-पहले चरण में लक्षण के चलते कोरोना पता करना था मुश्किल

-बीते एक हफ्ते से घट रही है मरीजों की संख्या, रिकवरी रेट बढ़ा

-डॉक्टर्स भी नहीं बता पा रहे, क्यों हो रहा है ऐसा

PRAYAGRAJ: यह कोरोना तो किसी हॉलीवुड फिल्म के विलेन की तरह बिहैव कर रहा है। जब सभी को लग रहा था कि यह बेहद घातक हो चुका है, इसने अपना बिहैवियर बिल्कुल बदल लिया है। मौतों और पॉजिटिव केसेज की संख्या पीक पर पहुंचने के बाद अचानक से बिल्कुल कम होने लगी है। कोरोना के इस बदले हुए रूप को लेकर डॉक्टर्स भी हैरान हैं। अचानक संक्रमण की रफ्तार कम कैसे हो गई, इसकी वजह भी कोई नहीं बता पा रहा है। ऐसे में कोरोना एक बार फिर से पहेली बन चुका है। गौरतलब है कि पहले भी एक बार सटीक लक्षण ने मिलने के चलते यह पहेली साबित हो चुका है।

14 सितंबर के बाद गिरने लगा ग्राफ

कोरोना का ग्राफ 14 सितंबर के बाद कमजोर पड़ने लगा है। इसके पहले यह पीक पर चल रहा है। यहां तक कि तीन बार ऐसे मौके आए जब एक दिन में मरीजों की संख्या पांच सौ के करीब पहुंच गई थी। यह वाकया सितंबर में ही पेश आया था। लेकिन अचानक मरीजों की संख्या कम होने से लोगों को आश्चर्य हुआ है। उनको समझ नहीं आ रहा कि एकदम से कैसे कोरोना कमजोर पड़ रहा है। जबकि न तो वैक्सीन आई और न ही कोरोना की कोई दवा ईजाद की गई है। खुद डॉक्टर भी कोरोना के गिरते ग्राफ को देखकर हैरान हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक कोरोना वायरस का स्ट्रेन चेंज होने या कमजोर होने का ऐसा कोई सुबूत किसी के पास नहीं है। बस उनका यह कहना है कि कोरोना अपने पीक पर आने के बाद अब उतार पर है।

जिले में ऐसे बढ़ी कोरोना की रफ्तार

शहर में पहला केस: 05 अप्रैल

कोरोना के पहले सौ मरीज: 03 जून

दो सौ मरीज: 22 जून

तीन सौ मरीज: 02 जुलाई

चार सौ मरीज: 06 जुलाई

छह सौ मरीज: 12 जुलाई

एक हजार मरीज: 20 जुलाई

दो हजार मरीज: 29 जुलाई

तीन हजार मरीज: 4 अगस्त

पांच हजार मरीज: 14 अगस्त

छह हजार मरीज: 19 अगस्त

सात हजार मरीज: 23 अगस्त

आठ हजार मरीज: 26 अगस्त

नौ हजार मरीज: 29 अगस्त

10 हजार मरीज: 01 सितंबर

11 हजार मरीज: 04 सितंबर

12 हजार मरीज: 07 सितंबर

13 हजार मरीज: 10 सितंबर

14 हजार मरीज: 13 सितंबर

16 हजार मरीज: 18 सितंबर

17 हजार मरीज: 20 सितंबर

18 हजार मरीज: 25 सितंबर

19 हजार मरीज: 29 सितंबर

कम हो गए सीवियर मरीज

गौरतलब है कि कोरोना काफी घातक माना जाता है। बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी जान गंवाई है। लेकिन बीते दिनों में इससे होने वाली मौतों की संख्या में भी कमी आई है। कोरोना से अब तक जिले में 266 मौतें हो चुकी हैं। जिले में कोरोना से पहली मौत 6 मई को हुई थी। इसके बाद दो सौ मौतों तक पहुंचने में 12 सितंबर तक का समय लगा। अकेले 15 सितंबर तक रोजाना 4 से 5 मौत कोरोना से हो रही थी। लेकिन इसके बाद से ग्राफ गिरने लगा और इस समय एक या दो मरीजों की जान जा रही है। एसआरएन के आईसीयू वार्ड में इस समय 50 कोरोना के सीवियर मरीज भर्ती हैं। जबकि एक सप्ताह पहले यह संख्या 80 के आसपास थी।

