ALLAHABAD: सावन का महीना और चारों और हरियाली। भारतीय वातावरण में इससे अच्छा कोई और मौसम नहीं बताया गया है। जुलाई आखिर या अगस्त में आने वाले इस मौसम में न बहुत अधिक गर्मी होती है और न ही बहुत सर्दी। आध्यात्मिक पहलू के कारण भी सावन का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। सावन मास से ही सनातन धर्म के त्योहार भी शुरू होते हैं।
सावन में क्या करें क्या नहीं
शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ानी चाहिए, हल्दी जलाधारी पर चढ़ानी चाहिए
सावन में दूध के सेवन से बचें, इन दिनों दूध वात बढ़ाने का काम करता है, जरूरी हो तो खूब उबालकर ही प्रयोग में लाएं
सावन में दही का अत्यधिक प्रयोग करें, लेकिन भाद्र मास में दही के सेवन से बचें
सावन में साग खाने से बचे, ये वात बढ़ाता है
सावन में बैंगन खाना भी वर्जित माना गया है
सावन माह में किसी भी प्रकार के बुरे विचार से बचना चाहिए
सावन माह में इस बात का ध्यान रखें कि बुजुर्ग व्यक्ति, गुरु, भाई-बहन, जीवन साथी, माता-पिता, मित्र और ज्ञानी लोगों का अपमान न हो
पूजा के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा रहता है, बिस्तर जल्दी छोड़ शिवजी की पूजा करें
सावन में मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिये
सावन माह में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि घर में क्लेश ना हो
शिवजी की कृपा पाने के लिए खुद को शांत रखना बहुत जरूरी है, क्रोध से दूरी बनाए रहें
सावन के प्रत्येक सोमवार को शिव की पूजा करनी चाहिए। इस दिन व्रत रखने और शिव के ध्यान से विशेष लाभ मिलता है। भगवान शिव का पूजन कर एक समय ही भोजन करने का विशेष महत्व है। गले में गौरी-शंकर रूद्राक्ष धारण करना भी शुभ रहता है।
पं। विधाकांत पांडेय
सावन में भक्त गंगा नदी से पवित्र जल या अन्य नदियों के जल को मीलों की दूरी तय कर लाते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। कलयुग में यह भी एक प्रकार की तपस्या और बलिदान है। इससे महादेव को प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है।
रवि गिरी, पुजारी