प्रयागराज ब्यूरो ।ऐतिहासिक नगरी प्रयागराज के वोटर्स को चुनावी वोटिंग में सेकंड डिवीजन आने की आदत सी पड़ गई है। वह फस्र्ट डिवीजन के साथ पास नही होना चाहते। उनकी इस खराब परफार्मेंस के पीछे शहरी विधानसभाओं के साथ दूसरी विधानसभाओं की परफार्मेंस भी जिम्मेदार है। यही कारण है कि इस बार लोकसभा चुनाव को लेकर प्रशासन काफी सतर्क है। स्वीप एक्टिविटी के तहत वोटर्स को वोटिंग के लिए जागरुक किया जा रहा है।

तीन विधानसभाओं ने डुबाई थी लुटिया

बात की जाए 2019 लोकसभा चुनाव की तो इसमें फूलपुर और इलाहाबाद लोकसभा सीट की तीन विधानसभाओं ने लुटिया डुबोने में कोई कसर नही छोड़ी थी। इनमें प्रतापपुर में 42.38, हंडिया में 38.96 और इलाहाबाद पश्चिमी में महज 40.25 फीसदी ही मतदान हुआ था। इस चुनाव में दोनों लोकसभा की दस विधानसभाओं सहित एक दर्जन विधानसभा का कुल वोटिंग प्रतिशत 50.35 फीसदी रहा था। चुनाव में दोनो सीट भाजपा प्रत्याशियों को मिली थी।

शहर के वोटरों ने किया निराश

इसके बाद जब 2022 का विधानसभा चुनाव हुआ तब भी प्रयागराज की एक दर्जन विधानसभाओं की वोटिंग परफार्मेंस अच्छी नही रही। यहां कुल मिलाकर 53.77 फीसदी ही मतदान हुआ था। जिसमें शहर की तीन विधानसभाओं का परफार्मेंस खराब रहा था। इनमें शहर उत्तरी में 39.56, शहर दक्षिणी में 47.65 और शहर पश्चिमी में 51.20 फीसदी मतदान हुआ था। इस चुनाव के बाद निर्वाचन आयोग ने जिला प्रशासन से कम वोटिंग को लेकर सवाल जवाब भी किए थे।

यहां भी कराई वोटर्स ने फजीहत

पिछले साल हुए निकाय चुनाव में भी शहरी वोटर्स का यह रवैया जारी रहा। चार मई को हुए मतदान में हमारा शहर बाकी शहरों से काफी पीछे रहा। यहां के सौ वार्ड के 1180 बूथों पर कुल 31.45 फीसदी ही वोटिंग हुई। यह प्रशासन के लिए काफी शाकिंग रहा। मतलब 1569774 में से केवल 494471 वोटर्स ही बूथों पर पहुंचे थे। इसके मुकाबले आठ नगर पंचायतों का वोटिंग परसेंटेज 58.08 रहा। हालांकि इसके लिए नए परिसीमन को दोषी ठहराया गया लेकिन शहरी वोटर्स का पिछले कई चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन किसी से छिपा नही है।

खासकर शहरी मतदाताओं को जागरुक करने की मुहिम जारी है। लगातार हमारी ओर से स्वीप एक्टिविटी को चलाया जा रहा है। जगह जगह जाकर वोटर्स को बूथ तक जाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

- पीएन सिंह, सहायक नोडल अधिकारी स्वीप एक्टिविटी लोकसभा चुनाव व डीआईओएस प्रयागराज