प्रशासन ने नहीं उठाई मलबा उठाने की जहमत

खुले आसमान के नीचे सड़क पर पीडि़त परिवार

आगरा। थाना जगदीशपुरा के शांति नगर में हुए विस्फोट के बाद परिवार सड़क पर है। प्रशासन ने मकान का मलबा हटवाने की जहमत तक नहीं उठाई। इस संकट के समय में क्षेत्रीय लोग पीडि़त परिवार की सहायता कर रहे हैं।

सड़क पर परिवार

मकान ढहने से परिवार सड़क पर है। खुले आसमान के नीचे परिवार ने रात सड़क पर ही बिताई। मलबा अभी नहीं हटा है। मकान के बचे हुए हिस्से पर भी गिरने का खतरा मंडरा रहा है। परिजनों का कहना था कि रात भर सो नहीं सके। मलबे में दबी अपनों की चीख अब भी कानों में गूंज रही है।

मां की याद कर रहे बच्चे

राजेश के तीन छोटे बच्चे हैं। दिन में तो बच्चों को कोई न कोई बहला लेता है, लेकिन रात होते ही उन्हें अपनी मां की गोद याद आती है। मजबूर पिता अपने सीने से लगाकर उनके इस दर्द को कम करने की कोशिश करता है।

कैसे बनेगा मकान

पीडि़त परिवार यह सोच कर दुखी है कि मकान अब कैसे बनेगा। 50 वर्षीय मां लक्ष्मी देवी पत्‍‌नी स्व। जगदीश घरों में पोंछा-बर्तन करती है। उसका एक बेटा राजेश बिचपुरी में नमकीन फैक्ट्री में काम करता है। अशोक और सोनू भी मजदूर हैं। उनका कहना है कि आय इतनी नहीं है कि अब वह दोबारा मकान बना सकें।

राजेश को नहीं थी जानकारी

क्षेत्रीय लोगों का कहना था कि घर के बेसमेंट में रह रहा किरायेदार किस तरह से काम करता है, इसकी जानकारी राजेश को नहीं थी। वह झलाई के काम के बारे में ज्यादा नहीं जानता था। कम्प्रेशर के टुकड़े पड़ोस में राजेश की बुआ के मकान की दीवार में भी धंस गए।

प्रशासन से मलबा साफ कराने की मांग

परिजनों का कहना था कि घटना वाले दिन नगर निगम के अधिकारी आए थे, लेकिन उन्होने यहां कोई सफाई नहीं कराई। क्षेत्रीय लोगों ने प्रशासन से मलबा साफ कराने की मांग की।

उजड़ गई जीवनभर की पूंजी

25 वर्ष पूर्व पति की मौत के बाद लक्ष्मी देवी संघर्ष कर इस मुकाम तक पहुंची थी। पति शांति नगर में एक प्लॉट छोड़ गए थे, जिस पर एक कमरा बना था। घरों में झाड़ू-पोंछा कर बच्चों की परवरिश की। उसकी जीवन भर की पूंजी यह मकान और उसका परिवार था, जो अब उजड़ चुके हैं।

कर्जा अभी भी बाकी है

टूटे घर और बहू की मौत ने लक्ष्मी देवी को तोड़कर रख दिया है।

उसकी आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे। रोते हुए बताया कि पति एक कमरा बना कर छोड़ गए थे। बाकी का घर उन्होंने पाई-पाई जोड़ कर व ब्याज पर रुपये लेकर बनवाया। अभी कर्जा चुका भी नहीं कि मकान ढह गया।