प्रयागराज (ब्‍यूरो)। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश के बालगृहों की खराब हालत पर चिंता जताई है। कहा है कि बालगृहों में रह रहे बच्चों को न तो पौष्टिक आहार मिल रहा है और न ही सूरज की रोशनी तथा ताजी हवा। स्वत: कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस अजय भनोट की बेंच ने सोमवार को सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों की जानकारी को अपर्याप्त बताया। कोर्ट ने सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग से हलफनामा मांगा है। अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी।

पहले भी कमेंट कर चुकी है कोर्ट
अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी एवं अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने कोर्ट को बताया कि सरकार इस मामले में गंभीर है और मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के लिए सभी जरूरी कदम उठा रही है। पूर्व में कोर्ट ने कहा था, 'बालगृहों की स्थिति जेलों से भी बदतर है और यह स्थिति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों को मिले मौलिक अधिकारों का हनन है.Ó कोर्ट ने बालगृहों की कमियों को तुरंत दूर करने के लिए सरकार को निर्देश दिया था। कहा था कि अगली सुनवाई पर महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव बालगृहों का अवलोकन कर बच्चों व बालगृहों की संख्या बताएं तथा स्थिति में सुधार के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी व्यक्तिगत हलफनामा पर प्रस्तुत करें।

निरीक्षण करने वाली टीम में जस्टिस भी
कोर्ट ने आदेश में बालगृहों का निरीक्षण करने वाले जस्टिस अजय भनोट का नाम भी दर्ज किया था। कहा था कि न्यायमूर्ति को बालगृहों के निरीक्षण में कई खामियों का पता चला है। सरकार से ऐसे बालगृहों को स्थानांतरित करने के लिए तत्काल उपाय करने के लिए कहा गया है, जहां बच्चों की संख्या अधिक है और पर्याप्त सुविधाओं की कमी है। हालांकि राज्य सरकार ने इस पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

हाई कोर्ट में डेंगू-मलेरिया प्रकोप की सुनवाई 17 को
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार को डेंगू- मलेरिया के बढ़ते प्रकोप से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की तरफ से प्रस्तुत जानकारी को कोर्ट ने हलफनामा के माध्यम से दाखिल करने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई की तारीख 17 नवंबर तय कर दी। चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस अजय भनोट की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने सरकार से डेंगू और मलेरिया की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी थी। अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता एके गोयल ने कोर्ट को बताया कि मच्छर जनित बीमारियों के प्रकोप के संबंध में अपर निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की ओर से जानकारी आई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश में डेंगू और मलेरिया के बढ़ते प्रकोप पर स्वत: संज्ञान लिया था और 31 अक्टूबर को जनहित याचिका कायम कर राज्य सरकार से उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी मांगी थी।