प्रयागराज ब्यूरो ।सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई जांच पर सुनवाई के दौरान अतीक और अशरफ ने विरोध करते हुए तर्क दिया था कि प्रकरण की जांच एक बार हो चुकी है और आरोप पत्र भी दाखिल किया जा चुका है और कोर्ट में ट्रायल शुरू हो चुका है। उस वक्त कोर्ट में एक और तर्क रखा गया था कि प्रदेश सरकार की तरफ से प्रकरण की जांच की सिफारिश केन्द्र सरकार के जरिए सीबीआई से की जा चुकी है। तब सीबीआई ने यह कहते हुए जांच से इंकार कर दिया था कि यह केस ऐसा नहीं है जिसकी सीबीआई जांच करे। यह दोनो तर्क सुप्रीम कोर्ट में नहीं चले।

सीबीसीआईडी ने दाखिल की थी पहली चार्ज शीट
राजू पाल हत्याकांड की जांच प्रदेश सरकार की तरफ से सीबीसीआईडी को सौंपी गयी थी। स्टेट गवर्नमेंट के अंडर में आने वाली इंवेस्टिगेशन एजेंसी सीबीसीआईडी ने इस कांड में पहली चार्जशीट दाखिल की थी। इसके बाद चल रहे ट्रायल का हवाला अतीक-अशरफ की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दिया गया था। बता दें कि सीबीसीआईडी जांच से पहले भी इस प्रकरण की एक जांच धूमनगंज थाने में दर्ज मुकदमे के आधार पर की गयी थी। इसमें भी चार्जशीट दाखिल की गयी थी।

मर्डर में चार्जशीट
1. अतीक अहमद
2. खालिद आजिम उर्फ अशरफ
3. रंजीत पाल
4. फरहान
5. आबिदर
6. इसरार
7. आशिक उर्फ मल्ली
8. एजाज अख्तर
9. जावेद
10. अकबर
11. गुलफुल

पुनर्विवेचना के बाद बढ़े नाम
12. अब्दुल कवी
13. मुस्तैहसन
14. मुसलिम उर्फ गुड्डू
15. गुफरान
16. दिनेश पासी
17. नफीस कालिया
18. एक अन्य

यह थे गवाह
1. उमेश पाल
2. हंसराज पाल
3. सैफुल्ला
4. रुखसाना
5. मो। सादिक
6. ओम प्रकाश पाल
7. नंद किशोर
8. बसंत सिंह
9. एके गुप्ता
10. सुनील कुमार

इन धाराओं में सीबीसीआईडी ने दाखिल किया था आरोप पत्र
आइपीसी की धारा 147, 148, 149, 307, 302, 506, 120 बी, 7 सीएलए एक्ट और शस्त्र अधिनियम

फाइल सेशन कोर्ट भेजी गई
पहले दाखिल की गयी चार्जशीट पर सीजेएम पीके जैन ने इस मामले को संज्ञान में लिया व 24 दिसंबर 2005 को सुनवाई के लिए मामला सेशन कोर्ट को सौंप दिया। अपर जिला जज प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने सभी अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय करते हुए 22 फरवरी को गवाही के लिए अभियोजन को तलब किया। इसके बाद गवाहों के बयान दर्ज किए गए व बचाव पक्ष की ओर से जिरह की गई। उमेश पाल के अलावा बाकी के गवाह धीरे-धीरे मुकरते गए। इसी के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट गया व सीबीसीआईडी की चार्जशीट को चैलेज किया गया।