प्रयागराज ब्यूरो दीपावली पर्व पर पूजा के लिए भगवान गणेश व मां लक्ष्मी की प्रतिमाएं मार्केट में आ गई हैं। मार्केट में दुकानों पर इन मूर्तियों की कीमत डेढ़ व दो सौ से शुरू हो है। इसके ऊपर 15 हजार तक की मूर्तियां यहां उपलब्ध हैं। दुकान लगाने वाले व्यापारियों के पास हर वैरायटी का कलेक्शन है। बाजार में सबसे ज्यादा मूर्तियां कोलकाता और दिल्ली से मंगवाई गई हैं।

लुभा रहा है राजस्थानी लुक
राजस्थानी गणेश व मां लक्ष्मी की मूर्तियां साइज में छोटी जरूर हैं, मगर इसकी बनावट और लुक में मन मोह लेती है। पिरोड़ मिट्टी से निर्मित इन मूर्तियों में की गई कारीगरी काफी खूबसूरत है। व्यापारी बताते हैं कि कोलकाता के दो स्थानों काली घर व दक्खिनडारी से लाई गई मूर्तियां यहां अधिक हैं। वुड लुक में दिखाई देने वाली मूर्तियों की अपनी एक अलग खासियत है। देखने में वुड मेड दिखाई देने वाली मूर्तियां असल में मिट्टी से बनी होती है। मार्केट में लोकल में बनी मूर्तियां भी हैं। धरना स्थल चौकी के पास मूर्तियों की एक बड़ी मार्केट बसाई गई है।

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मूर्ति स्थापना का जानिए सही तरीका
मां लक्ष्मी व भगवान गणेश की प्रतिमा पूर्व दिशा में इस तरह स्थापित करें कि उनका श्री मुख पश्चिम दिशा में हो।
माता लक्ष्मी की मूर्ति भगवान गणेश के दाहिनी ओर स्थापित करना चाहिए।
कमल के पुष्प पर विराजित मां लक्ष्मी की मूर्ति ही घर लाएं। ध्यान यह भी दें कि इस पुष्प पर मां की मूर्ति खड़ी होनी चाहिए। यदि ऐसी मूर्ति नहीं मिले तो कमल बैठी मां लक्ष्मी का हाथ आशीर्वाद के देने की मुद्रा में होना चाहिए।
वास्तु-शास्त्र के अनुसार के मां लक्ष्मी की मूर्ति या फोटो उत्तर दिशा में होनी चाहिए।
पूजा के वक्त मां लक्ष्मी को कमल के पुष्प को जरूर अर्पित करें।

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भगवान की मूर्तियों का रेट भला कौन दे सकता है और कौन ले सकता है। इतना जरूर है कि महंगाई के इस दौर में हर वर्ग को ध्यान में रखते हुए मार्केट में मूर्तियां उपलब्ध हैं। राजस्थानी लुक वाली मूर्तियों का रेट थोड़ा हाई है।
सिद्धांक द्विवेदी, मूर्ति व्यापारी

रेट मूर्तियों पर निर्भर होता है। यहां के व्यापारी मूर्तियां कोलकाता से ही लाए हैं। छोटी से लेकर बड़ी साइड की भी मूर्तियां हैं। कुछ ऐसी भी मूर्ति है जो देखने में छोटी हैं पर उनका रेट हाई है।
आदर्श सोनी, मूर्ति व्यापारी

दीपावली पर मिट्टी से बनी मूर्तियों के पूजन का ही चलन है। इसलिए मार्केट में मिट्टी से बनी मूर्तियां ही लाई गई हैं। सारी कलाकारी मूर्तियों को बनाने व उस पर लगाए गए पेंट आदि में होता है। जैसी मूर्तियां वैसा रेड इसीलिए है।
आशीष जायसवाल, मूर्ति व्यापारी

खरीद दर से बहुत ज्यादा दाम नहीं लगा सकते। क्योंकि पर्व के बाद इन बची मूर्तियों को रखने का संकट होता है। इस लिए वाजिब दर पर ही सेल किया जाता है।
साबरा, मूर्ति व्यापारी

जो मूर्तियां लकड़ी से निर्मित दिखाई दे रही हैं दरअसल वह भी मिट्टी से ही बनी हैं। कोलकाता से लाई गई यह मूर्तियां पिरोड़ मिट्टी से बनाई गई हैं। पेंट ऐसा हुआ है कि वह लकड़ी की नजर आ रही है।
रवि सोनकर, मूर्ति व्यापारी