टारगेट पूरा करने के चलते बिगड़ रही स्थिति

आगरा। जनपद में फैमिली प्लानिंग प्रोग्राम अपनी थीम से हट चुका है। टारगेट के अनुरूप ऑपरेशन तो हो रहे हैं लेकिन वह असफल नजर आ रहे हैं। गांव-गांव कैंप लगाकर ग्रामीण महिलाओं की नसबंदी के ऑपरेशन के बाद लगातार ऐसे केस सामने आ रहे हैं, जिनमें महिलाएं गर्भ धारण कर चुकी हैं। जबकि किसी का ऑपरेशन तीन साल पहले हुआ तो किसी महिला ने एक वर्ष पहले नसबंदी कराई। इस प्रोग्राम में हद दर्जे की लापरवाही के पीछे जल्दबाजी और लक्ष्य पूरे करने की वजह से नसबंदी ठीक तरह से न करने की बात सामने आ रही है। हालांकि प्रोग्राम से जुड़े अधिकारी इस बात को सिरे से खारिज कर रहे हैं।

गर्भपात तक नहीं कराया जा सकता

लेडी लायल में प्रतिदिन तीन से चार महिलाएं ऐसी पहुंच रहीं हैं जिन्होंने एक टांके का ऑपरेशन करवाया, उसके बाद भी वह प्रिगनेंट हो गई। परेशान महिलाएं समझ नहीं पा रहीं कि आखिर सरकारी कैंप में इतनी बड़ी गलती कैसे हो सकती है। कई महिलाएं तो ऐसी भी होती हैं जिनका गर्भपात तक नहीं करवाया जा सकता। ऐसे में मजबूरन उन्हें च्च्चे को जन्म देना ही होता है।

कैंप में किए जाते हैं ऑपरेशन

सरकारी नसबंदी शिविर में लगाकर की जाती हैं। इसमें डॉक्टरों पर दबाव के अलावा महिलाओं का पहले से कोई चैकअप तक नहीं किया जाता है। नतीजतन नसबंदी फेल हो रही हैं। एक महिला पर ज्यादा से ज्यादा 15 से 20 मिनट का समय दिया जाता है।

आशा करती है टारगेट पूरा

स्वास्थ्य अधिकारी ऐसे शिविरों में एक लक्ष्य तय कर लेते हैं और उस लक्ष्य को पूरा करने के लिए वे ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को शिविरों तक लाने के लिए आशाओं पर दबाव डालते हैं। जिससे वह अधिक महिलाएं लेकर आती हैं।

पैसों का रहता है लालच

गांवों में आशा स्वास्थ्य कर्मचारियों को ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को नसबंदी के लिए राजी करवाने के लिए पैसे दिए जाते हैं। ज्यादातर मामलों में महिलाओं को भी नसबंदी करवाने के लिए पैसे दिए जाते हैं। ऐसे में पैसे के लालच के चक्कर में ये महिलाएं और स्वास्थ्य कर्मचारी, दोनों बिना पूरी जानकारी हासिल किए इन शिविरों में चली जाती हैं।

सुरक्षा की जानकारी नहीं दी जाती

कई गांवों में तो टारगेट पूरा करने के लिए महिलाओं को ट्रकों में भरकर इन शिविरों में ले जाया जाता है। बस एक बार ऑपरेशन हो गया उसके बाद किस-किस तरह के एहतियात बरतने हैं, इन पर भी ध्यान नहीं दिया जाता। ऑपरेशन के बाद तुरंत गड्डे वाले रास्ते में सफर करने से भी टांका टूट जाता है। रिंग स्लिप हो जाती हैं। जिससे ऑपरेशन फेल हो जाते हैं।

आशा करती है टारगेट पूरा

कई बार आशा अपना टारगेट पूरा करने के चक्कर में कई ऐसी महिलाओं को ले आती हैं। जो पहले से ही गर्भवती होती है। क्योंकि ऑपरेशन के टाइम किसी प्रकार का पहले से चैकअप नहीं किया जाता है। जिससे नसबंदी फेल हो जाती है।

नसबंदी की प्रक्रिया

महिला की स्वीकृति के बाद महिला को ऑपरेशन थियेटर में ले जाया जाता है। यहां उसे एनस्थीसिया दिया जाता है। ऑपरेशन दूरबीन प्रक्रिया से किया जाता है। इसमें सबसे पहले महिला के पेट में गैस भरी जाती है। फिर क्लिप लगा हुआ पेन के साइज का एक औजार पेट में डाला जाता है। इस औजार से दोनों ट्यूब को निष्क्रिय कर दिया जाता है। इस औज़ार को निकालने के बाद एक टांका लगा दिया जाता है।

डॉक्टरों पर किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं रहता है। न ही लक्ष्य दिया जाता है। जितनी महिलाएं आती हैं उतनी महिलाओं का ऑपरेशन कर दिया जाता है। उनके संज्ञान में ऐसा एक भी केस या शिकायत नहीं आया है।

डॉ। शेर सिंह, परिवार नियोजन अधिकारी

टाइम बाउंड नहीं होना चाहिए। मेडिकल को टाइम से बाउंड नहीं किया जा सकता है। अच्छच् एंटीबायटिक न मिलना भी एक कारण हो सकता है।

डॉ। शिवानी चतुर्वेदी

मैने तीन साल पहले ऑपरेशन करवाया था। मुझे तो इस बात की उम्मीद भी नहीं थी कि मैं फिर से गर्भवती हो सकती हूं।

आशा बाह

मेरा एक साल पहले ऑपरेशन हुआ था। मैं तो इस बात से बेफिक्र थी कि दुबारा से गर्भवती हो सकती हूं। लेकिन आज लेडी लॉयल में जांच के बाद पता चला कि मैं गर्भवती हूं।

रिहाना, ताजगंज