-शहर में थीं दो दर्जन से अधिक आइसक्रीम फैक्ट्रियां, अब चार-पांच ही बचीं

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PRAYAGRAJ: लॉकडाउन ने कई कारोबार की हालत खस्ता कर दी है। कुछ ऐसी ही सिचुएशन से गुजर रही है आइसक्रीम फैक्ट्रियां। यह फैक्ट्रियां पहले ही ब्रांडेड के बोझ तले अपना अस्तित्व बचाने को जूझ रहीं हैं। इस बीच पीक सीजन में करीब दो माह के लॉकडाउन ने इनके बिजनेस को बुरी तरह से अफेक्ट किया है।

आधा दर्जन से ज्यादा प्रभावित

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए हुए लॉकडाउन से लघु उद्योग बुरी तरह प्रभावित हैं। इसकी मार प्रयागराज की करीब आधा दर्जन आइसक्रीम फैक्ट्रियों पर पड़ी है। इसके साथ ही बर्फ फैक्ट्रियां और कस्बों की मटका कुल्फी और शेक बेचने वाली तमाम दुकानें भी इसकी चपेट में आई हैं। सिर्फ तीन से चार माह के कारोबार के लिए करीब आठ-नौ महीने वेट करने वाले आइसक्रीम कारोबारियों की गाड़ी इस बार शुरुआत से पहले ही पटरी से उतर गई। इस तरह लॉकडाउन के चलते इस साल पूरा बिजनेस चौपट हो चुका है।

चार महीने का होता है सीजन

-आइसक्रीम कारोबार के लिए मार्च, अप्रैल, मई और जून सबसे ज्यादा आमदनी वाला महीना होता है।

-इन्हीं महीनों में शादी-विवाह और विभिन्न समारोह में पूरे कारोबार का पचास फीसदी बिजनेस होता है।

-यही कारण है कि कारोबारी इस सीजन का आठ माह इंतजार करते हैं।

-लेकिन इस बार यह सारे मौके पूरी तरह खत्म हो गए हैं

महंगा पड़ रहा आइसक्रीम का बिजनेस

बैरहना स्थित एक आइसक्रीम फैक्ट्री मालिक ने बताया कि कच्चे माल के तौर पर मिल्क पाउडर, दूध, चीनी, काजू, पिस्ता, किशमिश आदि यूज होता है। फिर अचानक सब कुछ बंद हो गया। मार्च का तीसरा हफ्ता होने के कारण कुछ माल बन भी गया था। यह अब कोल्डस्टोरेज में रखा है। इसका बिजली का खर्च अलग से आ रहा है। इन तीन महीनों में बिजली बिल करीब 30 हजार रुपए आ चुका है।

मेरी फैक्ट्री में चार कारीगर काम करते थे। मार्च में लॉकडाउन के बाद सभी घर चले गए। फैक्ट्री से जुड़े करीब एक दर्जन से अधिक ठेले वाले भी बेरोजगार हो गए।

-वेद प्रकाश केसरवानी, ओनर

आइसक्रीम फैक्ट्री, मुट्ठीगंज

आइसक्रीम फैक्ट्री में बिजली की सबसे ज्यादा खपत होती है। तीन महीने से फैक्ट्री बंद है, लेकिन बिल बढ़ रहा है। बिल भरने में ही हालत खराब हो जाएगी।

-राजू गुप्ता

फैक्ट्री मालिक, बैरहना