संक्रमण कम होने पर स्वास्थ्य विभाग के तर्क

-कांटैक्ट ट्रेसिंग अधिक कर दी गई है। एक संक्रमित मरीज के साथ वालों को ट्रेस किया गया है।

-रोजाना तीन हजार से अधिक जांच कराने से अधिक मरीज सामने आने लगे।

-शहर में तीन नई मोबाइल वैन चलाई गई जिससे रोजाना मोहल्ले-मोहल्ले जांच की जा रही है।

-सर्वे टीमों को घर-घर भेजकर लक्षण वाले मरीजों की जांच कराई गई।

-पहले चरण में ही मरीज को हॉस्पिटल में भर्ती कराया जा रहा है जिससे मौतों की संख्या पर लगाम लगी है।

-प्राइवेट लैब को जांच की आजादी गई है। 62 नर्सिग होम्स को एंटीजेन जांच किट दी गई है।

-11 सेंटर्स पर एंटीजेन जांच के जरिए अधिक से अधिक मरीजों की ट्रेसिंग की जा रही है।

जागरुकता ने पब्लिक को बनाया निडर

हालांकि अधिकारियों का यह भी कहना है कि पब्लिक कोरोना को लकर पहले से अधिक जागरुक हो गई है। लेकिन इसका असर उल्टा हुआ है। लोगों ने कोरोना से बचाव की जगह उसके सॉल्यूशन पर अधिक ध्यान दिया है। लोगों के घर में आयुर्वेदिक नुस्खों के साथ जांच के यंत्र भी मौजूद हैं। लोग अपना आक्सीजन लेवल स्वयं चेक कर रहे हैं। ऐसे में वह शुरुआती लक्षणों के आने पर तत्काल इलाज करा रहे हैं।

पीक से नीचे आ रहा संक्रमण का ग्राफ

हालांकि डॉक्टर्स का मानना है कि कोरोना वायरस का संक्रमण का ग्राफ अब पीक पर जाने के बाद नीचे आ रहा है। अभी संक्रमण इससे भी कम होगा लेकिन पूरी तरह से नहीं जाएगा। मरीज सामने आते रहेंगे। लापरवाही करने पर पुन: कोरोना संक्रमण रफ्तार पकड़ सकता है। डॉक्टर्स का यह भी कहना है कि वायरस लगातार म्यूटेट हो रहा है। जिसमें वायरस इंसान के सेल में जाकर खुद के जीनोम की प्रतिकृतियां बनाता है। आरएनए वायरस में अक्सर ऐसा होता है कि वह अपने पूरे जीनोम कॉपी नही कर पाता। ऐसे में ज्यादा म्यूटेशन की वजह से वायरस कमजोर पड़ने लगता है। ऐसे में वह अधिक संक्रमण फैलाने लायक नहीं रह जाता है।

अभी कुछ कहा नही जा सकता है। संक्रमण का ग्राफ गिरने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। पीक पर जाने के बाद भी महामारी कमजोर पड़ने लगती है। कोरोना के साथ भी ऐसा हो रहा है। लेकिन लोगों को इससे लापरवाही होने के बजाय सतर्क रहना है।

-डॉ। आशुतोष गुप्ता, चेस्ट फिजीशियन

कोरोना वायरस के बारे में मेडिकल साइंस भी बहुत अधिक नहीं जानती है। हमारे यहां सीरियस मरीजों की संख्या में भी कमी आई है। लोग रिकवर कर रहे हैं। लेकिन अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा।

-डॉ। सुजीत कुमार वर्मा, नोडल, कोविड 19 एसआरएन हॉस्पिटल

हमारे एफर्ट की वजह से यह ऐसा परिणाम आया है। हमने कांटेक्ट ट्रेसिंग में पूरा ध्यान लगा दिया है। जिससे केसेज को फैलने से रोका गया है। इसका परिणाम है कि संक्रमण की रफ्तार में कमी आई है।

-डॉ। मेजर गिरिजाशंकर बाजपेई, सीएमओ प्रयागराज