प्रयागराज ब्यूरो । किडनी और लीवर को प्रभावित करने वाला डेंगू आपकी आंखों की रोशनी को भी खत्म कर सकता है। प्रयागराज में ऐसे दो मामले सामने आ चुके हैं। दूसरा मामला सोमवार को एमडीआई हास्पिटल पहुंचा था। जिसमें मरीज की दाएं आंख की रोशनी जा चुकी थी। बताया गया कि डेंगू संक्रमण के चलते मरीज के शरीर में प्लेटलेट की कमी हुई और ब्लीडिंग से उसकी एक आंख की रोशनी प्रभावित हो गई।

क्या है मामला
मेजा खास के रहने वाले अजय कुमार को 24 सितंबर को तेज बुखार आया। परिजन उन्हें मेजा सामुदायिक केंद्र में इलाज कराने ले गए। मरीज का इलाज एक निजी अस्पताल में कराया जाने लगा। मरीज का बुखार कम हो गया लेकिन उसकी आंखों में दिक्कत बढऩे लगी। परिजन मरीज को दो अक्टूबर को एमडीआई अस्पताल लेकर पहुंचे। जांच में पता चलाकि डेंगू की वजह से प्लेटलेट की संख्या 25 हजार से कम हो गई है जिसकी वजह से आंखों में ब्लीडिंग होने लगी। जिसकी वजह से उसकी दाईं आंख काली हो गई और निकलकर बाहर आ गई। एमडीआई अस्पताल के डायरेक्टर प्रो। एसपी सिंह की देखरेख में उसका इलाज चल रहा है।

ब्लीडिंग से होती है मरीजों की मौत
बता दें कि डेंगू वैसे तो वायरल फीवर की तरह होता है और निश्चित मियाद पूरी होने के बाद मरीज ठीक हो जाता है। लेकिन कुछ मरीजों मेें यह घातक रूप धारण कर लेता है। जिनमें मरीज की इम्युनिटी कमजोर होने पर उसके शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या 20 हजार तक पहुंच जाती है और बॉडी में ब्लीडिंग होने लगती है। कई बार इससे किडनी और लीवर खराब हो जाते हैं। इसी तरह अब आंखों के खराब होने के मामले भी सामने आने लगे हैं। पहला मामला इसी साल 14 अगस्त को सामने आया था। जिसमें हैदराबाद में नौकरी करने प्रयागराज निवासी राजीव कुमार डेंगू की चपेट में आ गए। ब्लीडिंग की वजह से उनकी दोनों आंखें काली पड़ गई और जब परिजन उन्हें एमडीआई हॉस्पिटल लेकर पहुंचे तब उनकी दोनों आंखो की रोशनी जा चुकी थी।


इसे स्क्लेरल नेक्रोसिस कहते हैं
डॉक्टर्स बताते हैं कि डेंगू होने पर बॉडी में प्लेटलेट्स तेजी से कम होन लगती है।
समय पर इलाज कराने से बाहर से प्लेटलेट चढ़ाई जाती है।
जिससे मरीज स्थिर हो जाता है। लेकिन कभी कभी ब्लीडिंग होने से अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
जब ब्लीडिंग से काली पड़ जाती है तो इसे स्क्लेरल नेक्रोसिस कहा जाता है।
इसमें मरीज की आंख बाहर आ जाती है। इसकी जगह नकली आंख लगानी पड़ती है।
डेंगू पाजिटिव आने के बाद तत्काल प्लेटलेट की जांच कराई जाए तो इस स्थिति से बचाव हो सकता है।

अभी तक ऐसे दो ही मामले मिले हैं जिनमें डेंंगू की वजह से मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि मरीज अपनी पूरी जांच कराएं और किसी प्रकार की लापरवाही कतई न बरतें।
प्रो। एसपी सिंह
डायरेक्टर, एमडीआई हॉस्पिटल प्रयागराज