आगरा(ब्यूरो)। वो कक्षा 11 की छात्रा थी। किताबों के साथ ही उसे प्रकृति से भी बहुत लगाव था। घर पर हरियाली से प्यार था। पढ़-लिखकर वो शुद्ध पर्यावरण की संवाहक बनना चाहती थी। परिवार भी उसके भविष्य को लेकर बड़े-बड़े सपने देख रहे थे। मगर, एक दिन स्कूल से आते समय नगर निगम के डंपर की चपेट में आ गई। अस्पताल में चिकित्सकों ने भरसक प्रयास किया लेकिन, दस दिन तक ङ्क्षजदगी के लिए संघर्ष करने के बाद आखिर मौत से हार गई। ये एक बेटी की तो मृत्यु थी ही, एक भविष्य खत्म हो गया, एक सपना मर गया। व्यथित परिजन तो कहते हैं कि सड़क पर यातायात इतना सुरक्षित हो कि फिर कोई सपना न मरने पाए। वास्तु सलाहकार आनंद शर्मा को 16 अगस्त 2018 की वह काली तारीख आज भी याद है। उस दिन वजीरपुरा-सेंट पीटर्स स्कूल मार्ग पर एक दुर्घटना घटी। पुलिस के लिए यह घटना कागज पर स्याही से लिखी मात्र प्राथमिकी थी और इसकी विवेचना नौकरी का एक हिस्सा। राहगीरों के लिए दर्दनाक ²श्य। दुर्घटना के जिम्मेदार के लिए शायद एक पछतावा। मगर, आनंद शर्मा के लिए यह जीवन भर का दर्द था। नगर निगम के डंपर की चपेट ने उनकी पुत्री गार्गी शर्मा को हमेशा के लिए छीन लिया था। सिकंदरा आवास विकास कॉलोनी के अपर्णा पंचशील अपार्टमेंट निवासी आनंद शर्मा की पुत्री गार्गी 16 अगस्त की सुबह ग्यारहवीं कक्षा में प्रवेश के लिए फार्म लेने स्कूल सेंट पैट्रिक स्कूल गई थी। भाई प्रखर शर्मा भी इसी स्कूल में था। आनंद शर्मा पत्नी डा। अमिता शर्मा के साथ शाहगंज काम से गए थे। रास्ते में ही पुत्री के साथ दुर्घटना की सूचना मिली। वह दोनों भागते हुए वहां पहुंचे, पुत्री को अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका था। वहां वो दस दिन तक जीवन के लिए संघर्ष करती रही। गार्गी 25 अगस्त को मौत से हार गई। पिता आनंद शर्मा बताते हैं कि गार्गी पर्यावरणविद बनना चाहती थी। उसे पेड़-पौधों से बेहद प्यार था। हम सब उसके सपने को साकार होते देखना चाहते थे लेकिन, ऐसा हो नहीं पाया। वे कहते हैं कि सड़क पर यातायात बहुत खतरनाक हो गया है। अक्सर ही दुर्घटनाएं होती रहती हैं। जिम्मेदार विभागों को चाहिए कि यातायात को सुरक्षित करने के लिए सभी संभव उपायों पर अमल कराएं।



किसी के साथ न हो ऐसी घटना, जरूर लगाएं हेलमेट
शास्त्रीपुरम निवासी 18 वर्षीय किशोर कॉलेज का छात्र था। वर्ष 2017 में टू-व्हीलर से गुरुद्वारा गुरु का ताल स्थित आरओबी से गुजर रहा था। स्पीड अधिक होने के चलते उसने वाहन पर कंट्रोल खो दिया। पुल से सीधे नीचे पटरियों पर गिर पड़ा। उसकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना को पांच वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन आज भी उस घटना को याद करते हुए परिवारीजनों की आंखें नम हो जाती हैं। परिवारीजन कहते हैं कि जिस तरह उन्होंने अपने घर के लाड़ले को खोया है, इस तरह की घटना किसी के साथ न हो। तय स्पीड में ही वाहन चलाएं और हेलमेट जरूर लगाएं।

हादसे की याद कर आंखें नम हो जाती हैं
हनुमान नगर, रामबाग निवासी रश्मि (काल्पनिक नाम) ने बताया कि वर्ष 2020 में 50 वर्षीय मेरी मां और बेटा किरावली जा रहे थे। रास्ते में सड़क दुर्घटना की शिकार हो गईं। मां की मौके पर ही मौत हो गई। आज भी जब उस हादसे के बारे में सोचते हैं तो आंखें नम हो जाती हैं।


