प्रयागराज (ब्‍यूरो)। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एफसीआइ गोदाम में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी व धोखाधड़ी के आरोपित को जमानत देने से इन्कार कर दिया है। कहा है कि ऐसी ठगी से लोग विश्वासघात, भावनात्मक शोषण और हताशा के शिकार हो जाते हैं। कोर्ट ने कहा, 'शिक्षण संस्थानों, सरकारी एजेंसियों, संगठनों व मीडिया को ऐसी ठगी को उजागर कर लोगों में जागरूकता लाने का प्रयास करना चाहिए। सरकार को करियर विकास और कौशल वृद्धि के लिए वैकल्पिक रास्ते उपलब्ध कराने चाहिए.Ó यह टिप्पणी जस्टिस मंजू रानी चौहान ने एफसीआइ कर्मचारी चंद्रशेखर प्रसाद की अर्जी खारिज करते हुए की है।

सरकार सख्ती से निबटे
कोर्ट ने कहा, वैध रोजगार के अवसर केवल योग्यता और कड़ी मेहनत से प्राप्त होते हैं। राज्य सरकार ठगी करने वालों के खिलाफ कड़े कदम उठाए, ताकि कोई फर्जी तरीकों से रोजगार पाने की आकांक्षाओं का फायदा उठाने की कोशिश न करे। आरोप है कि याची ( कर्मचारी) चंद्रशेखर प्रसाद ने एफसीआइ के गोदाम में तीन युवकों की नौकरी लगवाने के नाम पर उनके स्वजन से लाखों रुपये जमा कराए। वाट्सएप पर फर्जी नियुक्ति पत्र भी भेज दिया। युवकों को नियुक्ति के लिए छपरा (बिहार) ले जाया गया, जहां निजी कमरे में 25 दिनों तक उन्हें रखा गया। इसके बाद चंद्रशेखर प्रसाद ने युवकों को बताया कि वे अपने घर जाएं और नियुक्ति का सत्यापन होते ही उन्हें इसकी सूचना दे दी जाएगी। युवकों को विभाग में न तो नियुक्त किया और न ही पैसा वापस किया गया। चंद्रशेखर, पंकज कुमार राजभर और अभिषेक कुमार के खिलाफ देवरिया के थाना भटनी में धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं में एफआइआर लिखाई गई। कोर्ट ने कहा, रिहा होने पर याची सबूतों से छेड़छाड़, गवाहों को प्रभावित करने के साथ ही दोबारा अपराध में लिप्त हो सकता है। अपराध गंभीर है। वह जमानत पाने का हकदार नहीं है।