2001 की जनगणना के अनुसार शहर की कुल आबादी 9,75,393 थी
2011 की जनगणना के अनुसार शहर की आबादी 11,12, 544 हो गई
10 वर्ष में शहर की आबादी में 1,41,754 की बढ़ोत्तरी हुई
05 हजार तक कम हो गई बीस से पच्चीस वार्डो में लोगों की संख्या
11 लाख 17 हजार 147 है शहर में मतदाताओं की कुल संख्या
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ALLAHABAD: ये प्रयागराज तीर्थ है। यहां जो भी होता है अचंभित करने वाला होता है। इस बार ये अचंभा जनगणना के खेल में हुआ है। 2001 के बाद 2011 में हुई जनगणना में शहर की कुल आबादी तो बढ़ी है, लेकिन बीस से पच्चीस वार्डो में आश्चर्यजनक रूप से पांच हजार तक घट गई है। यही नहीं बड़ा खेल तो ये है कि शहर की कुल आबादी से भी अधिक संख्या यहां के मतदाताओं की है। यह तब है जब इन दस वर्षो में इन वार्डो में न तो कोई महामारी फैली और न ही कोई दैवीय आपदा आई। इस खेल को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं।
जनगणना 2011 पर सवाल?
जनगणना 2011 पर छह साल बाद 2017 में सवाल उठने लगे हैं। यह सवाल एक-दो लोगों के बीच से नहीं बल्कि हजारों लोगों के बीच से उठ रहे हैं। नगर निगम द्वारा परिसीमन के लिए जनगणना 2011 को ही आधार बनाया गया है। इस आधार ने सिस्टम पर ही सवाल खड़ा कर दिया है।
परिसीमन ने उड़ाई लोगों की नींद
जनगणना 2011 के आधार पर नगर निगम द्वारा तैयार किए गए परिसीमन को लेकर पूरे शहर में हल्ला मचा हुआ है। वर्तमान पार्षद के साथ ही निकाय चुनाव में पार्षदी की तैयारी कर रहे संभावित प्रत्याशी और दावेदारों की नींद उड़ी हुई है। क्योंकि आबादी का जबर्दस्त हेरफेर हुआ है। कई वार्डो का तो अस्तित्व ही खत्म हो गया है।
जनसंख्या
वार्ड 2001 2011 घट गई
अलोपीबाग 13512 8904 4608
ईश्वर शरण आश्रम 11728 6750 4978
चांदपुर सलोरी 10739 4528 6211
मुट्ठीगंज 12080 7379 4701
रामबाग 10752 6087 4665
नरायन सिंह नगर 10602 8598 2004
सरायगढ़ी 11333 5889 5444
हिम्मतगंज 13521 8681 4840
चक निरातुल 11275 9540 1735
खलासी लाइन 11724 9586 2138
नोट: महज दस वार्डो में ही 2011 की जनगणना में घट गए 41,324 वोटर, इस तरह की स्थिति शहर के लगभग 20 से 25 वार्डो में है।
जनगणना में हुआ ये खेल पूरे सिस्टम पर सवाल है। जब इलाहाबाद में कोई ऐसा संकट नहीं आया जिससे हजारों लोग कम हो जाएं तो फिर एक-एक वार्ड से चार से पांच हजार लोग कम कैसे हो गए। जबकि दस वर्ष में पूरे शहर की आबादी बढ़ी है। आबादी बढ़ने के बजाय कम कैसे हुई। सरकार को इस पर जांच का आदेश देना चाहिए।
कमलेश सिंह
पूर्व पार्षद एवं समाज सेवी