प्रयागराज (ब्यूरो)। कार्यक्रम के अगले चरण में बिहार के मगध अंचल से पधारे कलाकारों ने शिशु जन्म के अवसर पर परम्परागत तरीके किये जाने वाले सोहर नृत्य ''जन्मे हैं, कुवर कन्हैया, बबुआ केÓÓ की प्रस्तुति दी, साथ ही मध्य प्रदेश के निमाड़ अंचल से पधारे कलाकारों द्वारा देवी और देवताओं को समर्पित पारम्परिक गणगौर नृत्य की प्रस्तुति की गयी। भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या से पधारे कलाकारों द्वारा फरवही नृत्य को प्रस्तुत करते हुए दर्शकों का दिल जीत लिया। राजस्थान के राजपूत स्त्रियों के घर के आंगन में ढोल और थाली की मधुर आवाज पर अपने पारम्परिक परिधानों से सुसज्जित होकर घूमर नृत्य की प्रस्तुति को दर्शकों ने काफी सराहा। इसी क्रम में बिहार का झूमर व आजमगढ़ के कहरवा नृत्य की प्रस्तुति ने भी दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित किया। लोकनृत्यों के श्रृंखला के बाद प्रयागराज की सुपरिचित गायिका जया बोस द्वारा भजन व निर्गुण गायन की प्रस्तुति दी गयी। अपने गीतों की बानगी से दर्शकों को जोड़ते हुए प्रयागराज की सुप्रसिद्ध युवा सूफी गायिका यशस्वी गुप्ता ने ''मैं तो पिया से नैना व अली मोरे अंगनाÓÓ से समा बांधा।
आयुक्त ने बढ़ाया उत्साह
कमिश्नर संजय गोयल ने शिल्प मेले में अनेक शिल्पकारों के उत्साह को बढ़ाया तथा उनसे निर्मित सामग्रियां भी खरीदीं। अनेक गणमान्य व प्रतिष्ठित लोगों ने भी मेले में शिल्प को बढ़ावा देते हुए खरीदारियां की। मेले में एक तरफ जहा फलकारी और बास के बने सामग्रियों ने दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित किया, वहीं चटनी, आचार, पापड़ जैसी वस्तुओं की खरीददारी पर बल पड़ा। सांस्कृतिक संध्या में मुख्य अतिथि के रूप में पुलिस उप महानिरीक्षक, प्रयागराज सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी को केन्द्र निदेशक ने पुष्पपुंज भेंटकर व अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। केंद्र निदेशक ने धन्यवाद ज्ञापित किया।