आगरा(ब्यूरो)। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने गूगल सर्वे के माध्यम से लोगों से सवाल पूछे। सर्वे में 230 लोगों ने भाग लेकर अपनी राय दी। सर्वे में 91.3 परसेंट लोगों ने कहा कि वह ऑटो की सवारी करने में खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते हैैं। वहीं 82.6 परसेंट लोगों ने कहा कि वह असुरक्षित महसूस होने बावजूद मजबूरी में ऑटो की सवारी करते हैैं क्योंकि और कोई सुरक्षित पब्लिक ट्रांसपोर्ट का विकल्प नहीं हैैं। 87 परसेंट लोगों ने कहा कि शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की स्थिति सुगम नहीं है।

शहर में सुगम नहीं पब्लिक ट्रांसपोर्ट की स्थिति

केवल 13 परसेंट लोगों ने शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की स्थिति से संतुष्टी जताई। 95.7 परसेंट लोगों ने कहा कि वह शहर में रॉन्ग साइड चलने वाले वाहनों से परेशान होते हैैं। शहर के लोग भी नियमों का पालन नहीं करते हैैं। इससे एक्सीडेंट होने के ज्यादा चांस रहते हैैं। सर्वे में 91.3 परसेंट लोगों ने शहर में ट्रैफिक को लेकर किए गए इंतजामों को पर्याप्त नहीं बताया। लोगों का कहना है कि शहर में ट्रैफिक के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर पर्याप्त नहीं है। चाहे वो पैदल सड़क पार करने वालों के लिए जेब्रा क्रॉसिंग की स्थिति, फुटपाथ, सड़क पर चलने के लिए सही रोड की स्थिति हो। सभी पर्याप्त नहीं हैैं।

ढो रहीं क्षमता से अधिक सवारियां
ऑटो में चालक तीन से अधिक सवारियां सीट पर बैठाते हैं, वहीं डिग्गी में भी तीन से चार लोगों को बैठाते हैं। शहर में क्षमता से अधिक सवारियां ऑटो में बैठाते हैं। इससे आवागमन के दौरान दुर्घटना घटित होने की आशंका रहने लगी है। शहर व आसपास के रूट पर फर्राटा भर रहे ऑटो व टैंपो चालक सड़कों पर खुले आम मनमानी कर रहे हैं। स्थिति यह है कि यह लोग ट्रैफिक रूल्स की अनदेखी करते देखे जा सकते हैं, वहीं ऑटो को मनमानी जगह पर रोक कर क्षमता से कई गुना अधिक सवारियां भरकर चल रहे हैं।

अक्सर होते हैं दुर्घटना का शिकार
चालक ऑटो में सवारियों को ठूंस- ठूंसकर भरते हैं, सवारियों को लटकाकर चलने वाले ऐसे वाहनों पर लोग कई बार दुर्घटनाओं का शिकार हो चुके हैं। फिर भी ऑटो व टैक्सी चालकों की की मनमानी जारी है। इसी महीने ऑटो चालक समेत छह सवारियों की हादसे में मौत हो चुकी है। जबकि ट्रैफिक पुलिस की ओर से आए दिन पब्लिक और चालकों को अवेयर करने के लिए अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन इसके बाद भी दी गई पूरी तरह से बेअसर हो गई है। रूल्स के अनुसार ऑटो में चालक के अलावा तीन सवारियां बैठ सकती है जबकि चालक के अलावा छह सवारियां बैठाई जाती हैं। लेकिन हालात यह है कि ऑटो में आठ और मैजिक में 18 से अधिक सवारियां बैठाई जा रही है। कभी-कभी तो तीन पहिया इन वाहनों की हालत यह होती है कि यह पीछे की ओर उठते हुए नजर आते हैं।

अधिकतर बिना परमिट के चल रहे वाहन
शहर में कई वाहन बिना रजिस्ट्रेशन के ही संचालित किए जा रहे हैं। ऐसे में सरकार को हर महीनों हजारों रुपए का चुना तो लग ही रहा है। बल्कि कभी कोई हादसा हो गया तो इनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई भी नहीं हो पाएगी। अगर ठीक से इसकी जांच की जाए तो कई वाहन ऐसे निकल सकते हैं जिन पर नंबर फर्जी लिखवाया गया है। ऑटो रिक्शा और मैजिक की स्टेयरिंग कभी-कभी तो टीनएजर के हाथों में देखी जा रही है। इससे हादसे होने की आशंका और अधिक बढ़ जाती है।

