आगरा(ब्यूरो)। बाड़े में कोई नुकीला किनारा नहीं है। इसी तरह इस सेंटर में बुजुुर्ग हथिनी नीना जैसे हाथियों का ध्यान रखा जा रहा है। ऐसे करीब 2600 हाथी भारत में बंदी बने हुए हैैं। विशेषज्ञ कहते हैैं कि हाथी जंगल के ईको सिस्टम के जरूरी हैैं। यदि हाथी कम होंगे तो जंगल का ईको सिस्टम बिगड़ जाएगा। इसलिए हाथियों को बचाना जरूरी है।

नीना के भी पैर खराब हैं

वाइल्डलाइफ एसओएस के पशु चिकित्सा सेवा के उप निदेशक डॉ। एस इलियाराजा ने बताया कि हम जीवनभर क्रूरता का शिकार हुए हाथियों का ध्यान रखते हैैं। ज्यादातर हाथियों के पैर खराब हो जाते हैैं। नीना के भी पैर खराब हैं। नीना अथराइटिस से पीडि़त हैै वह पूरी तरह से अंधी है। पशु चिकित्सा टीम जोड़ों से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए सावधानीपूर्वक लेजर थेरेपी और मसाज करती है, जिससे नीना को काफी राहत मिलती है। इसके अतिरिक्त, दर्द से निजात के लिए दवा, मल्टीविटामिन की खुराक और लीवर टॉनिक के साथ-साथ स्वस्थ और पौष्टिक आहार नीना की दिनचर्या में शामिल है।

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने बताया कि हर साल 12 अगस्त विश्व हाथी दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य हाथियों की रक्षा करना है और इसके साथ ही उनके संरक्षण की आवश्यकता के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना भी है। वाइल्डलाइफ एसओएस हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र में रह रहे हाथियों की देखभाल करता है। उन्होंने बताया कि वाइल्ड लाइफ एसओएस तीन हाथी पुनर्वास सुविधाओं का प्रबंधन और संचालन करते हुए अब तक 50 से अधिक हाथियों की मदद करने में कामयाब रहा है। उन्होंने कहा कि नीना, भोला और सूजी की तरह, जब हमने ऐसे और भी वृद्ध हाथियों को रेस्क्यू किया तब वह बेहद ही कमजोर, कुपोषित और घायल थे। हमारी देखरेख में काफी समय बिताने के बाद आज वे अपने अतीत की यातनाओं से बाहर आ रहे हैं। विश्व हाथी दिवस पर हम इस बात को बढ़ावा देना चाहते हैं कि व्यावसायिक रूप से शोषित हाथियों के जीवन को कैसे बेहतर बनाया जा सके एवं उन्हें अच्छी गुणवत्ता वाली पशु चिकित्सा देखभाल प्रदान की जा सके। आज अनुमान है, कि भारत में करीब 2,600 से अधिक बंदी हाथी हैं और इनको सहायता प्रदान करने के लिए बहुत ही अधिक संसाधनों की आवश्यकता है। हम एक ऐसा भविष्य देखना चाहते हैं, जहां सड़कों पर हाथियों से भीख मंगवाना बंद हो सके।

वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव गीता शेषमणि ने बताया कि घायल, बीमार और वृद्ध हाथियों के इलाज के लिए, वाइल्डलाइफ एसओएस ने नवंबर 2018 में मथुरा में भारत का पहला हाथी अस्पताल स्थापित किया। संयोग से वृद्ध हाथियों में से एक 60 वर्षीय हौली, अस्पताल में इलाज पाने वाली पहली हथिनी बनी। लेजऱ थेरेपी और हाइड्रोथेरेपी जैसी सुविधाओं से लैस अस्पताल ने उसके इलाज को बेहतर बनाने में काफी मदद मिली।