आगरा। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार आगरा में छह माह से आठ माह तक के 32.9 प्रतिशत बच्चों को स्तनपान के साथ पूरक आहार दिया गया। जबकि छह माह से 23 माह तक के कुल 10.6 प्रतिशत बच्चों को ही पर्याप्त पूरक आहार दिया गया।


ऐसे बच्चे को देना शुरू करें खाना
डायटिशियिन ललितेश ने बताया कि जब बच्चा छह माह का हो जाए तो उसके खाने का स्वरूप टूथपेस्ट की तरह होना चाहिए। उसे केला, सादी दाल, खिचड़ी, दलिया, आटे से बना हलवा आदि खिलाना चाहिए। उसे 2-4 चम्मच खाना दो से तीन बार खिलाना चाहिए। बच्चे को एक-एक करके मसला हुआ फल, सब्जी, अनाज व दालें दें। साथ ही धीरे-धीरे खाने की मात्रा बढ़ाएं।

उम्र के हिसाब से बदलें खाना
डायटिशियन ललितेश ने बताया कि छह से आठ माह तक के बच्चे को पेस्ट जैसा खाना दें। नौ से 11 माह तक की उम्र के बच्चे को सलाद का टुकड़े जैसा चबाने वाला फूड देना शुरू कर दें, क्योंकि इस उम्र में बच्चे के दांत आना शुरू हो जाते हैं। खाना चबाने से उसके मसूड़ों की भी कसरत हो जाती है। बच्चे की उम्र एक साल होने पर उसे घर में बन रहे सभी प्रकार के खाने को देने की आदत डालें। उसे दाल, सब्जी, फल इत्यादि को नरम करके दें।

मजबूत हडिड्यों के लिए दें घी
डायटिशियन ललितेश ने बताया कि बच्चों को खाने में हो सके तो घी अवश्य दें। क्योंकि शरीर में बच्चे जब फैट पहुंचेगा तभी विटामिन-डी अच्छी तरह से ऑब्जर्व हो पाएगा। जब विटामिन-डी पर्याप्त मात्रा में मिलेगा तो कैल्शियम ऑब्जर्व हो पाएगा। उन्होंने कहा कि इस दौरान बच्चे की मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत होती हैं। इसलिए बच्चे को घी देना फायदेमंद है।

पूरक आहार देने से बच्चा हुआ स्वस्थ
डायटिशियन ने बताया कि बीते दिनों एनआरसी में फतेहपुर सीकरी निवासी रानी की डेढ़ साल की बच्ची कल्पना को कुपोषण होने पर लाया गया था। जब वह यहां आई तो पता चला कि वह पहले पैकेज्ड फूड खाती थी। उसे इसकी आदत पड़ गई और अन्य खाना नहीं खाती थी। ऐसे में वह कमजोर होने लगी और कुपोषित हो गई। एनआरसी में आने के बाद कल्पना ने खिचड़ी, दलिया इत्यादि खाना शुरू कर दिया और बच्ची स्वस्थ होने लगी।


ऐसे खाना खिलाना सिखाएं
-6 से 8 माह तक- पेस्ट जैसा फूड दें
-9 से 11 माह तक- फिंगर टाइप फूड दें
-एक साल का होने पर- बच्चे को सभी तरह का खाना देना शुरू करे।


बच्चों को स्तनपान के साथ कॉम्पलिमेंट्री फूड देना जरूरी है। इसमें पोषक तत्व होते हैैं। बच्चे को रसोई में बना हुआ खाना ही दें।
- ललितेश शर्मा, डाइटिशियन, एनआरसी