किया वर्कशॉप का आयोजन
दिल्ली गेट स्थित समर्पण भवन में समर्पण समिति और इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक आगरा (आईएपी) द्वारा वर्कशॉप का आयोजन किया गया। वर्कशॉप में आईं दिल्ली की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ। अमिता महाजन ने बताया कि चेलेशन थेरेपी और बॉनमेरो ट्रांसप्लांट के लिए पीएम रिलीफ फंड, सीएम रिलीफ फंड व सामाजिक संस्थाओं द्वारा मरीजों की मदद की जा रही है। उन्होंने बताया कि बॉनमेरो ट्रांसप्लांट की सुविधा अभी आगरा में नहीं है। दिल्ली में सरकारी हॉस्पिटल में इसका खर्च दस लाख रुपए और प्राइवेट हॉस्पिटल में लगभग बीस लाख रुपए आता है। यह 70 से 90 परसेंट तक सफल होता है।

दो लाख रुपए की की जाएगी मदद
समर्पण समिति के प्रेसिडेंट अजय कंसल ने कहा कि जिन बच्चों का बोन मेरो ट्रांसप्लांट होना है, उन्हें दो लाख रुपए की आर्थिक सहायता संस्था द्वारा दी जाएगी। सोसाइटी के डॉ। आलोक अग्रवाल ने बताया कि संस्था में 122 थेलेसीमिया के मरीज पंजीकृत हैं। इन्हें हर वर्ष 1500 यूनिट ब्लड नि:शुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है।

यह रहे मौजूद
कार्यक्रम में चीफ गेस्ट वरिष्ठ बालरोग विशेषज्ञ डॉ। राकेश भाटिया रहे। संचालन बाल रोग विशेषज्ञ डॉ। अनिल अग्रवाल द्वारा किया गया। समिति सचिव अनिल गणपति, पूर्व प्रेसिडेंट राकेश सुरेका, राकेश अग्रवाल, मोहित अग्रवाल, डॉ। स्वति, डॉ। योगेश दीक्षित आदि मौजूद रहे।
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शादी से पहले करा लें ब्लड की जांच
दुनियाभर में हर सप्ताह थेलेसीमिया ग्रसित बच्चा पैदा हो रहा है। भारत में भी तेजी से थेलेसीमिया से ग्रसित बच्चों की संख्य बढ़ रही है। डॉ। अमिता ने बताया कि जिस तरह से शादी से पहले लड़का-लड़की की कुंडली मिलाई जाती है। ठीक इसी तरह से शादी से पहले लड़का-लड़की दोनों को अपने ब्लड की जांच करानी चाहिए। यह ज्यादा महंगा टेस्ट नहीं है। उन्होंने बताया कि भारत में चार परसेंट लोग थेलेसीमिया कैरियर है। इनमें से किसी में भी 25 परसेंट से अधिक थेलेसीमिया का संक्रमण है तो प्रेगनेंसी के बाद होने वाला बच्चा थेलेसीमिया से ग्रसित हो सकता है। इसलिए शादी से पहले ब्लड की जांच कराना जरूरी हो जाता है।

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हर महीने चाहिए होता है ब्लड
थैलेसीमिया से पीडि़त बच्चों को हर महीने दो से चार यूनिट ब्लड चाहिए। इन बच्चों की जान बचाने के लिए डॉक्टर भी आगे आए हैं। एसएन मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर इन बच्चों के लिए ब्लड डोनेट कर रहे हैं। सोमवार को थैलेसीमिया दिवस पर बीमारी को लेकर लोगों को जागरूक किया जाएगा। एसएन मेडिकल कॉलेज स्थित ब्लड बैंक प्रभारी डॉ। नीतू चौहान ने बताया कि थैलेसीमिया से पीडि़त बच्चों में खून की कमी हो जाती है। हर महीने दो से चार यूनिट ब्लड चढ़ाना पड़ता है। बाल रोग विभाग की डॉ। मधु नायक, डॉ। पंकज, मेडिसिन विभाग के डॉ। अजीत चाहर, डॉ। प्रभात अग्रवाल, डॉ। विशाल गुप्ता, डॉ। केएस दिनकर थेलेसीमिया मरीजों के लिए ब्लड डोनेट कर रहे हैैं।


थेलेसीमिया मरीजों का बोनमेरों ट्रांसप्लांट और चेलेशन थेरेपी से उपचार संभव है। इसमें सरकार व सामाजिक संस्थाएं भी मदद कर रही हैैं।
- डॉ। अमिता महाजन, बाल रोग विशेषज्ञ, दिल्ली

थेलेसीमिया मरीजों को हर माह दो से चार यूनिट खून की जरूरत पड़ती है। इसके लिए ब्लड बैैंक से उन्हें नि:शुल्क ब्लड उपलब्ध कराया जाता है। सभी लोग ब्लड डोनेट करें।
- डॉ। नीतू चौहान, प्रभारी, ब्लड बैैंक, एसएनएमसी