सरकार की मंशा, पर अफसरों की नहीं
पैनल डिस्कशन में शामिल लोगों का कहना था कि सरकार अच्छी मंशा के साथ प्रोजेक्ट लेकर आती है। शहर में सिविल टर्मिनल बनाना हो या फिर बैराज, ये उसी उद्देश्य के साथ लाए गए। बैराज का तो कई बार शिलान्यास भी हो चुका है। इसके बाद भी यमुना पर बैराज का निर्माण पूरा नहीं हो सका। जबकि ये प्रोजेक्ट शहर के लिए बहुत जरूरी है। बैराज बनने से न सिर्फ शहर में टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि जीवन के लिए सबसे आवश्यक पानी की कमी भी पूरी होगी। कब तक हम गंगाजल पर डिपेंड रहेंगे। जबकि शहर में हमारे नदी का इतना बड़ा सोर्स है। हमें इसे ही सहेजने की जरूरत है।


प्रोजेक्ट के साथ एनओसी क्यों नहीं
पैनल डिस्कशन में लोगों ने एनओसी की प्रक्रिया को लेकर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि जब कोई भी प्रोजेक्ट सरकार की ओर से तैयार किया जाता है तो एनओसी इसी के साथ ही क्यों नहीं दी जाती। घोषणा के वर्षों बाद भी प्रोजेक्ट एनओसी के चलते डिले होता रहता है। अफसर परमिशन और रूल्स की आड़ में प्रोजेक्ट की फाइल एक टेबल से दूसरी टेबल तक भेजते रहते हैं। इससे प्रोजेक्ट कई वर्ष तक डिले हो जाता है।

शहर के लिए जरूरी प्रोजेक्ट्स में देरी के पीछे जनप्रतिनिधियों की उदासीनता भी है। सरकार अच्छी मंशा के साथ प्रोजेक्ट की घोषणा करती है। लेकिन अगर इस प्रोजेक्ट कोई रुकावट आती है तो जनप्रतिनिधि पैरवी नहीं करते हैं। बैराज का निर्माण तो इस शहर के लिए बहुत जरूरी है। इसके बनने से न सिर्फ शहर का टूरिज्म बढ़ेगा, बल्कि शहर के वाटर लेवल में भी इजाफा होगा।
शिव सिंह

मौजूदा समय में अफसरशाही पूरी तरह से हावी है। किसी भी विभाग में कार्य के लिए चले जाइए एक टेबल से दूसरी टेबल पर भेज दिया जाता है। बावजूद इसके कार्य नहीं होता। सरकारी विभाग तो छोडि़ए शहर में पॉवर सप्लाई की जिम्मेदारी संभाल रही प्राइवेट कंपनी के दफ्तर में भी कार्य कराना मुश्किल होता है। प्रोजेक्ट्स में देरी के पीछे भी अफसरों का ये ही लचर रवैया वजह है।
अभिनव, एडवोकेट


विकास कार्यों में देरी के पीछे सबसे बड़ी वजह सरकारी विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार है। आमजन की भी कोई सुनवाई नहीं होती है। अगर देरी से कोई प्रोजेक्ट बनवा भी दिया जाता है तो उसका प्रॉपर मेंटीनेंस नहीं होता है। कुछ ही वर्ष में ये प्रोजेक्ट खस्ताहाल हो जाता है। शहर की सड़कों की भी इसी तरह दुर्दशा हो रखी है। बनने के कुछ दिनों बाद ही सड़क उखडऩा शुरू हो जाती हैं।

बॉबी चौधरी


शहर में प्रोजेक्ट इस तरह तैयार किए जाने चाहिए, जनहित से जुड़े हुए हों। टीपी नगर शिफ्ट करने की बात कही गई, लेकि न आज तक शिफ्ट नहीं हो सका। पास ही आईएसबीटी है। इसके पास ही हाईवे पर आए दिन हादसे होते हैं, बावजूद इसके इन्हें रोकने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की गई है। जिससे आज भी आमजन को परेशानी उठानी पड़ रही है.
बंटी परमार

