-नामांकन खारिज न करने को लेकर था जबरदस्त दबाव

-आज देना था फैसला, वीसी सुबह नौ बजे करेंगे इमरजेंट मिटिंग

ALLAHABAD: प्रशासन से सहयोग मिलने की संभावना थी। लेकिन, वह भी इलाहाबाद यूनिवसिर्टी के प्रोफेसर्स के साथ खड़े नहीं थे। लगातार मिल रही धमकियों से दबाव इस कदर हावी हो गया कि चुनाव अधिकारी के साथ चुनाव कराने के लिए गठित एडवाइजरी कमेटी के सभी सदस्यों ने देर रात इस्तीफा दे दिया। वीसी ने सभी का इस्तीफा मिलने की पुष्टि की है और बताया है कि आगे की रणनीति पर चर्चा और फैसला लेने के लिए शनिवार की सुबह नौ बजे इमजेंसी मिटिंग कॉल की गई है।

आज जारी होनी थी सूची

बता दें कि सत्तारूढ़ पार्टी की छात्र इकाई से अध्यक्ष पद के प्रत्याशी समेत कई प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र भरने में गलती की है। शनिवार को स्क्रूटनी के बाद प्रत्याशियों की अंतिम सूची जारी होनी है। इससे पहले आपत्तियों का निस्तारण किया जाना है। गुरुवार को नामांकन निरस्त न करने को लेकर वीसी को फोन पर धमकी दी जा चुकी है। लगभग यही प्रेशर चुनाव अधिकारी प्रो। आरएस पांडेय और एडवाइजरी कमेटी के सदस्य प्रो। एचएन तिवारी, प्रो। स्मिता अग्रवाल, प्रो। मुश्ताक अली, रामेन्दु राम पर भी था। इन सभी ने देर रात नई जिम्मेदारी से त्यागपत्र दे दिया।

फार्म की गलती सबसे बड़ा मुद्दा

बता दें कि यूनिवर्सिटी में चुनाव के लिए नामांकन करने वाले प्रत्याशियों के नाम पर 22 सितम्बर को आपत्ति मांगी गई थी। आपत्ति के बाद पूरे तीन दिन नामिनेशन फार्मो की स्क्रुटनी की गई। जिसमें यह पाया गया है कि कई प्रत्याशियों ने अपने नामांकन फार्म में गलतियां की हैं। ये गलतियां आम छात्रों और विरोधियों की निगाह में भी है। क्योंकि, यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने अपनी ऑफिसियल वेबसाइट पर पहली बार सभी नामांकन पत्रों को ऑनलाइन किया है। विरोधी तबके ने गलती करने वाले प्रत्याशियों के फार्म ही वेबसाइट से डाऊनलोड करके रख लिए हैं।

धमकी पर धमकी, कोर्ट जाने की तैयारी

गलती करने वालों में बड़े छात्र संगठन से अध्यक्ष पद के उम्मीदवार का नामांकन फंसा हुआ है। नियमानुसार उनका नामांकन रद्द होना चाहिए। अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के अलावा कई और प्रत्याशियों ने अपनी गलती को न मानते हुए चुनाव से जुड़े शिक्षकों पर लगातार दबाव बनाया हुआ है। कुलपति, चुनाव अधिकारी, चीफ प्रॉक्टर समेत कई टीचर्स को अंजाम भुगतने की धमकी भी दी गई है। वहीं विरोधी छात्र संगठन इस बात के इंतजार में हैं कि अगर यूनिवर्सिटी इनकी गलतियों को माफ करती है तो वे इस मसले को लेकर कोर्ट जाएंगे। शाम चार बजे जारी होने वाली प्रत्याशियों की वैध सूची पर सभी की निगाहें टिकी हैं। यूनिवर्सिटी में भारी हंगामें की आशंका को देखते हुए पुलिस बल को भी एलर्ट रहने को कहा गया है। वहीं स्क्रुटनी कमेटी में शामिल टीचर्स भी भविष्य में कानून के फंदे में फंसने से डरे हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा क्या किया जाए, क्या न किया जाए। मालूम हो कि ऐसी ही परिस्थितियों में वर्ष 2012 के चुनाव में अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज करने वाले दिनेश यादव का चुनाव बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द किया था।

प्रशासन का नहीं मिला साथ

शुक्रवार को चुनाव को लेकर ही प्रत्याशियों के साथ एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर्स की मिटिंग थी। इसमें अफसरों का रुख प्रत्याशियों के फेवर में ज्यादा था। सूत्रों का कहना है कि अफसरों ने नामांकन से जुड़े लोगों को ही कह दिया कि उन्हें प्रत्याशियों को बताकर पहले ही गलती दुरुस्त करा देनी चाहिए थी। इससे प्रोफेसर्स को खतरा महसूस होने लगा। शायद इसी के चलते उन्होंने सामूहिक इस्तीफा देने का फैसला लिया।