जीवन भर की पीड़ा दे गई रफ्तार, बुझे घर के दीपक

बेटे के तन पर खाकी वर्दी देख वे फूले नहीं समाते थे। प्रशिक्षण के बाद उसे सर्वश्रेष्ठ कैडेट का पुरस्कार मिला था। माता-पिता खुद को भाग्यशाली मान भविष्य के सपने बुनने लगे थे। एक रफ्तार ने उनके सारे सपने तोड़ दिए। हाईवे पर अनियंत्रित कंटेनर ने घर के दोनों चिरागों का बुझा दिया। बुढ़ापे की लाठी टूट गई। ङ्क्षजदगी भर का दुख रह गया। अनियंत्रित रफ्तार पर जब तक लगाम नहीं लगेगी, घरों के दीपक यूं ही बुझते रहेंगे।

कंटनेर ने बाइक समेत रौंद दिया
मलपुरा के नगला गईरया निवासी बृजमोहन पुलिस विभाग में मुख्य आरक्षी हैं। वर्तमान में ताज सुरक्षा में तैनात हैं। पत्नी मंजू देवी गृहिणी हैं। परिवार में दो बेटियां हैं। दो बेटे दीपक चौधरी (24 वर्ष) और विवेक चौधरी (19 वर्ष) को यह परिवार एक सड़क दुर्घटना में खो बैठा है। दीपक चौधरी का तो वर्ष 2020 में पुलिस में भर्ती भी हो गया था। उसे सर्वश्रेष्ठ आउटडोर कैडेट का पुरस्कार भी मिला था। बागपत के बलेनी थाने में उसकी तैनाती हो गई थी। मां मंजू देवी बताती हैं दीपक तीन दिन की छुट्टी पर घर आया था। घर वाले उसके लिए रिश्ता देख रहे थे। चार नवंबर 2021 को दीपक छोटे भाई विवेक के साथ बाइक पर बस स्टैंड जा रहा था। न्यू दक्षिणी बाइपास पर गांव उजरई के पास कंटनेर ने दोनों को बाइक समेत रौंद दिया। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि बाइक सवार ने बाइक को किनारे खड़े कर लिया था। इसके बाद भी कंटनेर चालक की लापरवाही ने उनके दोनों बेटों को छीन लिया। बेटे को दूल्हे का सेहरा पहनाने का सपना अधूरा रह गया। एक साथ दोनों बेटों की मृत्यु से परिवार एक वर्ष बाद भी नहीं उबर सका है।

इतनी तेज रफ्तार से मत चलो कि दूसरों का सपना ही टूट जाए

सड़क पर इतनी तेज रफ्तार से मत चलो कि दूसरों का सपना ही टूटकर अपनों का साथ छूट जाए। छात्रों की लापरवाही से पिता को गंवाने वाली अंजू तेज रफ्तार वाहन चलाने वालों से यही कहती हैं। पिता उन्हें 10वीं की परीक्षा दिलाने स्कूल ले जा रहे थे। छात्रों की लापरवाही भरी रफ्तार ने रास्ते में ही पिता को हमेशा के लिए छीन लिया। उनकी मृत्यु के बाद उसे अब हर कदम पर परीक्षा देनी पड़ रही है। बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए मां को भी मजदूरी करनी पड़ती है।

पिता स्कूल छोडऩे जा रहे थे
जगदीशपुरा के गांव मघटई निवासी 14 वर्षीय अंजू की 14 फरवरी 2018 को यूपी बोर्ड की 10वीं की परीक्षा थी। अंजू कहती हैं कि पिता उसे स्कूल छोडऩे जा रहे थे। उस दिन अंग्रेजी की परीक्षा थी। पिता का सपना था कि वह सबके सामने फर्राटेदार अंग्रेजी में बात करे, मगर किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। रास्ते में स्कूटर सवार तीन छात्रों ने उनकी साइकिल में सामने से टक्कर मार दी। पिता के सिर में गंभीर चोट लगी, वह उन्हें अस्पताल लेकर भागी। परिजन ने उसे पिता का सपना पूरा करने के लिए परीक्षा देने को कहा। इधर, वह परीक्षा दे रही थी, उधर पिता मृत्यु से जूझ रहे थे। वह स्कूल से बाहर निकली तो पिता की मृत्यु की खबर मिली। लापरवाही भरी रफ्तार ने उसके पिता को छीन लिया। वह अब बीए द्वितीय वर्ष में है। वह पिता से किया गया अच्छे अंक लाने का वादा निभा रही है। मगर, उनकी कमी के चलते जीवन के हर मोड़ पर परीक्षा दे रही है। मां गुड्डी बताती हैं कि दोनों बड़े बेटे भी काम करते हैं। मगर, परिवार का खर्चा चलाने के लिए उन्हें भी काम करना पड़ता है।