आगरा(ब्यूरो)। टीटीजेड (ताज ट्रिपेजियम जोन) क्षेत्र में 15 साल पुराने वाहनों का संचालन प्रतिबंधित है। ऐसे सभी वाहनों को काटे जाने के लिए सरकार द्वारा अधिकृत सेंटर खोला गया है। प्रदेश में पहले सेंटर में फिलहाल आगरा मंडल के जिलों के वाहनों को काटा जाएगा। सेंटर का शुभारंभ उप परिवहन आयुक्त मयंक ज्योति व डीसीपी ट्रैफिक अरुण चंद्र ने संयुक्त रूप से किया। काटे जाने वाले वाहन के मालिक को वाहन के वजन का 65 प्रतिशत का भुगतान 22 रुपए किलो के हिसाब से किया जाएगा। वाहन बस, ट्रक या फिर कितनी ही महंगी कार हो, सभी के लिए रेट एक समान हैं।

ऐसे वाहन बनेगा स्क्रैप
वी वैंचर्स के निदेशक संजीव जैन ने बताया कि वाहन का वजन लेने से पहले रेडियो एक्टिव स्क्रैनर से जांच होगी। इससे विस्फोटक सामग्री का पता चलेगा। टायर और सिलेंडर के साथ बैटरी, इंजन, गियर बॉक्स, सीट, डेश बोर्ड, शीशे, चैसेज नंबर को अलग किया जाएगा। इसके बाद वाहन को काटा जाएगा। शीशे और टायरों को प्रदूषण नियंत्रण इकाई को बेचा जाता है।

ये होती है कीमत
ऑल्टो 14 से 16 हजार
होंडा सिटी 20 से 22 हजार
इंडिगो 22 से 24 हजार
बीएम डब्ल्यू 26 से 28 हजार

यहां वाहनों की कम संख्या
वी वैंचर्स स्क्रैप सेंटर पर अभी तक कुल 24 वाहन स्क्रैप के लिए पहुंचे हैं। जिनमें अन्य जिलों के वाहनों की संख्या लगभग 18 है। आगरा के महज 6 वाहन ही स्क्रैप के लिए पहुंचे हैं। इसमें रोडवेज बसें, सरकारी ट्रैक्टर, कार शामिल हैं।

जिले के 1.82 लाख कटेंगे
आरटीओ कार्यालय के अनुसार 15 साल पुराने वाहनों की संख्या जनपद में लगभग 1.82 लाख है। जिनका संचालन शहर में प्रतिबंधित है लेकिन अभी तक स्क्रैप कराने के लिए सेंटर पर पहुंचने वाले ऐसे वाहनों की संख्या महज छह है।

नए वाहन में 10 फीसदी छूट
अगर कोई भी वाहन स्वामी स्क्रैप सेंटर पर वाहन को कटवाता है। इसके एक साल के अंदर नया वाहन खरीदना चाहता है तो उसे रोड टैक्स में 10 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। इसके साथ ही आपका वाहन वर्ष 2003 से पहले का है और उसपर बकाया (टैक्स) चला आ रहा है तो स्क्रैप कराए जाने पर टैक्स में 75 प्रतिशत तक की छूट मिलेगी। वर्ष 2003 के बाद और वर्ष 2008 से पहले का वाहन है तो बकाया पर 50 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।

15 साल पुराने वाहनों को स्क्रैप सेंटर पर स्क्रैप कराए जाने में लाभ है। नया वाहन खरीदने से लेकर बकाया में छूट का प्राविधान है। इसका लाभ लिया जा सकता है।
प्रमोद कुमार, आरटीओ प्रशासन