ओवरएज वालों को पीसीएस 2017 में मौका देने का मामला

सिविल सर्विसेस और पीसीएस एग्जाम की तुलना को बताया था गलत

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: यूपी में सत्ता परिवर्तन के बाद कई अहम फैसले लिये जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीपीएससी) भी शासन के निशाने पर आ गया है। यहां इंटरव्यू पर पहले ही रोक लगा दी गई थी। अब पीसीएस 2017 की परीक्षा से पहले सीसैट से प्रभावित ओवरएज अभ्यर्थियों को दो अतिरिक्त अवसर दिये जाने की बात कही जा रही है। आयोग और शासन स्तर से छनकर आ रही खबरों में कहा जा रहा है कि ट्यूजडे को होने जा रही यूपी कैबिनेट की पहली बैठक में इसपर निर्णय लिया जा सकता है।

पीसीएस 2017 से चांस की मांग

पीसीएस 2017 से ओवरएज अभ्यर्थियों को दो अतिरिक्त अवसर दिये जाने के पहलू पर कुछ बातों पर गौर करना भी जरूरी है। आयोग के अंदरखाने और प्रतियोगियों के बीच जो चर्चा चल रही है। उसमें कई अहम बातें निकलकर सामने आ रही हैं। अव्वल तो प्रतियोगी छात्रों का एक धड़ा इस पर लिये जा रहे फैसले से ही नाखुश नजर आ रहा है। आयोग के अफसर भी इस फैसले से बहुत खुश नजर नहीं आ रहे। कहा जा रहा है कि आयोग ने जो प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा है। वह बदले परिदृश्य में भारी दबाव में उठाया गया कदम है। बता दें कि सीसैट लागू होने के कुछ समय बाद ही इससे प्रभावित ओवरएज अभ्यर्थियों को दो अतिरिक्त अवसर दिये जाने की मांग छात्रों का एक वर्ग करता चला आ रहा है।

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सीएम अखिलेश ने नहीं माना था तर्क

सपा सरकार में सीएम अखिलेश यादव के कार्यकाल में छात्रों ने कई बार इस तर्क को आगे किया कि सिविल सर्विसेस में सीसैट लागू होने के बाद प्रभावित अभ्यर्थियों को दो अतिरिक्त अवसर दिया गया। ऐसे में पीसीएस में भी यह नियम तत्काल लागू किया जाये। लेकिन, उस समय आयोग और सपा सरकार ने छात्रों की बात नहीं मानी थी। दरअसल, आयोग और शासन का मत था कि सिविल सर्विसेस 2011 में सीसैट लागू किया गया। इससे पहले जनरल की आयु सीमा 21 से 30 वर्ष, ओबीसी की 21 से 32 वर्ष और एससी व एसटी वर्ग के लिये 21 से 34 वर्ष थी।

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सिविल में उम्र सीमा कम

तब सिविल सेवा में सीसैट पैटर्न से पहले अवसर की बाध्यता जनरल के लिये 04, ओबीसी के लिये 06 और एससी व एसटी वर्ग के लिये 08 थी। सिविल सेवा 2011 में सीसैट लागू होने के बाद आयु सीमा और अवसर की बाध्यता को बढ़ा दिया गया। इसके तहत सिविल सेवा में जनरल की आयु सीमा 21 से 32 वर्ष, ओबीसी की 21 से 34 वर्ष और एससी व एसटी वर्ग की 21 से 36 वर्ष कर दी गई। इसी के साथ दो अतिरिक्त अवसर बढ़ाकर जनरल के लिये 04 से 06, ओबीसी के लिये 06 से 08 और एससी व एसटी वर्ग के लिये 08 से 10 कर दिये गये।

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तो नहीं है पीसीएस बनने के लायक

तब यूपी लोक सेवा आयोग ने सिविल सर्विसेस से पीसीएस के कंपैरेजन को ठीक नहीं माना था। आयोग का तर्क था कि चूंकि सिविल सर्विसेस में आयु सीमा पीसीएस से काफी कम है और वहां अवसर की बाध्यता भी है। ऐसे में दोनों की तुलना नहीं की जा सकती। मालूम हो कि सिविल सर्विसेस में सीसैट पैटर्न लागू होने के बाद 2012 में पीसीएस में सीसैट लागू किया गया। इसी वर्ष पीसीएस में आयु सीमा भी बढ़ाई गई। इसका लाभ छात्रों को वर्ष 2013 की परीक्षा से मिला। इससे पहले पीसीएस की आयु सीमा जनरल के लिये 21 से 35 वर्ष और ओबीसी, एससी व एसटी वर्ग के लिये 21 से 40 वर्ष थी। इसे बढ़ाकर जनरल के लिये 21 से 40 वर्ष और ओबीसी, एससी व एसटी वर्ग के लिये 21 से 45 वर्ष कर दिया गया। यही नहीं करेंट में दिव्यांग कोटे के अभ्यर्थी भी 55 वर्ष तक पीसीएस का एग्जाम दे सकते हैं। ऐसे में आयोग ने बढ़ाई गई आयु सीमा का हवाला देते हुये कभी भी प्रतियोगियों की दो अतिरिक्त अवसर की मांग को स्वीकार नहीं किया। तब आयोग ने यहां तक कह दिया था कि अगर अभ्यर्थी 40 या 45 वर्ष तक बढ़ाई गई उम्र सीमा के आधार पर पीसीएस नहीं बन पाते तो दो अतिरिक्त अवसर देने पर भी नहीं बन पायेंगे।

अधेड़ उम्र वाले फिर ठोकेंगे ताल

अब बदले हुये परिदृश्य में अगर दो अतिरिक्त अवसर की मांग मानी जाती है तो साफ है कि पीसीएस 2017 की परीक्षा से पहले 40 वर्ष और 45 वर्ष के अधेड़ उम्र के ओवरएज अभ्यर्थी अतिरिक्त अवसर के आधार पर पीसीएस बनने के लिये दावा ठोकेंगे। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि शासन अतिरिक्त अवसर की मांग कब से कब तक की परीक्षा के लिये मानता है? प्रतियोगियों का एक वर्ग तो 2012 से 2015 तक की परीक्षा में ओवरएज हुये अभ्यर्थियों के लिये अवसर की मांग कर रहा है। गौरतलब है कि पीसीएस 2016 की परीक्षा से सीसैट को 33 फीसदी तक क्वालीफाइंग कर दिया गया है।