प्रोजेक्ट की घोषणा तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि प्रोजेक्ट कंप्लीट हुआ है कि नहीं, इसके लिए प्रॉपर सिस्टम तैयार करना चाहिए। एसएन मेडिकल कॉलेज में सुपरस्पेशयलिटी बिल्डिंग तैयार कर दी गई, लेकिन आज भी वहां इंफ्रास्ट्रक्चर और संसाधनों की कमी है। जिसके चलते लोगों को उस बिल्डिंग का पूरी तरह से लाभ नहीं मिल पा रहा है।
विनीत यादव


शहर के नए ट्रांसपोर्ट बनाए जाने की आवश्यकता है। ग्वालियर रोड पर तत्काल प्रभाव से ट्रांसपोर्ट नगर बनवाया जाए। हाईवे किनारे आईएसबीटी के पास जो ट्रांसपोर्ट नगर बना हुआ है, वहां अव्यवस्थाओं का अंबार है।
वीरेंद्र गुप्ता, अध्यक्ष, ट्रांसपोर्ट चैंबर आगरा


यमुना सूख गई है। यमुना को साफ करने की लंबे अरसे से मांग की जा रही है। इसके साथ ही जल्द से जल्द यमुना पर बैराज का निर्माण होना चाहिए। जिससे नदी के साथ मॉन्यूमेंट्स को भी सुरक्षित किया जा सके।
ब्रज खंडेलवाल, पर्यावरणविद्

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587 लोगों ने पार्टिसपेट कराया
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से प्रोजेक्ट्स में हो रही देरी को लेकर आम लोगों की राय जानने के लिए ऑनलाइन सर्वे भी कराया गया। जिसमें 587 लोगों ने पार्टिसिपेट किया। गूगल फॉर्म के जरिए कराए गए सर्वे में विभिन्न प्रोजेक्ट्स को लेकर सवाल पूछे गए। यमुना पर बैराज निर्माण में हो रही देरी के पीछे 22 परसेंट लोगों का कहना था कि सरकारी उदासीनता के इसके पीछे वजह है, जबकि अफसरशाही के लचर रवैये को 48 परसेंट ने वजह माना। इसी तरह रुई की मंडी आरओबी न पाने के लिए 45 परसेंट लोगों का मानना था कि विभागों में आपसी को-ऑर्डिनेशन नहीं है।


1. तीन बार शिलान्यास के बाद भी यमुना पर बैराज का निर्माण नहीं हो सका शुरू? इस पर क्या कहेंगे आप?
- सरकारी उदासीनता वजह है 22 परसेंट
- अफसरशाही का लचर रवैया अड़चन 48 परसेंट
- पर्यावरणीय जटिल नियम के चलते देरी 30 परसेंट

2. भूमि पूजन के बाद भी रुई की मंडी रेट फाटक पर आरओबी का निर्माण क्यों नहीं किया जा सका?
- विभागों में आपसी को-ऑर्डिनेशन नहीं 45 परसेंट
- जनप्रतिनिधि सिर्फ घोषणाओं तक समिति 30 परसेंट
- प्रॉपर मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही 25 परसेंट

3. आखिर क्यों शासन के निर्देश के बाद भी तबेले शहर से बाहर शिफ्ट नहीं हो सके?
- सरकारी विभाग इस ओर गंभीरता नहीं दिखाते 41 परसेंट
- कैटल कॉलोनी सिर्फ कागजों में बनाई गई 29 परसेंट
- महंगी जमीन के चलते पशुपालक हिम्मत नहीं जुटा सके 30 परसेंट

4. शहर के लिए कौन सा प्रोजेक्ट जल्द से जल्द पूरा होना चाहिए?
- यमुना पर बैराज 29 परसेंट
- सिविल टर्मिनल एंक्लेव 26 परसेंट
- रुई की मंडी आरओबी 25 परसेंट
- लेदर पार्क का निर्माण 20 परसेंट


5. क्या विभिन्न प्रोजेक्ट्स में देरी से शहर में आर्थिक गतिविधियां भी प्रभावित हो रहीं हैं?
- हां 63 परसेंट
- नहीं 37 परसेंट