- सपा सरकार के चार वर्ष पूरे होने पर निकाली जा रही है जनसंदेश यात्रा

- मजदूरों से ले रहे साइकिल, फोटो क्लिक कराने तक सपाइयों की कर्तव्यनिष्ठा

आगरा। एक ओर जरूरतमंदों को साइकिल बांटकर सूबे की सरकार दिल जीतने में लगी है, तो सपाई जुगाड़ की साइकिलों से अपने नेता को खुश करने में लगे हैं। अखिलेश सरकार की उपलब्धियों और योजनाओं को जनता तक पहुंचाने के लिए जनसंदेश यात्रा के नाम पर सिटी में दौड़ रही सपा की साइकिल यात्रा में कुछ ऐसा ही दिख रहा है। रैली निकालने से पहले सपाई विभिन्न फैक्ट्रियों की चौखट पर दस्तक देते हैं। यहां कुछ घंटे के लिए मजदूरों से साइकिल मांगी जाती है। मना करने पर रुपये का लालच दिया जाता है। इससे जहां मजदूरों को मुश्किल होती है, वहीं सपाइयों की कार्यनिष्ठा पर भी सवालिया निशान लगता है।

सपाइयों पर साइकिल का टोटा

सरकार के चार वर्ष पूरे होने पर पार्टी हाईकमान ने लोगों तक सरकार की उपलब्धियां पहुंचाने के लिए सपाइयों को फरमान जारी किया। इसके तहत नेताओं को अपने क्षेत्र में जनसंदेश रैली निकालनी है। अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। क्या बड़ा-क्या छोटा, पार्टी से जुड़ा हर नेता हाईकमान के सामने नंबर बढ़ाने को साइकिल लेकर सड़क पर उतर गया। समर्थकों के साथ अपने क्षेत्र में भ्रमण करने लगा। लेकिन, हाईकमान के साइकिल से जन-जन तक उपलब्धियां पहुंचाने के निर्देश सपाइयों के लिए मुश्किल बन गए। असल में लग्जरी गाडि़यों में घूमने वाले सपाइयों के पास साइकिल का टोटा है।

सपाइयों का फैक्ट्रियों में धावा

पार्टी प्रमुख को खुश करना था। ऐसे में सपाइयों ने इसका तोड़ भी निकाल लिया। साइकिलों के लिए उन्होंने फैक्ट्रियों का रुख किया। यहां साइकिलों की कतार लगे रहना आम बात है। प्रदेश सरकार द्वारा भी पंजीकृत मजदूरों को साइकिल वितरित कीं गई। सपाई फैक्ट्रियों में पहुंच मजदूरों से साइकिल लेने लगे। जिसने देने से मना किया, उस पर फैक्ट्री प्रबंधन से दबाव डलवाया। फिर भी नहीं माना, तो कुछ रुपये का ऑफर दे दिया।

कुछ दूरी बाद ही जवाब दे गई हिम्मत

फैक्ट्रियों से साइकिल लेकर सपाई सड़कों पर तो आ गए, लेकिन लग्जरी वाहनों में घूमने वाले सपाइयों की हिम्मत चिलचिलाती धूप में जवाब दे गई। कुछ दूरी का सफर तय करने के बाद ही साइकिल का पहिया थम जाता। फोटो क्लिक कराने के बाद लग्जरी वाहनों में सवार होकर बैठकों और चौपालों के लिए रवाना हो जाते। मजदूरों की साइकिल फैक्ट्रियां पहुंचा दी जातीं।

हम से लेकर जाते हैं साइकिल

फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सपा नेता उनके पास साइकिल लेने के लिए आते हैं। साइकिल देने से मनाकर देते हैं, तो सुपरवाइजर से कहलवाया जाता है। साइकिल देने की एवज में उन्हें पैसा दिए जाने का भी ऑफर दिया जाता है।