-रामकथा में मोरारी बापू ने बताया कि प्रेम के लिए धैर्य रखना बेहद जरूरी

prayagraj@inext.co.in

PRAYAGRAJ: अरैल में चल रही मोरारीबापू की राम कथा मानस अक्षयवट के सातवें दिन शुक्रवार को भी पांडाल में भक्ति और प्रेम का ज्वार उमड़ा। संत कृपा सनातन संस्थान नाथद्वारा की ओर से आयोजित राम कथा में मोरारीबापू ने प्रेम रूपी अक्षयवट के तने, शाखाओं, टहनियों और फल के रूप को विस्तार से बताया।

तना, शाखाओं, टहनियों के बताए अक्षय रूप

-मानस अक्षयवट के दौरान बापू ने प्रेम रूप अक्षयवट की व्याख्या करते हुए बताया कि प्रेम अक्षयवट का तना धीरता और वीरता है। जो धैर्य नहीं रख सकता है वह प्रेम नहीं कर सकता है।

-मेरे प्रेम को सम्मान नहीं दिया जा रहा, ऐसा बोलने वाला तने की तरह मजबूत प्रेम नहीं कर सकता है।

-प्रेम तो वीर कर सकता है, जो यह सोचे बिना प्रेम करे कि लोग क्या कहेंगे, जिसे किसी का भी डर नहीं है।

-बापू ने कहा कि वात्सल्य, स्नेह, राग, अनुराग, भक्ति, प्रणय, आसक्ति और रीति प्रेम की शाखाएं है जिससे होते प्रेम आगे बढ़ता है।

-बड़ों का छोटों के प्रति वात्सल्य, स्नेह, प्रभु के प्रति भक्ति प्रेम प्रेम की शाखाएं हैं।

-बापू कहते हैं कि संकेत प्रेम की टहनियां हैं। मुद्राएं, नयन नृत्य भी टहनी का ही रूप है।

-उन्होंने बताया कि चंचलता, व्याकुलता, कंपन्नता, स्तंभता अक्षयवट के पत्ते हैं। किसी चीज को लेकर चैन न आए, व्याकुलता रहे, कंपनता रहना ही अक्षयवट का पर्ण है।

दलित की पढ़ी चिट्ठी, कहा, भोजन बनाकर लाओ, मैं खाऊंगा

कथा में बापू ने एक श्रद्धालु की चिट्ठी का उल्लेख करते हुए कहा कि उसने खुद को अतिदलित बताते हुए उसके घर से भिक्षा लेने की बात कही। इस पर बापू ने उसको भोजन बनाकर परिवार सहित पांडाल आने का न्योता दिया। बापू ने कहा कि जो दूसरे को हल्का समझे, उसके समान दूसरा कोई हल्का है ही नहीं।