-गृहस्थों ने पूरे उत्साह के साथ मनाया भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव

-घरों में पूरी रात चला भजन -कीर्तन का सिलसिला

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PRAYAGRAJ: 16 कलाओं के स्वामी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के अवसर पर भाद्र कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि दिन मंगलवार को लोगों ने पूरे उत्साह के साथ भगवान का प्राकट्य दिवस मनाया। जन्माष्टमी पर्व को लेकर गृहस्थों में जमकर उत्साह दिखा। घरों से लेकर मंदिरों तक में भजन व कीर्तन का आयोजन हुआ। इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण का लोगों ने रंग-बिरंगे परिधानों से श्रृंगार किया और उनके बाल स्वरूप लड्डू गोपाल का अभिषेक किया। कुछ लोगों ने व्रत रखकर कान्हा के प्रति भक्ति भाव प्रकट किया।

सूर्यास्त के साथ ही शुरु हो गया उत्सव

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पहले दिन मंगलवार को भगवान के जन्मदिन का उत्सव सूर्यास्त के साथ ही शुरु हो गया। इस दौरान भजन और कीर्तन का सिलसिला लगातार जारी रहा। रात 11.30 बजे के बाद भक्ति का भाव चरम पर पहुंचने लगा। उत्साह, उत्सुकता और उमंग उफान मारने लगे। नैन कन्हैया के दिव्य स्वरूप खुद में बसाने को व्याकुल थे, वहीं मन-मस्तिष्क भक्ति के सागर में गोता लगा रहा था। रात के 12 बजते ही चहुंओर घंटा-घडि़याल की गूंज होने लगी। 'नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की, जन्में कान्हा हमारे घर, जैसे भजनों के जरिए कन्हैया का गुणगान करके आरती उतारी गई। भक्तों ने खीरा काटकर भगवान के जन्म की औपचारिकता पूरी की। उन्हें मिष्ठान, फल, मेवा, पंचामृत का भोग लगाया। भजन-कीर्तन व प्रसाद वितरण का सिलसिला देर रात तक चलता रहा।

आभूषणों से सजे कान्हा

प्राचीन महाशक्तिपीठ मां ललिता देवी मंदिर मीरापुर स्थित श्रीराधाकृष्ण की प्रतिमा का आभूषण व वस्त्रों से मोहक श्रृंगार किया गया। अध्यक्ष हरिमोहन वर्मा व महामंत्री धीरज नागर के नेतृत्व में भजन-कीर्तन का आयोजन हुआ। मंदिर में मध्यरात्रि तक भक्तों की भारी भीड़ जुटी रही। वहीं, कल्याणी देवी मंदिर में राधाकृष्ण की का पुष्पों, जरीगोटा व आभूषणों से श्रृंगार किया गया। मध्यरात्रि में वैदिक मंत्र एवं शंख-घडि़याल से श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया।

ध्यान के आभामंडल में मनाया जन्माष्टमी

क्रियायोग आश्रम व अनुसंधान संस्थान में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व क्रियायोग ध्यान के आभामंडल में मनाया गया। योगी सत्यम जी महाराज ने बताया कि जन्माष्टमी मनाने का प्रमुख लक्ष्य कंस भाव का कृष्ण भाव में रूपांतरण करना है।