सरकारी बैनामे को देखते हुए प्रशासन जल्द ले सकता है फैसला

गंगा एक्सप्रेस वे के लिए जमीनों के अधिग्रहण की चल रही है प्रक्रिया

कोरोना काल में रजिस्ट्री से होने वाली आय को बढ़ाने का प्रयास भी जारी

महंगी होती जमीन के बीच इस साल आम पब्लिक को सर्किल रेट में राहत मिल सकती है। गंगा एक्सप्रेस वे के लिए चल रहे सरकारी बैनामे के चलते इस साल प्रशासन सर्किल रेट में बढ़ोतरी को आलमोस्ट खारिज कर चुका है। सोर्सेज का दावा है कि जमीनों के दाम बढ़ाने से सरकार को मुआवजा राशि देने में नुकसान हो सकता है। इसलिए सर्किल रेट के रिवीजन को विचार को अधिकारियों ने त्याग दिया है। हालांकि प्रशासन के इस कदम से आम जनता को निश्चित तौर पर लाभ मिलेगा। क्योंकि जमीनें महंगी होने से पब्लिक को सर्किल रेट के नाम पर मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है।

दो साल से हो रही थी बढ़ोतरी

इसके पहले 2019 और 2020 में जिले के सर्किल रेट में बढ़ोतरी की गई थी।

2019 में 8 से 10 फीसदी जमीनों का ाम बढ़ाया गया था।

इसके बाद 2020 में 5 से 6 फीसदी तक जमीनों का सर्किल रेट बढ़ा था।

यह आंशिक वृद्धि कुछ एरिया में की गई थी।

कई इलाकों की जमीनों को प्रशासन ने टच भी नही किया था।

कारण साफ था कि कोरोना काल में सरकारी राजस्व पर आंच नही आनी चाहिए।

इसका असर भी दिखा और मामूली सर्किल रेट बढ़ने से लोगों ने बड़ी संख्या में जमीनों की रजिस्ट्री कराई है।

इन गांवों में चल रहा है बैनामा

मेरठ से प्रयागराज तक बनने वाले गंगा एक्सप्रेस की जोर शोर से तैयारी चल रही है।

इस एक्सप्रेस के निर्माण में 12 जिलों की जमीनों का अधिग्रहण किया गया है।

प्रयागराज में कोरांव के कुल 20 गांव जमीन को इस एक्सप्रेस के लिए लिया जा रहा है।

इसके लिए बैनामे चल रहे हैं। अभी 40 फीसदी बैनामे बाकी हैं।

यह बैनामे जूड़ापुर दांदू, सराय नंदन उर्फ समसपुर, सराय मदन सिंह उर्फ चांटी, सराय भरत उर्फ होलागढ़, सराय हरीराम, खेमकरनपुर, माधवपुर मलाक चतुवी, सराय अर्जुन उर्फ हरिमंडला, जलिया साई, परसोपुर नारी, तरपी, कमलपुर, फतेहपुर तालुका, मालापुर, रोही, गिरधरपुर गोडवा, लखनपुर पूरन, पूर्व नारा, पश्चिम नारा गांवों में चल रहे हैं।

किसान इसका विरोध भी कर रहे हैं तो कही पर अधिक मुआवजे की मांग चल रही है।

ऐसे में प्रशासन फूंक फूंक कर कदम रख रहा है।

रेट बढ़ाया तो देना होगा अधिक मुआवजा

माना जा रहा है कि अगर प्रशासन ने इस साल जमीनों का रेट जरा भी बढ़ाया तो इसका खामियाजा प्रशासन को भुगतना पड़ सकता है। ऐसे में इन गांव के किसान तत्काल अपने यहां सर्किल रेट बढ़ाने की मांग करेंगे और बदले में अधिक मुआवजा मांग सकते हैं। इससे बचने के लिए प्रशासन चाहता है कि जब तक गंगा एक्सप्रेस वे के बैनामे पूरे न हो जाएं तब तक सर्किल रेट का रिवीजन नही किया जाएगा।

रजिस्ट्री बढ़ेगी, नुकसान भी होगा

बता दें कि इस साल अगर सर्किल रेट नही बढ़ता है तो इसका फायदा पब्लिक को होगा। जमीनों को पुराने रेट में खरीदने से जनता की मेहनत की कमाई बचेगी और रजिस्ट्री की संख्या में भी वृद्धि होगी। लेकिन, इसका नुकसान भी होगा। सरकार को उस दर से स्टांप ड्यूटी नही मिलेगी जिसकी हकदार जमीने होंगी। वैसे भी पिछले साल कोरोना के चलते प्रशासन ने सर्किल रेट में नामिनल बढ़ोतरी की थी। इस समय शहर में झलवा और फाफामऊ एरिया में सबसे ज्यादा प्लाटिंग चल रही है। इसके अलावा शहर के आउटर के कछार के आसपास की जमीनों की भी मांग बढ़ गई है।