आगरा(ब्यूरो)। परिजनों ने नवजात के शव को सड़क पर रखकर हंगामा करना शुरू कर दिया। मौके पर पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची। इसके बाद में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जांच करने के बाद में हॉस्पिटल में मरीजों को एडमिट करने पर रोक लगा दी। वहीं, पहले से एडमिट मरीजों को दूसरे हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दिया।

बच्चे के पेट में भर गया था गंदा पानी
आंवलखेड़ा निवासी किशनपाल ने बताया कि उनकी पत्नी को दो दिसंबर को नॉर्मल डिलीवरी से बच्चा हुआ था। बच्चे के पेट में गंदा पानी भरा होने पर उसे एएस चिल्ड्रन हॉस्पिटल में एडमिट किया गया था। यहां पर डॉ। विजय यादव बच्चे का इलाज कर रहे थे। उन्होंने शुरूआत में कहा कि बच्चा ठीक है। उपचार के बाद में ठीक हो जाएगा। बच्चे को आईसीयू में एडमिट कर दिया गया। 13 दिन तक हमें बच्चे के पास नहीं जाने दिया गया। इस दौरान दवाओं और इलाज के नाम पर पौने दो लाख रुपए ले लिए। किशनपाल ने बताया कि बच्चे की तबियत के बारे में हम जब भी पूछते थे तो डॉक्टर कहते थे कि बच्चा अब रिकवरी कर रहा है। शुक्रवार को भी हमसे 20 हजार रुपए की मांग की। जब हमें कुछ अच्छा महसूस नहीं हुआ तब हम आईसीयू में चले गए। वहां पर देखा तो बच्चे की पल्स रेट नहीं चल रही थी। मॉनिटर में भी सीधी लाइन आ रही थी। इसके बाद भी डॉक्टर कह रहे थे कि बच्चा ठीक है। करीब एक घंटे बाद हॉस्पिटल स्टाफ ने कहा कि बच्चे की डेथ हो गई है।

पुलिस ने समझाकर खुलवाया जाम
जैसे ही नवजात के परिजनों को पता चला कि बच्चे की डेथ हो गई है। परिजनों ने हॉस्पिटल में हंगामा कर दिया। इसके बाद में रोड पर जाम लगा दिया गया। मौके पर पहुंची पुलिस ने समझा-बुझाकर जाम खुलवाया। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पहुंचकर हॉस्पिटल का निरीक्षण किया।

निरीक्षण कर बंद किया हॉस्पिटल
चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ। अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि एएस हॉस्पिटल की लगातार शिकायतें सामने आ रही थीं। नवजात की मौत की सूचना पर स्वास्थ्य विभाग की टीम हॉस्पिटल पर पहुंची। वहां पर एनआईसीयू का निरीक्षण किया। वहां पर कमियां पाई गईं। इसके बाद हॉस्पिटल में मरीजों को एडमिट करने पर रोक लगा दी गई। पहले से एडमिट मरीजों को शिफ्ट करा दिया गया है। हॉस्पिटल को बंद करा दिया गया है। यदि फिर भी हॉस्पिटल संचालित होगा तो पुलिस को सूचना दी जाएगी।

नवजात की मौत पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने हॉस्पिटल जाकर निरीक्षण किया। एनआईसीयू में कमियां पाई गईं। हॉस्पिटल में मरीजों की भर्ती पर रोक लगा दी है।
- डॉ। अरुण श्रीवास्तव, सीएमओ