विवेचना को गए थे चंदपुरा

गुरुवार की रात 55 वर्षीय दारोगा दिनेश मिश्रा दहेज उत्पीडऩ सहित कई मामलों की विवेचना के लिए गांव चंदपुरा गए थे। उनके साथ उनका नौकर आगरा के काङ्क्षलदी बिहार निवासी धीरज भी था। जो तीन महीने से उनके साथ रह रहा था। रात आठ बजे लौटते समय पीथेपुर-चंदपुरा मार्ग में सुनसान इलाके में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस वारदात से पुलिस महकमे में खलबली मच गई। रात को ही एडीजी राजीव कृष्ण और आइजी दीपक कुमार ने घटनास्थल का जायजा लिया था। हालातों और बयानों के आधार पर पुलिस को धीरज शर्मा पर शक था। उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की गई तो वह बाइक सवार अज्ञात बदमाशों द्वारा गोली मारकर भागने की बात कहता रहा, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट और फारेंसिक जांच से ये साफ हो गया था कि दारोगा को गोली पास से मारी गई है। उनका शव औंधे मुंह पड़ा मिला था। चश्मा अलग पड़ा था जो टूट गया और बाइक साइड स्टैंड पर खड़ी हुई थी।

एसपी ग्रामीण कुमार रण विजय ङ्क्षसह ने बताया कि सभी साक्ष्य ये इशारा कर रहे थे कि हत्या धीरज ने ही की है। इसलिए उससे कड़ाई से पूछताछ की तो वह टूट गया। उसने हत्या की बात स्वीकार करते हुए कहा कि दारोगा ने प्रतिमाह 10 हजार रुपए देने की बात कही थी, लेकिन दो महीने से पैसे नहीं दिए थे। उसने बेटी की फीस भरने और किताबें खरीदने के लिए रुपये मांगे वो भी नहीं दिए। बल्कि उसे अपमानित किया। घटना के समय भी बाइक पर चलते समय इसी बात को लेकर उसका दारोगा से विवाद हो गया। एसपी ने बताया कि धीरज ने काफी शराब पी रखी था। सुनसान इलाका देख उसने लघु शंका करने के बहाने बाइक रुकवाई और दारोगा से झगड़ा करने लगा। इसी दौरान उसने तमंचे से गोली मार दी। जो उनकी गर्दन के पिछले हिस्से में लगी और पार निकल गई। पुलिस लाइंस में वार्ता के समय सीओ सिरसागंज प्रवीण प्रवीण कुमार और इंस्पेक्टर अरांव योगेंद्र ङ्क्षसह, एसओ शिकोहाबाद हरवेंद्र मिश्रा भी उपस्थित रहे।

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ऐसे खुला हत्या का राज:

एसपी ने बताया कि दारोगा को गोली मारने के बाद धीरज ने सबसे पहला फोन इंस्पेक्टर अरांव को किया और दुर्घटना होने की बात कही। यही बात दारोगी पत्नी को फोन पर बताई। घटनास्थल के निकट उदयवीर बघेल का मकान और स्कूल है। वह उस समय छत पर थे। फायर की आवाज सुनकर उनका ध्यान उधर गया, लेकिन अंधेरे के कारण स्पष्ट दिखाई नहीं दिया। उनकी बेटी ने कहा कि बाइक खड़ी है शायद टायर फटा है। इसी दौरान वहां से गुजर रहे एक साइकिल वाले से उदयवीर ने देखने को कहा तो उसे बताया कि दारोगा मिश्रा जी पड़े हैं। इसी दौरान वहा पीथेपुर निवासी राजू सिसौदिया भी पहुंच गए। धीरज ने उन्हें भी यही बताया कि सड़क दुर्घटना हुई है, लेकिन उन्होंने गर्दन से खून बहते देखा तो गोली लगने का अहसास हुआ। इसके बाद धीरज ने बदमाशों द्वारा गोली मारने की कहानी रची। एसपी ने बताया कि शनिवार को लखनऊ से आई विशेषज्ञों की टीम ने घटना स्थल पर जाकर सीन रिक्रिएट किया। विशेषज्ञों का भी मानना है कि गोली काफी पास से मारी गई है।

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भूसे की बुर्जी में छिपाया तमंचा:

गोली मारने के बाद धीरज ने तमंचा भूसे की बुर्जी में छिपाया जो उसकी निशानदेही पर पुलिस ने बरामद कर लिया। एसपी ने बताया कि बुर्जी में छिपाने से पहले धीरज ने अन्य सुरक्षित स्थान दौड़कर देखे। इस दौरान उसकी एक चप्पल सड़क के एक तरफ और दूसरी तरफ छूट गई।