प्रयागराज (ब्‍यूरो)। माघ मेला में विहंगम योग शिविर में सदाफल देव महाराज के 70 वें परिनिर्वाण दिवस पर पांच दिवसीय जय स्वर्वेद कथा एवं 21 सौ कुंडीय वैदिक यज्ञानुष्ठान वसंत पंचमी को शुरू हुआ।

संत प्रवर विज्ञान देव महाराज ने कहा कि सत्य पर पूर्ण विश्वास ही श्रद्धा है। जो श्रद्धावान है वही ज्ञान की प्राप्ति कर शांति का अनुभव करता है। धर्म अर्थ काम मोक्ष का सूत्र भारतीय संस्कृति का आधार है। जिसकी सिद्धि मानव जीवन का परम उद्देश्य है। धर्म पूर्वक ही अर्थ और काम की प्राप्ति श्रेयष्कर है। अर्थ और काम की प्रासंगिकता और प्रयोजन मर्यादित है। मुख्य पुरुषार्थ तो मोक्ष है। किन्तु इसका आरंभ धर्म से होता है।

करीब तीन घंटा तक जय स्वर्वेद के क्रम में कथामृत चलती रही। संत प्रवर विज्ञान देव ने ब्रम्हविद्या विहंगम योग के सैद्धांतिक पक्ष को प्रकाशित करते हुए स्वर्वेद की अजस्त्र ज्ञान गंगा को प्रवाहित किया। स्वर्वेद के दोहों की संगीतमय प्रस्तुति से सभी मंत्र मुग्ध हो उठे। दोपहर में विश्वशांति वैदिक यज्ञानुष्ठान का शुभारंभ संत प्रवर विज्ञान देव महाराज ने किया। इसके पूर्व सुबह छह से आठ बजे तक योग प्रशिक्षकों ने आसन प्राणायाम का प्रशिक्षण दिया। शिविर में निशुल्क योग, आयुर्वेद, पंचगव्य, होम्योपैथ से निशुल्क उपचार किया जा रहा है।