आगर(ब्यूरो)। हिमानी बुंदेला कौन बनेगा करोड़पति की विजेता रह चुकी हैैं। वह विजुअली चैलेंज्ड हैैं और केंद्रीय विद्यालय में गणित की टीचर हैैं। एक हादसे में उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार अपने कर्तव्यपथ पर डटी रहीं। उन्होंने अपनी एजुकेशन को पूरा किया और टीचर बनीं। उन्होंने कौन बनेगा करोड़पति में जाने का सपना पूरा किया और समाज के लिए रोल मॉडल बनीं।

कौन बनेगा करोड़पति के बाद उन्हें यह करने का मौका मिला

हिमानी ने बताया कि वह हमेशा से दिव्यांग लोगों के लिए काम करना चाहती थी। कौन बनेगा करोड़पति के बाद उन्हें यह करने का मौका मिला। उन्होंने मंडलायुक्त व अन्य प्रशासनिक टीम के साथ आगरा में ब्लॉक स्तर पर दिव्यांग बच्चों और उनके पैरेंट्स को जागरुक करने के लिए अभियान शुरू किया। उन्होंने कहा कि मंडलायुक्त अमित गुप्ता ने उन्हें इस जागरुकता कार्यक्रम में रोल मॉडल की तरह लोगों को जागरुक करने के लिए कहा। हिमानी ने बताया कि उन्होंने बीते एक साल में सभी ब्लॉकों में जाकर दिव्यांग बच्चों के लिए अवेयरनेस काउंसलिंग शुरू की। इसके तहत इंटीग्रेटेड वर्कशॉप का भी आयोजन किया गया। ताकि दिव्यांग बच्चे मोटिवेट हों और स्कूल जाना शुरू कर सकें। हिमानी ने बताया कि अभियान के दौरान उन्होंने देखा कि छह-छह साल से दिव्यांग बच्चे घर पर थे। पैरेंट्स उन्हें स्कूल नहीं भेजते थे। वह सोचते थे कि बच्चा दूसरे बच्चों की तरह कैसे पढ़ेगा-लिखेगा। लेकिन काउंसलिंग के बाद में अब बच्चे स्कूल जाने की पहल कर रहे हैैं। हिमानी ने बताया कि अभियान के दौरान उन्होंने चार हजार से ज्यादा दिव्यांग बच्चों की काउंसलिंग की। इसका असर यह हुआ है कि आगरा में पहले 49 परसेंट दिव्यांग बच्चे ही स्कूल जाते थे लेकिन अब 81 परसेंट दिव्यांग बच्चे स्कूल जा रहे हैैं। हिमानी ने बताया कि आगरा के प्रशासनिक अधिकारियों की मानें तो यह दर यूपी के सभी जिलों में सबसे ज्यादा है।

फिजियोथेरिपी देने का भी प्रोग्राम शुरू
हिमानी ने बताया कि यह अभियान इतना सफल हुआ है कि मंडलायुक्त अमित गुप्ता ने आगरा मंडल के अन्य जिलों फिरोजाबाद, मैनपुरी और मथुरा में यह अभियान शुरू करने के लिए कहा है। उन्होंने बताया कि दिव्यांग बच्चों के लिए आगरा में फिजियोथेरेपी देने का भी प्रोग्राम शुरू किया गया है। इसमें घर-घर जाकर दिव्यांग बच्चों की फिजियोथेरेपी की जा रही है।

स्पीच थेरेपी
हिमानी ने बताया कि बहुत बच्चों की आवाज क्लीयर नहीं होती है यदि ट्रेनिंग दी जाए तो बोलना साफ हो सकता है। अभियान के तहत इसे भी शुरू किया जा रहा है।


कुछ भी हो हमें हार नहीं माननी चाहिए। दिव्यांग होने पर पैरेंट्स और सोसायटी को बच्चे का साथ देना चाहिए। राज्य सरकार द्वारा अवॉर्ड दिए जाने पर खुश हूं।
- हिमानी बुंदेला