आगरा: आगरा कॉलेज लॉ फैकल्टी में प्रवेश को लेकर सोमवार को छात्रों ने हंगामा किया। कॉलेज के सामने रोड जाम कर दी। कॉलेज में जब सुनवाई नहीं हुई तो कमिश्नर से भी मिले। यूनिवíसटी में भी धरना दिया। कुलपति ने आश्वासन दिया कि कॉलेज से बात करेंगे। उन्होंने समस्या का निवारण करने का आश्वासन दिया है।

छात्रों ने किया हंगामा

सोमवार सुबह एलएलबी और एलएलएम के छात्र आगरा कॉलेज के लॉ फैकल्टी परिसर में पहुंचे। छात्रों का आरोप है कि मेरिट लिस्ट में नाम होने के बाद भी उन्हें प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। कॉलेज से उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो छात्र कॉलेज के सामने सड़क पर बैठ गए, इससे जाम लगने लगा। यह देख छात्र कमिश्नर से मिलने उनके कार्यालय पहुंचे। कमिश्नर को प्रार्थना पत्र भी दिया। कमिश्नर ने कालेज प्राचार्य डॉ। एसके मिश्रा से छात्रों की समस्या खत्म करने को कहा। छात्र कॉलेज लौट कर आए लेकिन सुनवाई नहीं हुई।

कुलपति से मुलाकात कर समस्या से कराया अवगत

इसके बाद छात्र यूनिवíसटी पहुंचे। कुलपति प्रो। अशोक मित्तल को समस्या से अवगत कराया। कुलपति ने छात्रों को आश्वासन दिया कि कॉलेज प्राचार्य से इस संबंध में बात करेंगे और जांच भी कराएंगे। छात्रों की समस्या का निवारण किया जाएगा। छात्र कृष्णा पचौरी ने बताया कि 2020-21 के लिए आवेदन किया था, मेरिट में नाम है पर कॉलेज ने प्रवेश नहीं दिया। छात्रा अंशिका सिंह का कहना था कि ऐसे लगभग 60 छात्र है, जिनका नाम मेरिट में था पर उन्हें प्रवेश नहीं मिला है। छात्र काउंसिलिंग में भी गए थे। वेटिंग लिस्ट वालों को प्रवेश मिल गया है, हमें प्रवेश नहीं दिया गया है। छात्रों का आरोप है कि कालेज उनके ाविष्य के साथ ािलवाड़ कर रहा है।

मैंने एलएलबी प्रथम वर्ष में एडमिशन के लिए एप्लाई किया था। लेकिन नियमों को ताक पर रख सीटों को भर लिया गया है। मेरिट लिस्ट में नाम आने के बाद भी एडमिशन क्यों नहीं लिया गया, इसका जवाब यूनिवíसटी अधिकारियों के पास नहीं है।

अंशिका सिंह, पीडि़त छात्रा

विभागाध्यक्ष और प्रिंसिपल एक दूसरे के पाले में गेंद फेंक रहे हैं। कोई भी जिमेदारी लेने को तैयार नहीं है। ऐसे में कमिश्नर से मुलाकात की। इसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं की गई है। छात्र-छात्राएं धरने पर हैं।

कृष्णा पचौरी, पीडि़त छात्र

यूनिवíसटी में धरना प्रदर्शन पर बैठे दर्जनों स्टूडेंट्स का मेरिट लिस्ट में नाम है। लेकिन इसके बाद भी एडमिशन नहीं दिया गया है। ऐसे में अगर छात्रों की समस्या का निदान नहीं होता तो एनएसयूआई सड़कों पर आंदोलन करने को मजबूर होगा।

सतीश सिकरवार, जिलाध्यक्ष एनएसयूआई