बत्ती नहीं तो क्या हुआ, और भी तरीके हैं VIP बनने के

सर्किट हाउस में नियमों के अनुरूप नही रुकते गेस्ट

vineet.tiwari@inext.co.in

ALLAHABAD: शासन ने लाल-नीली बत्ती पर रोक भले ही लगाई हो, लेकिन वीआईपी बनने की ललक का कही अंत नहीं है। हालात ये हैं कि नेता-मंत्री बत्ती छीन लिए जाने के बावजूद अतिरिक्त पुलिस स्कार्ट की मांग कर रहे हैं। ताकि, पुलिस की गाडि़यों में लगी बत्ती उनकी शोभा में चार चांद लगा सके।

नरेंद्र मोदी-इंदिरा गांधी से लें सबक

पिछले साल भाजपा कार्यकारिणी में शामिल होने के लिए आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्किट हाउस का किराया चुकाया था। इसी तरह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी अपने प्रवास का मूल्य चुकाती थीं। वर्तमान में नियमों के विरुद्ध वीआईपी कमरा बुक करा लेते हैं और अपने नाते-रिश्तेदारों को यहां ठहराने से पीछे नहीं हटते। नियमानुसार तीन दिन से अधिक सर्किट हाउस में ठहरने का अधिकार ही नहीं है। इमरजेंसी में सात दिन रुका जा सकता है लेकिन इसके बदले में गेस्ट को अगले तीन दिन का किराया पांच गुना की दर से देना होगा। सूत्र बताते हैं कि 80 फीसदी गेस्ट निर्धारित शुल्क तक अदा नहीं करते। ये हाल तब है जब सर्किट हाउस में विधायक और सांसदों का रुकना एलाऊ ही नहीं है।

सर्किट हाउस बुकिंग का नियम

विशेष सचिव या इससे ऊपर के अधिकारी

राज्य या केंद्र सरकार के मंत्री या समकक्ष

राज्य सरकार के महाधिवक्ता और जजेस

सर्किट हाउस का किराया

वातानुकूलित कमरा- 600 रुपए प्रतिदिन

साधारण वातानुकूलित कमरा- 450 रुपए प्रतिदिन

कौन होते हैं राज्य अतिथि

राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य राज्यों के राज्यपाल व केंद्र शासित प्रदेशों के उप राज्यपाल

ये शासकीय कार्य से आने पर राज्य अतिथि होंगे

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस व जस्टिस

अन्य राज्यों के चीफ जस्टिस व जस्टिस

लोकसभाध्यक्ष, उपाध्यक्ष व राज्यसभा के सभापति

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मंत्रीगण

अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री

योजना आयोग के उपाध्यक्ष व सदस्य

राज्यसभा और लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष

भारत सरकार व अन्य राज्यों के मंत्रिमंडल सचिव

भारत रत्‍‌न से सम्मानित व्यक्ति

मुख्य निर्वाचन आयुक्त, निर्वाचन आयुक्त व केंद्रीय निर्वाचन आयोग

केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त व सूचना आयुक्त

(अन्य किसी वीआईपी या वीवीआईपी के आने पर राज्य अतिथि घोषित करना सरकार के विवेक पर निर्भर होगा)

वीआईपी व्यवस्था

वीआईपी या वीवीआईपी का प्रोटोकाल जिला प्रशासन जारी करता है

पुलिस की ओर से उनको स्कोर्ट सेवा उपलब्ध कराई जाती है

वीआईपी या वीवीआईपी के साथ आने वाले कर्मचारियों की संख्या तीन से अधिक नहीं होनी चाहिए। इनके लिए भोजन व आवास नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है

प्रति व्यक्ति तीन सौ रुपए से अधिक व्यय नहीं किया जा सकता है

विशेष मामलों में यह सीमा शिथिल भी की जा सकती है।

भोजन की दर 48 रुपए और नाश्ते की दर 24 रुपए प्रति वीआईपी निर्धारित है

सरकार का निर्णय बहुत अच्छा है लेकिन इसमें कुछ और बदलाव करने चाहिए। जो जेन्यूइन हैं उनको ही सुविधाएं दी जानी चाहिए। फर्जी तरीके से सरकारी सुविधाओं का लाभ लेना सही नहीं है।

अतुल

अभी भी बहुत से लोग हैं जो सड़कों पर लाल-नीली बत्ती लगाकर घूम रहे हैं। ऐसे लोगों को चिंहित कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

अवध नारायण

गाडि़यों में सरकारी पार्टियों के झंडे लगाकर रौब गांठने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसे लोग कहीं भी गाड़ी पार्क कर आम जनता को परेशान करते हैं।

अवनीश

अक्सर देखा जाता है कि मंत्रियों की फ्लीट निकालने के लिए ट्रैफिक को ब्लॉक कर दिया जाता है। यह सही नहीं है। ऐसा करने से जाम की स्थिति पैदा हो जाती है।

रजनीश

हमारे देश में वीआईपी कल्चर लोगों की आदत में शामिल हो चुका है। हर व्यक्ति खुद को वीआईपी दिखाना चाहता है। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी ही चाहिए।

सौरभ सिंह