- पीसीएस रिजल्ट में प्रतियोगियों ने आयोग पर स्केलिंग फॉलों नहीं करने का लगा रहे आरोप

- आयोग की ओर से स्केलिंग लागू करने का किया जा रहा दावा

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PRAYAGRAJ: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से पीसीएस 2018 के परिणाम जारी होने के बाद से ही रिजल्ट में स्केलिंग नियमों की अनदेखी करने का आरोप लगने लगा। प्रतियोगियों का कहना है कि आयोग की ओर से स्केलिंग नहीं लगाई गई। जिस कारण रिजल्ट उम्मीद से काफी उलट आया है। वहीं आयोग की ओर से स्केलिंग को फॉलो करने की बात कही जा रही है। ऐसे में अभ्यर्थी आयोग से अंक पत्र जारी करने की मंाग कर रहे हैं।

क्या है स्केलिंग की व्यवस्था

आयोग में लागू स्केलिंग दो विषयों के मध्य तथा दो एक्सपर्ट के मध्य साम्यता स्थापित करने का फार्मूला है। इस बारे में लंबे समय से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे प्रतियोगी छात्र अवनीश पाण्डेय ने बताया कि उदाहरण के रूप में समझे तो उर्दू विषय और सामान्य हिन्दी विषय के दो अभ्यर्थी हैं। उर्दू का एक्सपर्ट अधिकतम अंक दे रहा है, जबकि हिंदी का एक्सपर्ट कमतर अंक दे रहा है। स्केलिंग इस विषमता को खत्म कर अंकों को स्केल्ड करती है। स्केल्ड अंक से ही मेरिट बनता है। नान स्केल्ड अंक का प्रयोग केवल स्केल्ड फार्मूले पर स्थापित होने तक है। इसी प्रकार किसी विषय के अधिक अभ्यर्थी हैं और उनकी कॉपियों का मूल्यांकन दो या दो से अधिक एक्सपर्ट मिलकर कर रहे हैं। ऐसे में कुछ एक्सपर्ट अधिक अंक दे रहे हैं जबकि कुछ एक्सपर्ट कम अंक दे रहे हैं, उन एक्सपर्ट के मध्य साम्यता स्केलिंग द्वारा लाई जाती है।

स्केलिंग को लेकर प्रतियोगी दे रहे तर्क

प्रतियोगियों का कहना है कि नए अध्यक्ष प्रभात कुमार ने 2017 में पीसीएस के अंक पत्र को जारी करने में नान स्केल्ड नंबर को अंकपत्र पर नहीं दर्शाया था। इसलिए प्रतियोगियों को अपनी बात की पुष्टि के लिए बल मिल गया। वहीं उर्दू और मैथ्स विषय से जुड़े अभ्यर्थियों के चयन की संख्या बढ़ने के कारण प्रतियोगियों को संभावना है कि आयोग की ओर से स्केंलिंग लागू नहीं किया गया है।