Because every child is special 
 
महिलाओं की रैंडम एचआईवी जांच की जाएगी
 
Hospitals,late night, delivery, females, HIV,test,WBFPT kit,nurses,training,ALLAHABAD 
 
Allahabad: अब हॉस्पिटल्स में लेट नाइट डिलीवरी के लिए आने वाली महिलाओं की रैंडम एचआईवी जांच की जाएगी, ताकि पैदा होने वाले बच्चे की जान बचाई जा सके। इमरजेंसी केसेज में अभी तक ऐसा नहीं होता था जिसके चलते गवर्नमेंट को ये जरूरी स्टेप उठाने पर मजबूर होना पड़ा। इसके इम्प्लीमेंटेशन के लिए सबसे पहले अर्बन और रूरल हॉस्पिटल्स के नर्सिंग स्टाफ को टे्रनिंग दी जा रही है. 
 
क्यों पड़ी जरूरत
नियमों के मुताबिक हॉस्पिटल्स में डिलीवरी के लिए आने वाली महिलाओं की एचआईवी की प्रॉपर जांच की जाती है। अगर वह पॉजिटिव पाई जाती है तो पैदा होने वाले बच्चे को इस जानलेवा बीमारी से बचाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए जाते हैं। लेकिन, जो इमरजेंसी डिलीवरी केसेज लेट नाइट आते हैं उनमें जांच नहीं हो पाती और जच्चा-बच्चा दोनों अपने घर चले जाते हैं। अब ऐसे केसेज की भी प्रॉपर एचआईवी जांच की जाएगी. 
 
कैसे होगी जांच
हॉस्पिटल्स में बने आईसीटीसी सेंटर्स दिन में ही खुले रहते हैं इसलिए नाइट में आने वाले केसेज में जांच होना मुश्किल होता है। लेट नाइट मामलों में अब ड्यूटी पर तैनात स्टाफ नर्सेज रैंडम किट से प्रेगनेंट लेडीज की एचआईवी जांच करेंगी। इस किट का नाम डब्ल्यूबीएफपीटी (होल ब्लड फिंगर प्रिक टेस्ट) है और इसे अर्बन हॉस्पिटल्स सहित रूरल में सीएचसी और पीएचसी को प्रोवाइड कराया जा रहा है। यह प्रोग्राम प्रिवेंशन ऑफ पैरेंट्स टू चाइल्ड योजना के तहत शुरू किया जा रहा है.
 
कैसे होगा work 
इस किट से रैंडम जांच के दौरान पता चल जाएगा कि प्रेगनेंट लेडी एचआईवी इफेक्टेड है या नहीं। अगर पॉजिटिव रिजल्ट आता है तो फिर जच्चा-बच्चा दोनों का एचआईवी का इलाज शुरू कर दिया जाएगा। हालांकि इस दौरान प्रॉपरली एचआईवी की जांच भी की जाएगी। हॉस्पिटल्स में ऐसे कई मामले आते हैं जिनमें रात को डिलीवरी होती है और मॉर्निंग में परिजन जच्चा-बच्चा को घर लेकर चले जाते हैं. 
 
21 जनवरी से शुरू हो रही है training 
हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से स्टाफ नर्सेज को ट्रेनिंग देने की शुरुआत 21 जनवरी से शुरू की जा रही है। इसके चलते लखनऊ में 15 नर्सेज का पहला बैच भेजा जा रहा है। इसके बाद एक साथ कई बैच ट्रेनिंग के लिए भेजे जाएंगे। हालांकि कुछ दिन पहले ये किट हॉस्पिटल्स में भिजवाई जरूर गई थी लेकिन नर्सेज इंफेक्शन के डर से इसका यूज करने से पीछे हट रही थीं। यही रीजन है कि अब प्रॉपरली ट्रेनिंग शुरू की जा रही है. 
 
Private hospitals से भी होगी बात
यह सिस्टम केवल गवर्नमेंट ही नहीं बल्कि प्राइवेट हॉस्पिटल्स में भी लागू करने की प्लानिंग हेल्थ डिपार्टमेंट की है। इसके लिए प्राइवेट सेक्टर से बात भी की जाएगी। ऑफिसर्स का कहना है कि आमतौर पर प्राइवेट हॉस्पिटल्स में सभी जांच के चार्ज लिया जाते हैं लेकिन गवर्नमेंट चाहती हैं कि पीपीपी फॉर्मेट के तहत वह पेशेंट्स को यह फैसिलिटी फ्री ऑफ कास्ट प्रोवाइड कराएं। जिससे वहां पर भी इमरजेंसी केसेज को एचआईवी प्वाइंट ऑफ व्यू से हैंडल किया जा सके. 
 
