450

एकड़ है गंगा-यमुना तट पर कछार की जमीन

12,000

करोड़ रुपए है इस जमीन की अनुमानित कीमत

1.5

लाख की संख्या में करीब बन चुके हैं यहां मकान

-हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद अवैध कब्जा रोकने में नाकाम अफसरों पर नहीं हो रहा है एक्शन

balaji.kesharwani@inext.co.in

PRAYAGRAJ: एक तरफ कछार में अवैध निर्माण को लेकर हाई कोर्ट का आदेश है। वहीं इन्हीं कछारों में खड़ी हो रही बिल्डिंग्स हैं। यह आलम तब है जबकि गंगा-यमुना के तटीय क्षेत्र सरकारी नक्शे में दलदली क्षेत्र बताए गए हैं। पीडीए की महायोजना में इन क्षेत्रों को खाली स्थान बताया गया है। लेकिन इस 450 एकड़ जमीन पर डेढ़ लाख से अधिक मकान बन चुके हैं। जब सवाल उठते हैं तो इन आशियानों पर बुलडोजर चला दिए जाते हैं। लेकिन जिन अधिकारियों-कर्मचारियों की मौन सहमति से यह निर्माण हुए हैं, उन पर कोई एक्शन नहीं होता। ऐसा तब है जबकि एक पीआईएल की सुनवाई में 16 नवंबर को हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 26डी का अनुपालन न करने पर संबंधित अफसरों पर कार्रवाई का आदेश दिया है।

अवैध कब्जे का साम्राज्य

-प्रयागराज गंगा-यमुना के तट पर जबर्दस्त ढंग से अवैध कब्जा है।

-अगर देखा जाए तो कछार पर यह अवैध कब्जा नहीं, बल्कि घोटाला है।

-नियमत: इस राजस्व भूमि की बिक्री नहीं हो कसती है।

-कछार की इन जमीनों को 10 और 100 रुपए के स्टांप पेपर पर एग्रीमेंट करके बेचा गया है।

-कछार में कब्जा की गई जमीनों पर कॉमर्शियल एक्टिविटीज भी हो रही हैं। यहां हॉस्पिटल के साथ-साथ कोचिंग भी खुल गई हैं।

दो सदस्यीय खंडपीठ का है आदेश

हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ के न्यायाधीश जस्टिस प्रदीप कुमार सिंह बघेल और जस्टिस पीयूष अग्रवाल ने 16 नवंबर को एक आदेश दिया था। यह आदेश स्टेट लैंड की जमीनों पर अतिक्रमण करने के साथ ही अन्य मामलों की सुनवाई के लिए दाखिल याचिका को पीआईएल में कन्वर्ट करते दिया गया। इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि स्टेट लैंड की जमीन पर अवैध कब्जा करने के साथ ही अवैध निर्माण कराने में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। न्यायाधीश ने पीडीए के अधिवक्ता से पूछा कि कितने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई। इस पर जवाब मिला, एक भी नहीं।

धारा 26डी का यह है मतलब

प्राधिकरण के अधिकारी व कर्मचारी मनमानी न कर सकें, इसको ध्यान में रखते हुए अर्बन प्लानिंग डेवलपमेंट एक्ट 1973 को लागू किया गया। इसकी धारा 26डी में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि ऐसे अधिकारी, अभियंता जिनके कार्यकाल में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करके अवैध निर्माण कराया जाता है, उनके खिलाफ कार्रवाई, एक माह कारावास या फिर 10 हजार रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है।

इन तटीय क्षेत्रों में हुआ अवैध निर्माण

छोटा बघाड़ा, बड़ा बघाड़ा, छतनाग, हवेलिया कछारी क्षेत्र, नैनी महेवा कछारी क्षेत्र, करैलाबाग, करैली, गौस नगर कछारी क्षेत्र, नेवादा तटीय क्षेत्र, राजापुर गंगानगर, मऊ सरैया, बेली, नयापुरवा कछारी क्षेत्र, मेहंदौरी

इस समय एक प्रजेंटेशन के सिलसिले में लखनऊ आया हूं। इसलिए इस संबंध में फिलहाल अभी कोई जानकारी नहीं दे सकता।

टीके शिबू

उपाध्यक्ष, पीडीए