-सफर में जल्दबाजी बन जात है सड़क पर हादसों का सबब

-रोड एक्सीडेंट में जान गंवाने वालों का परिवार आजीवन नहीं उबर पाता दर्द से

PRAYAGRAJ: सफर में जल्दबाजी ऐसे सड़क हादसों की वजह बन जाती है जिसके जख्म ताउम्र नहीं सूखते। हादसे में किसी की जान ही नहीं जाती, बल्कि परिवार के लोगों की तमाम खुशियां, सपने और उम्मीदें भी उसी के साथ दफन हो जाती हैं। बेसहारा हुआ परिवार इस एक हादसे का दंश जिंदगी भर भुगतने को विवश हो जाता है। जिले में एक दो नहीं, कई ऐसे परिवार हैं। जिनके घर के मुखिया की जान हादसे में जाने के बाद वे ठोकरें खा रहे हैं। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की पड़ताल में ऐसे कई परिवार सामने आए, जिनके मुखिया की मौत के बाद आर्थिक तंगी परेशानी का सबब बन गई। किसी के बेटे की पढ़ाई छूट गई तो किसी का परिवार बेटियों की परवरिश को लेकर परेशान है।

बेटियों के कैसे पीले होंगे हाथ

भरत सिंह के लिए चार नवंबर की रात काल बन गई। 40 वर्षीय भरत सिटी के एक रेस्टोरेंट में नौकरी करते थे। नैनी एरिया में उन्हें टक्कर मारने के बाद गाड़ी सहित चालक भाग गया। हादसे में उनकी मौत हो गई। वह परिवार के साथ अतरसुइया रानीमंडी में वर्षो से किराए पर रह रहे थे। हादसे में उनकी मौत के बाद अविवाहित तीन बेटियों की जिम्मेदारी पत्नी पर आ गई। बेटियों की परवरिश के साथ शादी से लेकर मकान के किराए का भी बोझ आ गया। पति की मौत के बाद वह महंगा कमरा छोड़ लोकनाथ के पास रूम लेकर बेटियों संग रह रह रही हैं। मृतक भरत के भाई कुबेर सिंह का भी ट्राली रेस्टोरेंट का व्यापार है। दोनों भाइयों का परिवार अलग है, उनके पास भी अपने परिवार को पालने की जिम्मेदारी है। लिहाजा वह जैसे तैसे थोड़ी बहुत मदद कर रहे हैं। इस परिवार के पास न तो अपना घर है और न ही हादसे के बाद कुछ सरकारी मदद मिली।

परिवार के लिए बेटों ने छोड़ दी पढ़ाई

हंडिया के बासूपुर निवासी संतलाल का एक्सीडेंट पिछले माह 14 तारीख को हुआ था। वह बाइक से छोटी बेटी को लेकर कहीं जा रहे थे। हंडिया बाजार के पास हादसे के बाद गाड़ी सहित चालक भाग निकला था। उनकी बेटी की मौके पर ही मौत हो गई। आठ नवंबर को संतलाल की मौत एसआरएन में हुई। चार बेटियों में एक की शादी संतलाल कर चुके थे। एक की हादसे में मौत हो गई। बची दो बेटियों की शादी का जिम्मा अब बेरोजगार भाई बाबा उर्फ सुल्तान पर आ गया। सुल्तान पिता की मौत के बाद पढ़ाई छोड़कर परिवार की मदद के लिए खेती किसानी में जूझ रहा है। यही हाल 13 नवंबर को हुए हादसे में जान गंवाने वाले सोरांव के मलदुआ निवासी किसान मकसूदन (55) के परिवार का भी है। पिता की मौत के बाद उसके 24 वर्षीय बेटे आशीष ने पढ़ाई छोड़ दी। आशीष के ऊपर मां चम्पा देवी के साथ छोटे भाई अंकित की परवरिश का जिम्मा आ गया। आशीष बताता है कि पिता की दोनों बहनों की शादी कर चुके हैं। आमदनी का जरिया सिर्फ किसानी है।

महीना एक्सीडेंट मौत घायल

जनवरी 127 52 85

फरवरी 110 47 82

मार्च 104 47 64

अप्रैल 26 07 21

मई 81 41 47

जून 96 45 85

जुलाई 74 37 50

अगस्त 78 39 45

सितंबर 91 52 46

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कुल 791 367 505

दिल दहलाते हैं ये हादसे

केस-1

कोरांव के जवाइन गांव के पास वैगनार कार में आग लगने से तीन लोगों की मौत हो गई। यह हादसा 17 नवंबर की रात हुआ था। बताया गया था कि बबूल के पेड़ में टकराने के बाद कार में आग लगी थी। मरने वालों में दो युवक और एक महिला शामिल थी। तीनों औद्योगिक एरिया के महुआरी गांव के रहने वाले थे।

केस-2

तेरह अक्टूबर की रात बहरिया के भवानापुर गांव के पास एक हादसे में पांच लोगों की मौत हो गई थी। मरने वाले प्रतापगढ़ जिले के रानीगंज निवासी थे। वह भवानापुर स्थित रिश्तेदारी में निशान चढ़ाने के बाद आयोजित भोर में शामिल होकर लौट रहे थे। गांव के बाहर नहर की पटरी से होकर आगे बढ़ रहे थे। अचानक तांगा आने की वजह से तेज रफ्तार गाड़ी रोड किनारे गड्ढे में गिर गई थी।