कम नहीं है बच्चों की संख्या
साल दर साल एचआईवी मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी बनी हुई है। इकोनॉमिकल ईयर 2011-12 में 1238, 2012-13 में 1198 और मौजूदा ईयर में मार्च से अक्टूबर 2013 के बीच 596 मरीज सामने आए। इनमें 14 गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं। साथ ही बच्चों की संख्या भी कम नहीं है। ये बच्चे कहीं न कहीं मदर्स के डायग्नोस नहीं हो पाने के चलते इंफेक्टेड हो गए थे। वहीं एसआरएन हॉस्पिटल के एआरटी सेंटर में इस समय 7614 एचआईवी मरीज रजिस्टर्ड हैं. 
 
 



 
क्यों पड़ी जरूरत
नियमों के मुताबिक हॉस्पिटल्स में डिलीवरी के लिए आने वाली महिलाओं की एचआईवी की प्रॉपर जांच की जाती है। अगर वह पॉजिटिव पाई जाती है तो पैदा होने वाले बच्चे को इस जानलेवा बीमारी से बचाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए जाते हैं। लेकिन, जो इमरजेंसी डिलीवरी केसेज लेट नाइट आते हैं उनमें जांच नहीं हो पाती और जच्चा-बच्चा दोनों अपने घर चले जाते हैं। अब ऐसे केसेज की भी प्रॉपर एचआईवी जांच की जाएगी. 

 कैसे होगी जांच
हॉस्पिटल्स में बने आईसीटीसी सेंटर्स दिन में ही खुले रहते हैं इसलिए नाइट में आने वाले केसेज में जांच होना मुश्किल होता है। लेट नाइट मामलों में अब ड्यूटी पर तैनात स्टाफ नर्सेज रैंडम किट से प्रेगनेंट लेडीज की एचआईवी जांच करेंगी। इस किट का नाम डब्ल्यूबीएफपीटी (होल ब्लड फिंगर प्रिक टेस्ट) है और इसे अर्बन हॉस्पिटल्स सहित रूरल में सीएचसी और पीएचसी को प्रोवाइड कराया जा रहा है। यह प्रोग्राम प्रिवेंशन ऑफ पैरेंट्स टू चाइल्ड योजना के तहत शुरू किया जा रहा है।

 कैसे होगा work
इस किट से रैंडम जांच के दौरान पता चल जाएगा कि प्रेगनेंट लेडी एचआईवी इफेक्टेड है या नहीं। अगर पॉजिटिव रिजल्ट आता है तो फिर जच्चा-बच्चा दोनों का एचआईवी का इलाज शुरू कर दिया जाएगा। हालांकि इस दौरान प्रॉपरली एचआईवी की जांच भी की जाएगी। हॉस्पिटल्स में ऐसे कई मामले आते हैं जिनमें रात को डिलीवरी होती है और मॉर्निंग में परिजन जच्चा-बच्चा को घर लेकर चले जाते हैं. 

 21 जनवरी से शुरू हो रही है training
हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से स्टाफ नर्सेज को ट्रेनिंग देने की शुरुआत 21 जनवरी से शुरू की जा रही है। इसके चलते लखनऊ में 15 नर्सेज का पहला बैच भेजा जा रहा है। इसके बाद एक साथ कई बैच ट्रेनिंग के लिए भेजे जाएंगे। हालांकि कुछ दिन पहले ये किट हॉस्पिटल्स में भिजवाई जरूर गई थी लेकिन नर्सेज इंफेक्शन के डर से इसका यूज करने से पीछे हट रही थीं। यही रीजन है कि अब प्रॉपरली ट्रेनिंग शुरू की जा रही है. 

 Private hospitals से भी होगी बात
यह सिस्टम केवल गवर्नमेंट ही नहीं बल्कि प्राइवेट हॉस्पिटल्स में भी लागू करने की प्लानिंग हेल्थ डिपार्टमेंट की है। इसके लिए प्राइवेट सेक्टर से बात भी की जाएगी। ऑफिसर्स का कहना है कि आमतौर पर प्राइवेट हॉस्पिटल्स में सभी जांच के चार्ज लिया जाते हैं लेकिन गवर्नमेंट चाहती हैं कि पीपीपी फॉर्मेट के तहत वह पेशेंट्स को यह फैसिलिटी फ्री ऑफ कास्ट प्रोवाइड कराएं। जिससे वहां पर भी इमरजेंसी केसेज को एचआईवी प्वाइंट ऑफ व्यू से हैंडल किया जा सके. 

 कम नहीं है बच्चों की संख्या
साल दर साल एचआईवी मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी बनी हुई है। इकोनॉमिकल ईयर 2011-12 में 1238, 2012-13 में 1198 और मौजूदा ईयर में मार्च से अक्टूबर 2013 के बीच 596 मरीज सामने आए। इनमें 14 गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं। साथ ही बच्चों की संख्या भी कम नहीं है। ये बच्चे कहीं न कहीं मदर्स के डायग्नोस नहीं हो पाने के चलते इंफेक्टेड हो गए थे। वहीं एसआरएन हॉस्पिटल के एआरटी सेंटर में इस समय 7614 एचआईवी मरीज रजिस्टर्ड हैं.