डीआईजी अजय मोहन शर्मा को पत्र लिखकर लूट वाले स्थानों को चिह्नांकित कर पुलिस पिकेट तैनात करने के निर्देश दिए हैं।

सोम, मंगल और शुक्र लुटेरों के दिन

लुटेरे लूट के लिए सप्ताह में तीन दिनों को अपने लिए बहुत मुफीद मानते हैं। वे लूट की घटनाओं को सोमवार, मंगल और शुक्रवार को वारदात को अंजाम देते हैं।