- केंद्र के बनाए नियमों ने छीने अधिकार

आगरा। शहर सहित प्रदेश के सभी स्मार्ट सिटी में शामिल शहर के विकास में महापौर की कोई भूमिका नहीं होगी। वे स्मार्ट सिटी के नाम पर सिर्फ सुझाव ही दे सकेंगे। स्मार्ट सिटी विकास में पूरे अधिकार स्पेशल परपज व्हिकल कमेटी के चेयरमैन और नगर निगम आयुक्त के पास होंगे। उनके पास 1000 करोड़ रुपए खर्च करने की शक्ति होगी। इसके ऊपर का खर्च नगर निगम के नियमों के अनुरूप होगा।

स्पेशल परपज व्हिकल कमेटी गठित

स्मार्ट सिटी में शामिल करने की जिम्मेदारी नगर निगम की थी। इसमें नगर निगम के महापौर की अहम जिम्मेदारी थी। स्मार्ट सिटी का कंसल्टेंट तय करने से लेकर इसके सभी कार्यो में महापौर के पास बराबर की शक्तियां थी, लेकिन जैसे ही शहर को स्मार्ट सिटी में दर्जा मिला। वैसे ही विकास की जिम्मेदारी पुराने कंधों से हटाकर नए लोगों पर दे दी गई है। इसका फॉर्मूला केंद्र ने बनाया है। जिसमें स्थानीय स्तर के राजनेताओं को दूर रखा है। स्मार्ट सिटी बनाने के लिए एसपीवी (स्पेशल परपज व्हिकल) कमेटी का गठन होगा। इसके चेयरमैन के साथ नगर निगम आयुक्त के पास स्मार्ट सिटी विकास से जुड़े सारे अधिकार और शक्तियां होंगी।

चेयरमैन होंगे कमिश्नर

स्पेशल परपज व्हिकल कमेटी के चेयरमैन कमिश्नर होंगे। वहीं नगर निगम आयुक्त सीईओ होंगे। इनके साथ 7 सदस्य होंगे। इसमें टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अधिकारी, एडीए के वीसी, बिजली विभाग के अधिकारी सहित मुख्य विभागों के आला अधिकारी शामिल होंगे। इस कमेटी के डायरेक्टर टीम के सदस्यों की संख्या बढ़ा सकते हैं।

1000 करोड़ खर्च करने का अधिकार

स्मार्ट सिटी के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से 1000 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। इस राशि को विकास कार्यो में खर्च करने का अधिकार पूरी तरह से चेयरमैन और सीईओ को होगा। इसके लिए किसी की परमिशन की जरूरत नहीं होगी। स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट के लिए ही सिर्फ एसपीवी का गठन किया गया है।

महापौर दे सकेंगे सिर्फ सुझाव

केंद्र सरकार ने पहले ही इस प्रोजेक्ट में जनप्रतिनिधियों की भूमिका तय कर दी है। इसमें महापौर सहित सांसद, विधायक सिर्फ सुझाव दे सकेंगे। इसे मानने के लिए कमेटी बाध्य नहीं होगी। हालांकि स्मार्ट सिटी के लिए एक सलाहकार समिति बनाई जाएगी, जिसके अध्यक्ष महापौर होंगे।