खुशी-खुशी बाय बोलकर निकले थे बच्चे

अब सिर्फ मम्मी-पापा से मिलने की चिंता

आगरा। घर से निकले थे तो चेहरे पर खुशी थी। उत्साह था मन में, कि हम घूमेंगे। ताजमहल को निहारेंगे। दोस्तों संग कई फेसेस बनाकर सेल्फी लेंगे। जोश इस कदर था, कि लगभग 15 घंटे के 'थकाऊ सफर' की जरा भी फिक्र न हुई। बस तमाम हसरतों के साथ, चल पड़े अपनी मम्मी-पापा को बाय-बाय बोलकर आगरा के लिए, लेकिन अचानक यमुना एक्सप्रेस-वे पर हादसा हुआ और उनकी सारी उमंग और जोश हवा हो गया। मासूम और खिलखिलाते चेहरे अब ताज नहीं देखना चाहते बल्कि अपने मम्मी-पापा को बांहों में भरना चाहते हैं। घायल बच्चों को अब अपने मम्मी-पापा का बेसब्री से इंतजार बना हुआ है।

धरी रह गई सेल्फी विद ताज की हसरत

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला स्थित कोटली कस्बा के आलोक भारती स्कूल से दोपहर 12 बजे करीब छात्र-छात्राओं के साथ स्टाफ को सवार करके दो बसें रवाना हुई। रात आठ बजे करीब चंडीगढ़ पहुंचे तो बच्चों की मस्ती उफान पर थी। बस में ही डांस और म्यूजिक के साथ शोर-शराबा शबाव पर था। दिल्ली रात 12:30 बजे करीब पहुंचे तो पेट की भूख शांत करने के लिए दौड़ पड़े। और फिर सफर की थकान होने लगी तो आंखें बंद कर लीं और सो गए। सुबह जब बच्चे नींद के आगोश में थे, तो उनकी बंद आंखों में संगमरमरी इमारत ताजमहल को देखने के सपने पल रहे थे। अचानक झरना नाला पर तेज आवाज हुई और झटके से नींद खुल गई। मंजर बदल चुका था। नींद हवा हो गई और आगरा घूमने के सारे सपने चूर-चूर हो गए।

खलता रहा परिवार का अधूरापन

एक्सप्रेस-वे और अस्पतालों की चीख-पुकार ने जहां झकझोर दिया तो वहीं अपने परिवार से कोसों दूर हुए बच्चे बिलख उठे। मासूम चेहरों पर दहशत झलकने लगी। चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रहीं थीं। बेशक स्थानीय लोग, सामाजिक संस्थाएं और प्रशासनिक अफसर सभी उनके बार-बार पास आ रहे थे, लेकिन फिर भी अपने परिवार का अधूरापन उन्हें खलता रहा। रह-रहकर हूक सी उठती रही, कि काश, मेरे पापा या मम्मी मुझे संभाल रहे होते। इधर मां-बाप भी आएंगे तो उन्हें आने में 15 घंटे से कम नहीं लगेंगे। अब तो बस दर्द से कराहते और जख्म सहलाते बच्चों को अपने मम्मी-पापा का बेसब्री से इंतजार बना हुआ है।

हैलो मम्मी मैं बोल रहीं हूं

हां, मम्मी मैं तो ठीक हूं, लेकिन दोस्त के चोट आई है। उसका तो एक हाथ कट गया। पता है मां कुक का पैर काटना पड़और यह कहते हुए एक छात्रा अस्पताल में मोबाइल पर बात करते-करते फफक उठी। उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें खिंची हुई दिखाई दीं।