जान जोखिम में डालकर ऑटो का सफर
इन ऑटो और मैजिक चालकों द्वारा चंद पैसों की खातिर लोगों की जान जोखिम में डालने का काम किया जा रहा है। अगर कोई सवारी अधिक लोगों को बैठाए जाने पर आपत्ति करती है तो इनके द्वारा कहा जाता है कि क्या दुगने पैसे दोगे। जबकि हकीकत यह है इनके द्वारा लोगों से मनमाना किराया वसूल किया जाने लगा है। यहां दूर दराज से आने वाले लोग मजबूरी में ऑटो और मैजिक का सफर करते हैं। जान जोखिम मेें डालकर सफर करना पड़ता है। इससे कभी-कभी हादसे का भी शिकार हो जाते हैं।

चालक अपने बगल में बैठाते हैं सवारी
इन वाहनों के ड्राइवर अपने अगल बगल में भी एक-एक सवारी बैठा लेते हैं जिससे इनके चलाने में भी दिक्कत होती है लेकिन इस प्रकार की मनमानी पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। सर्वाधिक सवारियां भरकर ऑटो ओर मैजिक वाहन शहर के भीतरी इलाकों के आसपास के रूट पर चलाए जा रहे हैं। इन पर चेकिंग होती नहीं है इस कारण इनके चालक पूरी तरह से मनमानी करते नजर आते हैं। चालकों की इस मनमानी से कई बार सवारियां दुर्घटना का शिकार हो जाती हैं। एमजी रोड पर चेकिंग होने के कारण ऑटो चालक अधिक सवारियों को नहीं बैठाते हैं।


शहर में चलने वाले टैक्सी ऑटो को सख्त हिदायत दी गई है कि कोई भी क्षमता से अधिक सवारियां न बैठाए। इसके बाद भी कई ड्राइवर मनमानी कर रहे हैं इनके चालान भी किए जा रहे हैं। अब शहर के ऐसे स्थानों पर चैकिंग की भी प्रक्रिया शुरू की गई हैं, जहां ऑटो चालकों का आवागमन बना रहता है।
सैय्यद अरीब अहमद, एसीपी ट्रैफिक


ऑटो रिक्शा मेें क्षमता से अधिक सवारियों को बैठाया जाता है, यहां तक की ऑटो की डिग्गी में भी तीन से अधिक सवारियों को चालक बैठाते हैं, इससे दुर्घटना की संभावना बनी रहती है।
गोपाल


ऑटो चालकों पर लगातार कार्रवाई की जाती है इसके बाद भी वे रोड पर मनमानी करते हैं, कहीं भी सवारी खड़ी हो वो रोक देते हैं, जो दुर्घटना का कारण बन जाता है। इनको ट्रैनिंग देनी होगी।
गुरुनाम चावला


शहर पब्लिक ट्रांसपोर्ट में अॅाटो की अहम भूमिका है, लेकिन लोग मजबूरी में इन ऑटो में सफर करते हैं, क्योंकि ये ट्रैफिक रूल्स फॉलो नहीं करते हैं।
चौधरी दिलीप सिंह


ट्रैफिक रूल्स को सभी को फॉलो करना चाहिए, क्योंकि इसमें खुद की सुरक्षा के साथ दूसरों को भी सुरक्षा महसूस होती है। इससे दुर्घटना होने की संभावना भी नहीं रहती, सभी को ट्रैफिक रूल्स का पालन करना होगा।
हरीदत्त शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता

1-क्या आप ऑटो की सवारी करने पर खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं?
हां- 8.7 परसेंट
नहीं-91.3 परसेंट
2-असुरक्षित महसूस होने पर क्या आप मजबूरी में ऑटो की सवारी करते हैं?
हां- 82.6 परसेंट
नहीं- 17.4 परसेंट
3-क्या शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की स्थिति सुगम है?
हां- 87 परसेंट
नहीं- 13 परसेंट
4-क्या आप भी रॉन्ग साइड वाहनों से परेशान होते हैं?
हां- 95.7 परसेंट
नहीं- 4.3 परसेंट
5- क्या शहर में ट्रैफिक को लेकर इंफ्र ास्ट्रक्चर पर्याप्त है?
हां- 91.3 परसेंट
नहीं- 8.7 परसेंट