प्रयागराज (ब्यूरो)। संगम नगरी प्रयागराज में माघ मेले के दौरान कल्पवास का विशेष महत्व है। कल्पवास की शुरुआत पौष पूर्णिमा से होती है। तीर्थपुरोहितों के शिविर में कल्पवास करने पहुंचे श्रद्धालु सुबह ही तैयारी में जुट गए। संगम स्नान करने के बाद कल्पवास करने पहुंचे श्रद्धालुओं ने विधि-विधान के साथ तुलसी और सालिगराम जी का पूजन करके उनकी स्थापना की। इसके बाद उन्होंने एक माह तक चलने वाले कठिन कल्पवास व्रत का संकल्प लिया।

संकल्प के अनुसार कल्पवास

प्रयागराज में कल्पवास का अपना पौराणिक महत्व है। इस बारे में तीर्थपुरोहित प्रदीप पंडा बताते हैं कि पहली बार कल्पवास करने पहुंचे श्रद्धालु संकल्प करते है कि उन्हें कितने वर्ष कल्पवास करना है। वैसे सामान्य तौर पर कल्पवास 5, 7, 9 और 12 वर्ष का होता है। संकल्प के अनुसार कल्पवास पूरा होने के बाद लोग शैय्यादान करते हैं।

कड़े नियमों का पालन अनिवार्य

उन्होंने बताया कि कल्पवास में कड़े नियम हैं। इनका पालन करना सभी के लिए अनिवार्य होता है। कल्पवास पौष से माघी पूर्णिमा के बीच एक माह का होता है। बसंत पंचमी से ही कल्पवासी कथा सुनने की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं। इसके बाद माघी पूर्णिमा को स्नान व पूजन करके कल्पवास पूरा करते हैं।

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