प्रयागराज (ब्‍यूरो)। सआदत हसन मंटो की कहानी पर आधारित नाटक 'मंजूरÓ का मंचन सोहबतियाबाग स्थित एक इंस्टीट्यूट के सभागार में बुधवार को हुआ। जीवन में खुशियों का बसेरा रहने का तरीका क्या है और कैसे एक हादसा दूसरे का हौसला तोडऩे वाला बन जाता है, इस कहानी का मंच पर मंजूर के जरिए कलाकारों ने जीवंत कर दिया।

दो मरीजों पर केन्द्रित कहानी
नाटक का निर्देशन एनएसडी से प्रशिक्षित व शहर के युवा रंग-निर्देशक असगर अली ने किया। सहायक निर्देशक थींं महिला रंगकर्मी रुचि गुप्ता। मंटो द्वारा लिखित यह कहानी उम्मीद और मायूसी के विषय पर दो मरीजों को केंद्रित करके लिखी गई थी। शुरुआत होती है अस्पताल से जहां दो मरीज मंजूर और अख्तर भरती हैं। मंजूर एक 14 साल का लड़का है। जिसका निचला धड़ फालिज के कारण अपंग है। फिर भी वह हंसता और खिलखिलाता रहता है। जैसे उसे कुछ हुआ ही न हो। दूसरी ओर अख्तर जिसे कई बार दिल के दौरे पड़ चुके हैं और उसके जिंदा रहने की उम्मीद लगभग कम है पर मंजूर की खुशी और मुस्कुराहट को देखते हुए उनमें भी जीने की उम्मीद जाग जाती है। वह सही हो जाता है। अंत में कुछ ऐसा होता है कि मंजूर मायूस हो जाता है और अचानक उसकी मृत्यु हो जाती है। इस बात से अख्तर को गहरा सदमा लगता है। इस कहानी से यह साबित होता है कि अगर उम्मीद पैदा हो जाए तो मरता हुआ व्यक्ति भी बच सकता है और एक मायूसी जिंदा व्यक्ति को भी मौत की ओर ले जा सकती है। नाटक के निर्देशक अली ने बताया कि पिछले कई दिनों से एक नाट्य कार्यशाला का आयोजन किया गया था जिसके बाद प्रतिभागियों को चयनित करके उन्हें रंगमंच की बारीकियां से परिचित कराते हुए मंजूर कहानी को कहानी के रंगमंच को आधारित बनाकर प्रस्तुति तैयार की गई है। नाटक में प्रियांशु अमन, वैभव त्रिपाठी, अमरनाथ, अनिल कुमार, ममता, शिवम दीक्षित आदि ने नाटक के किरदारों में जान भर दी। संगीत संचालन रुचि गुप्ता ने किया। आर्टिस्ट के ड्रेस खुशबू गुप्ता ने तय किये तो मंच की आसिफ अली के पास रही। प्रस्तुति नियंत्रक अमरनाथ श्रीवास्तव रहे। आयोजन बुनियाद फाउंडेशन के तत्वावधान में किया गया।