प्रयागराज ब्यूरो । हम दुकान पर थे। इतना पता था कि बेटी शिप्रा इंदिरा मैराथन में शामिल होने आई है। दोपहर के वक्त हमारे पास मोबाइल की घंटी बजी। कॉल रिसीव किया तो उधर से आवाज आई। फोन करने वाले ने कहा आप जल्दी स्टेडियम आ जाइए। आप की बेटी मैराथन में तीसरे स्थान पर आई है। शिप्रा के पिता ने कहा कि इतना सुनते ही ऐसा लगा दुनिया की सारी खुशी मिल गई। फौरन घर पहुंचा और पत्नी शीमा देवी को लेकर स्टेडियम पहुंच गया। यह बताते हुए शिप्रा के पिता बबलू व उनकी मां की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े।

लोगों से बेटियों के सपोर्ट की अपील
साइकिल का पंक्चर बनाने वाले बबलू ने कहा कि बड़ी मुसीबत से बेटियों को पाल रहा हूं। साहब अब तो हम सीना ठोक कर यह कहेंगे कि बेटियां किसी भी मायने में बेटों से कम नहीं हैं। हम अपनी दोनों बेटियों को बेटे की तरह ही पालते हैं। बहुत पैसे तो नहीं हैं, मगर कभी उनकी राह में रोड़ा नहीं बने। इतना कहते हुए बेटी को पत्नी के साथ बबलू गले लगा लिए। शिप्रा की मां सीमा देवी का कहना था कि बेटी ने आज जैसी खुशी है, वह जीवन में अब तक कभी नहीं मिली थी। बेटी की मेहनत पर विश्वास जताते हुए बबलू व सीमा ने कहा कि एक दिन हमारी शिप्रा पूरे विश्व में देश का नाम रोशन करेगी। एक सवाल के जवाब में शिप्रा के माता पिता ने कहा कि समाज से हम कहना चाहते हैं कि वह बेटियों को खुला आसमान दें। बेटियां ईश्वर का दिया हुआ उपहार हैं। थोड़ा सा सपोर्ट पाकर वह परिवार की पूरी बगिया को महकाने का दम रखती हैं, जैसी मेरी शिप्रा।