AGRA (8 Aug.): चौकी, थाना और अब करोड़ों का प्लॉट। लीजिए एडीए ने एक और नया कारनामा कर डाला है। इस करतूत में तो एडीए ने लोकतंत्र के मजबूत स्तंभ की हद को भी पार कर दिया। स्थानीय सिविल कोर्ट के स्थगनादेश के बावजूद करोड़ों की जमीन को पूलिंग सिस्टम के तहत नीलाम कर दिया। इसके पीछे अफसरों ने अपना निजी स्वार्थ पहले साधा है। मामला कमिश्नर साहब तक पहुंच चुका है। अब देखना होगा वो इसमें क्या करते है।

विज्ञापन जारी करने में कोर्ट के आदेश दरकिनार

दरअसल, ताजनगरी द्वितीय में 1766 वर्ग मीटर (भूखंड संख्या सी 8/1) का भूखंड है। इस जमीन पर विवाद चल रहा है। मूल वाद संख्या 781/2013 के अंतर्गत सिविल कोर्ट (प्रवर खंड) ने 18 सितंबर 2014 को स्थगन आदेश दिए। यह आदेश जारी हो गए तो जाहिर सी बात है कि ये मामला आगरा विकास प्राधिकरण यानी एडीए के संज्ञान में आया होगा। बावजूद इसके एडीए अफसरों ने लगभग सवा साल बाद छह दिसंबर 2015 को नीलामी के लिए विज्ञापन जारी किया। विज्ञापन के जरिए 30 दिसंबर 2015 को नीलामी होनी थी। यानी सीधे तौर पर कोर्ट की आज्ञा का उल्लंघन बिना सोचे-समझे एडीए अफसरों ने कर दिया।

अवगत कराया गया

इधर, विज्ञापन जारी होने के बाद 17 दिसंबर 2015 को विमल सहकारी आवास समिति लिमिटेड ने एडीए के अपर सचिव-संपत्ति अधीक्षक को इस बारे में अवगत कराया। समिति की शिकायत थी कि जो विज्ञापन जारी हुआ है, उस भूखंड पर स्टे है। उस दौरान समिति को अवगत कराया गया कि इसे निरस्त

किया जाएगा। बावजूद इसके उस भूखंड की नीलामी हुई। इस संबंध में अधिवक्ता विजय कुमार ने कमिश्नर को भेजे शिकायती पत्र में उल्लेख किया है कि स्टे के बावजूद इस भूखंड पर नीलामी की

कार्रवाई की गई। जो लोग नीलामी के लिए पहुंचे उन्हें, ये कहते हुए इंकार कर दिया कि गलती से विज्ञापन जारी हुआ है, यह भूखंड विवादित है। नीलामी को निरस्त किया जाएगा। जबकि ऐसा नहीं किया, और चंद लोगों के बीच पूलिंग प्रक्रिया के तहत नीलामी कर दी गई।